शिक्षाकर्मियों को फिर नहीं मिली 3 महीने से तनख्वाह….आवंटन का पेंच या अफसरों की मनमर्जी ?…शिक्षाकर्मी नेता विवेक दुबे बोले – संविलियन ही है इस समस्या का स्थायी समाधान……वेतन को लेकर NPG से बोले कलेक्टर……

Update: 2020-02-06 18:25 GMT

रायपुर 6 फरवरी 2020।...शिक्षाकर्मियों की बदहाली के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है ?…सरकार ने तो आवंटन जारी कर दिया,….तो फिर आखिर वक्त पर वेतन दिया क्यों नहीं मिल रहा ?…सरकार के वेतन मद में दिये आवंटन पर कौन अफसर कुंडली जमाये बैठा है ?…ये सवाल भी है और सस्पेंस भी। …दरअसल शिक्षाकर्मियों की बदकिस्मति कुछ ऐसी बन गयी है…कि साल दर साल गुजरता जा रहा है, लेकिन शिक्षाकर्मियों की बिगड़ी किस्मत संवरती ही नहीं दिख रही। फिर कई जिलों के शिक्षाकर्मियों के वेतन का बकाया 2-3 महीनों का बन गया है।

इस महंगाई में जब बिना वेतन के 1 महीने भी गुजारा करना मुश्किल है उस दौर में प्रदेश के शिक्षाकर्मी कई जिलों में बिना वेतन के तीन-तीन महीने से गुजारा करने को मजबूर हैं भले ही प्रदेश में सरकार बदल गई हो पर शिक्षाकर्मियों की स्थिति में ज्यादा परिवर्तन नहीं आया है और आज भी वह अपने वेतन की बदहाली का रोना रोते हुए नजर आ रहे हैं । शिक्षा विभाग, आदिम जाति विभाग, रमसा और एसएसए के अंतर्गत अलग-अलग मद से आने वाले वेतन का इंतजार करते शिक्षाकर्मियों को अपने ही वेतन के लिए कलेक्टर समेत राज्य के उच्च अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाना पड़ता है।

बात करें कवर्धा जिले की तो नगरीय निकाय कवर्धा के अंतर्गत संविलियन से वंचित शिक्षकों को नवंबर दिसंबर और जनवरी का वेतन भुगतान नहीं किया गया है ऐसे में परेशान शिक्षाकर्मियों ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी और कलेक्टर को आवेदन सौंपकर वेतन भुगतान की गुहार लगाई है , यही नहीं बिलासपुर जिले के कोटा नगर पंचायत के शिक्षाकर्मियों को भी अक्टूबर से लेकर अब तक वेतन नहीं मिलने की खबरें सामने आ रही है और वहां के शिक्षाकर्मी भी अब सड़क पे उतरने की सोच रहे है ।

कलेक्टर अवनीश शरण ने NPG को बताया कि

“मुझसे कुछ शिक्षाकर्मी मिले थे, उन्होंने वेतन की समस्या बतायी है, मैने उनकी समस्या को तुरंत ही संचालक को भेज दिया है, मैंने खुद भी संचालक से बात की है, मुझे लगता है कि 1-2 दिन में वेतन भुगतान को लेकर जो शिकायतें आ रही है, वो खत्म हो जायेगी”

इधर शिक्षाकर्मी नेता विवेक दुबे ने लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को भी पूरी समस्या से अवगत करा दिया है लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर ऐसी स्थिति निर्मित ही क्यों होती है और इस स्थिति के जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती है । दरअसर होता ये है कि जब आबंटन की जानकारी मांगी जाती है तो विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा सही जानकारी भेजी नहीं जाती और वेतन के लिए भेजे गए आबंटन की राशि का भी अलग अलग एरियर्स भुगतान के लिए बंदरबांट कर दिया जाता है यही वजह है कि अक्सर शिक्षाकर्मियों के वेतन का मामला फंस जाता है ।

इस मुद्दे पर जब हमने संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे से बात कर के शिक्षाकर्मियों का पक्ष जानना चाहा तो उनका कहना है कि

प्रदेश में अलग-अलग जिलों में शिक्षाकर्मी वेतन की समस्या से लगातार जूझते आ रहे हैं और दिन ब दिन समस्या बढ़ते ही जा रही है हम लगातार अपने स्तर पर उच्च अधिकारियों को सूचित करते आ रहे हैं लेकिन इस समस्या का स्थाई निराकरण होना अति आवश्यक है और यह तभी हो सकता है जब प्रदेश में संविलियन से वंचित 15000 शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन कर दिया जाए इसके लिए संविलियन अधिकार मंच लगातार प्रयासरत भी है और 1 सूत्रीय संविलियन की मांग को लेकर हम लगातार अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं । शिक्षाकर्मियों को यदि समय पर वेतन नहीं मिलेगा तो वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में कितना योगदान दे पाएंगे इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं क्योंकि उनका भी घर परिवार है और उनकी भी जिम्मेदारी है ऐसे में शासन प्रशासन का दायित्व है कि समय पर अन्य सुविधाओ समेत वेतन का भुगतान किया जाए । हम आपके माध्यम से पुनः सरकार से निवेदन करते हैं कि प्रदेश में बचे हुए शिक्षाकर्मियों का संविलियन करके इस समस्या का हमेशा-हमेशा के लिए खात्मा कर दिया जाए और अभी अधिकारियों द्वारा तत्काल प्रदेश के निचले स्तर के अधिकारियों से वेतन भुगतान की जानकारी लेते हुए आबंटन की व्यवस्था की जाए।

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