Video निगम कमिश्नर और नेता प्रतिपक्ष में हॉट टॉक: नगर निगम कमिश्नर ने दी खुली चुनौती, जहां चाहें शिकायत कीजिए पर आरोप ना लगाएं

Update: 2022-11-10 13:25 GMT

रायपुर। टेंडर से पहले काम शुरू होने के मामले में गुरुवार को नगर निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी और नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के बीच तीखी बहस हो गई। नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भाजपा पार्षद दल के सदस्य तेलीबांधा से वीआईपी रोड तक बन रहे डिवाइडर की शिकायत लेकर पहुंचे थे। बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कह दिया कि नगर निगम कमिश्नर की जानकारी के बिना यह संभव नहीं है। इसे लेकर निगम कमिश्नर चतुर्वेदी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि वे प्रक्रिया के तहत जवाब देंगे, तुरंत जवाब नहीं दे सकते। वे जनप्रतिनिधि नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उन्हें पहले कमिश्नर पर भरोसा था, लेकिन अब नहीं है। इस बात पर मयंक भड़क गए। उन्होंने चैलेंज किया कि वे जहां चाहें शिकायत कर लें। एकाउंट डिटेल देख लें, लेकिन ऐसे आरोप न लगाएं। उन्हें प्रक्रिया के तहत जो भी शिकायत करनी है, कर सकते हैं।

NPG.News से बातचीत में निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने टेंडर रद्द कर दिया है। अपर आयुक्त की अध्यक्षता में जांच टीम बनाई है। इसमें चीफ इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और जॉइंट डायरेक्टर (वित्त) हैं। जांच के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी है। भाजपा पार्षद दल को मैंने इन सारी बातों से अवगत कराया। जांच रिपोर्ट के बाद ही इस मसले पर क्या गड़बड़ी हुई है, यह बताना उचित होगा।

यह है मामला:- रायपुर में तेलीबांधा चौक से वीआईपी चौक के डिवाइडर का काम चल रहा है। रायपुर लोकसभा के सांसद सुनील सोनी ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि काम शुरू होने के बाद करीब दो करोड़ का टेंडर जारी किया गया है। यह खुला भ्रष्टाचार है। इसे लेकर भाजपा के नेताओं ने पैदल मार्च किया था और टेंडर व काम रद्द करने की मांग की थी। इसी मुद्दे पर भाजपा पार्षद दल निगम कमिश्नर से मिलने के लिए पहुंचा था। देखिए वीडियो...

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आयुक्त की कमजोरी:- नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिना कमिश्नर की जानकारी के कोई भी काम नहीं हो सकता। इसके बावजूद यदि कोई भी जोन कमिश्नर अपनी मर्जी से टेंडर जारी कर देता है तो यह कमिश्नर की कमजोरी है। कमिश्नर ने कहा कि अनटाइड फंड में उनका कोई रोल नहीं है, उसे मेयर अपने हिसाब से खर्च करते हैं। उसमें मेरे दस्तखत रहते हैं। सच्चाई यह है कि वित्तीय अधिकार कमिश्नर के पास होता है। आकस्मिक जरूरतों पर अनटाइड फंड को खर्च करना होता है। मेरा सवाल है कि वार्डों में इतनी समस्याएं हैं, उस पर खर्च करने के बजाय सिर्फ सौंदर्यीकरण पर क्यों खर्च किया जा रहा है।

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