सरकारी गतिविधियों को जानने का अधिकार आम नागरिक को – मुख्य सूचना आयुक्त राउत ने कहा- प्रशासन को जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य

Update: 2020-03-07 12:08 GMT

अपने निर्णय को समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व

रायपुर 07 मार्च 2020। मुख्य सूचना आयुक्त एम के राऊत ने आज धमतरी के कलेक्टोरेट सभा कक्ष में जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम पर कार्यशाला में कहा कि सूचना मांगना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और आवेदक को जानकारी देने का दायित्व जनसूचना अधिकारी का है। उन्होंने कहा कि किसी भी आवेदक को संतुष्ट करना सूचना का अधिकार का उद्देश्य नहीं है, लेकिन जनसूचना अधिकारी के माध्यम से आवेदक को समय सीमा में जानकारी उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि राज्य सूचना आयुक्त को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत केवल दण्डित करने का अधिकार है और जनसूचना अधिकारी के विरूद्ध शासन अनुशासनात्मक कार्यवाही करने लिखा जाता है।

उन्होंने कहा कि यह सजा जनसूचना अधिकारी के सेवा काल के लिए अच्छा नहीं होता।
राउत ने कहा कि आयोग का उद्देश्य किसी जनसूचना अधिकारी को दण्डित करना नहीं है । प्रथम अपीलीय अधिकारी के निर्णय के तहत निःशुल्क जानकारी देने का आदेश होता है तो उसकी वसूली संबंधित से वसूली की जानी चाहिए । इसी प्रकार आयोग के निर्णय के तहत क्षतिपूर्ति का आदेश होने पर भी उसकी वसूली संबंधित से की जानी चाहिए। राज्य सूचना आयुक्त मोहन राव पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही है। विभिन्न विषयों की जानकारी मांगने पर केवल एक ही बिन्दु की जानकारी दी जाएगी अथवा विशिष्टता का उल्लेख करने कहें, जिससे जानकारी समय सीमा में दी सके।

राज्य सूचना आयुक्त पवार ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देनी होगी। पवार ने कहा कि जनसूचना अधिकारी इसकी महत्वपूर्ण कडी है, किन्तु जनसूचना अधिकारी द्वारा जानबूझकर आवेदक को जानकारी नहीं देने पर अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी को दंडित करना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।

राज्य सूचना आयुक्त पवार ने कहा कि पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं, ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े और सकारात्मक सोच से कार्य करें, इससे गलती की संभावना कम होगी। जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क निर्धारित कर जानकारी उपलब्ध कराने आवेदक को पत्र अवश्य दें, जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें।

राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।

राज्य सूचना आयोग के संयुक्त संचालक धनंजय राठौर ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार के तहत निर्भीक होकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है और निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है।

आयोग की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा को पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से प्रदर्शित कर विस्तृत जानकारी दी गयी और आयुक्तगणों द्वारा जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। कार्यशाला में मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिला पंचायत अपर कलेक्टर, राज्य सूचना आयोग से स्टाफ आफिसर्स एम कल्याणी, अनुविभागीय अधिकारी, जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी और संबंधित शाखा प्रभारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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