Result Time Depression : आखिर डिप्रेशन में क्यों चले जाते हैं बच्चे ?... और दे देते हैं अपनी जान, समझे Parents

काउंसलर सलाह दे रहे हैं कि अभिभावक रिजल्ट को लेकर न तो खुद तनाव में रहें न ही बच्चों को लेने दें. रिजल्ट के बारे में उनके साथ प्यार से बात करें.

Update: 2024-05-06 15:00 GMT

छत्तीसगढ़ के कोरबा में शुक्रवार की दोपहर 12वीं के छात्र ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि एग्जाम में फेल होने जाने के डर से परेशान रहता था। अपने पिता को कॉल कर बोला कि पापा मैं जहर खा लिया हूं और फोन काट दिया। पूरा मामला करतला क्षेत्र में फतेगंज गांव का है।

इस मामले ने प्रदेश के हर माता-पिता को अंदर से हिलाकर रख दिया है कि इस बच्चे ने ऐसा क्यों किया ?  मगर बच्चे ऐसा क्यों कर जाते हैं इसके पीछे  कारण जाने अंजाने में  माता-पिता ही हो जाते हैं।

इसका मतलब हमारे कहने का ये बिलकुल मतलब नहीं है कि बच्चों के फ्यूचर के बारे में ना सोचे या उनसे उम्मीदें ना रखे या फिर उनको अच्छा इंसान बनाने की ना सोचे. बस ज़रूरी है तो उनकी रुचि और उनके मन को समझने की।



क्योंकि नंबर जिंदगी से बड़े नहीं हैं

कुछ माता-पिता कह जाते हैं तुम्हारे दोस्त ने तो 99 परसेंट नंबर पाए हैं और एक तू है.., तुम पर हमने इतना पैसा खर्च किया तुमने सब बर्बाद कर दिया, सोसायटी में क्या मुंह दिखाएंगे... जिनके बच्चों के 10वीं और 12वीं बोर्ड के रिजल्ट आने वाले है वो इस तरह के तानों से बचें. क्योंकि नंबर जिंदगी से बड़े नहीं हैं. कहीं आपके लाडले ने ऐसी डांट को दिल पर ले लिया तो दिक्कत हो सकती है.


रिजल्ट आ रहा है उसे आप बदल नहीं सकते

काउंसलर सलाह दे रहे हैं कि अभिभावक रिजल्ट को लेकर न तो खुद तनाव में रहें न ही बच्चों को लेने दें. रिजल्ट के बारे में उनके साथ प्यार से बात करें. बेहतर होगा कि रिजल्ट आने से पहले घर के माहौल को आम दिनों की तरह ही सामान्य रखें.

ये तय मान लीजिए कि जो रिजल्ट आ रहा है उसे आप बदल नहीं सकते. इसलिए बच्चों के साथ विकल्प पर बात करें. मतलब एक दरवाजा बंद हो गया तो दूसरा रास्ता क्या है. ऐसे में रिजल्ट के तनाव से बच्चों और घर के माहौल को कैसे दूर रखें, इस बारे में हमने एक्सपर्ट से बातचीत की.


क्या कहते हैं मनोचिकित्सक 

1. जब बच्चा सड़क पर चलते हुए गिर रहा होता है तो हम उसे डांटने की बजाय संभालते हैं. ठीक इसी तरह से रिजल्ट खराब होने पर उसे डांटने की बजाय संभालें.

2. पहले फेल और फिर कामयाब होने वाली महान हस्तियों के उदाहरण बच्चों के सामने रखें.

3. रिजल्ट के बाद बच्चे को अकेले न छोड़ें.

4. जैसे ही महसूस हो कि बच्चे का व्यवहार बदल रहा है तो मनोचिकित्सक और काउंसलर्स से संपर्क करें.

5. रिजल्ट आने से पहले बच्चे के साथ पहले से तय लक्ष्य पर नहीं, उसके विकल्प पर बात करें.

6. अच्छा रिजल्ट आने पर आपने बच्चे को जो देने का वादा किया था उसे तोड़ें नहीं. उससे कम या कुछ समय बाद उसे दें जरूर. वर्ना रिजल्ट खराब होने के साथ ही बच्चे के दिमाग में ये बात भी चुभती हैं.

7. इंसानी दिमाग कभी भी संतुष्ट नहीं होता. यही वजह है कि कभी-कभी टॉपर भी आत्महत्या कर लेते हैं.


 सलाह

1 बच्चे का जो भी रिजल्ट आए उसका उत्साहवर्धन करें उसे डांटे नहीं.

2. रिजल्ट खराब आने पर दूसरों बच्चों से अपने बेटे या बेटी की तुलना बिल्कुल न करें.

3. रिजल्ट खराब आने पर घर के माहौल को सामान्य बनाए रखें. रिजल्ट के बारे में कुछ दिन बाद ही चर्चा करें.

4. कुछ लोग भविष्य में और बेहतर करने के लिए बच्चे पर प्रेशर बनाने लगते हैं. ऐसा कतई न करें. बच्चों को कुछ समय नॉर्मल रहने दें.

5. रिजल्ट खराब आने पर अभिभावक यह सोचने लगते हैं कि दूसरे क्या सोचेंगे. आप खुद को यह विश्वास दिलाएं कि मेरे मेरे बच्चे का रिजल्ट अच्छा आया है और आने वाले वक्त में बच्चे के साथ और मेहनत करनी है.

6. एक बात अच्छी तरह से जान लें कि स्कूल का हर बच्चा टॉपर नहीं हो सकता.

7. एक बात ये भी तय है कि बच्चे के रिजल्ट का सामाजिक प्रतिष्ठा बनाने-बिगाड़ने में कोई रोल नहीं होता.

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