Salary of MPs and Cabinet Ministers: मंत्री बनने के बाद सांसद को मिलती है ज्यादा सैलरी और सुविधा, जानें कैबिनेट और राज्य मंत्री में अंतर

9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। लोकसभा के लिए 543 सांसदों को जनता ने चुनकर संसद भेजा है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर कोई सांसद केंद्रीय मंत्री बनता है, तो उसकी सैलरी और सुविधाओं में क्या इजाफा होता है?

Update: 2024-06-11 13:09 GMT

रायपुर। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट मिनिस्टर्स ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस सरकार में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। इस बार का मंत्रिमंडल 2014 और 2019 के कार्यकाल से काफी बड़ा है। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के साथ 46 और 2019 में 59 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली थी, जबकि इस बार प्राइम मिनिस्टर समेत 72 सांसदों ने मंत्री पद के लिए शपथ ली है।

सांसदों को इतनी मिलती है सैलरी

अगर वेतन की बात करें, तो सांसदों को मिलने वाली सैलरी और भत्ते सैलरी एक्ट के तहत तय होते हैं। लोकसभा के हर सदस्य को हर महीने 1 लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है। साथ ही 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता और 60 हजार रुपये ऑफिस खर्च के लिए अलग से मिलते हैं। वहीं जब संसद का सत्र चलता है, तो दो हजार रुपये का डेली अलाउंस भी मिलता है।


बता दें कि 1 अप्रैल 2023 से लागू नए नियम के तहत सांसदों की सैलरी और दैनिक भत्ते में हर पांच साल के बाद बढ़ोतरी का प्रावधान है। सदस्यों के लिए यात्रा भत्ता की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत सदन के सत्र में या किसी समिति की बैठक में शामिल होने या संसद सदस्य से जुड़े किसी भी काम से यात्रा करने पर अलग से भत्ता दिया जाता है।    

प्रधानमंत्री और मंत्रियों को मिलती है इतनी सैलरी

प्रधानमंत्री और मंत्रियों को हर महीने सत्कार भत्ता भी मिलता है। प्रधानमंत्री को 3 हजार रुपये, कैबिनेट मंत्री को 2 हजार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 1 हजार और राज्य मंत्री को 600 रुपये का सत्कार भत्ता हर महीने मिलता है। ये भत्ता असल में हॉस्पिटैलिटी के लिए रहता है। वहीं मंत्रियों से मिलने आने वाले लोगों की मेजबानी पर खर्च होता है।


एक लोकसभा सांसद को सैलरी और भत्ते मिलाकर हर महीने कुल 2.30 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि प्रधानमंत्री को 2.33 लाख, कैबिनेट मंत्री को 2.32 लाख, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को 2 लाख 30 हजार 600 रुपये मिलते हैं।

कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री में अंतर

कैबिनेट मंत्री- कैबिनेट मंत्री मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली होते हैं। ये सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। इन्हें जो भी मंत्रालय दिया जाता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी ही होती है। कैबिनेट मंत्री को एक से ज्यादा मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्रियों का मीटिंग्स में शामिल होना जरूरी होता है। सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट बैठक में ही लेती है।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) - कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों का नंबर आता हैं। इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग प्रधानमंत्री को होती है। इनके पास भी अपना मंत्रालय होता है। ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते।

राज्य मंत्री- राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री की मदद करते हैं। ये सीधे कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। एक मंत्रालय में एक से ज्यादा भी राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है। राज्य मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते हैं।

स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं की भी सुविधा

सांसदों को सरकारी आवास, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ इलाज की सुविधा भी दी जाती है। सांसदों को ये सुविधा इसलिए दी जाती है, ताकि सदस्य अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से और बिना किसी आर्थिक बोझ के पूरा कर सकें।

क्षेत्र के आधार पर विशेष भत्ते

लद्दाख और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सांसदों को विशेष भत्ते भी दिए जाते हैं। विशेष भत्ता इन सांसदों को उनकी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और यात्रा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है, ताकि वे अपनी संसदीय जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकें।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह या लक्षद्वीप के सांसदों को एक मुफ्त स्टीमर पास और उनके आवास से मुख्य द्वीप के निकटतम एयरपोर्ट तक के हवाई किराए के बराबर राशि दी जाती है। लद्दाख के सांसदों को उनके और उनके जीवनसाथी के लिए लद्दाख और दिल्ली के बीच यात्रा के हवाई किराए के बराबर राशि दी जाती है।

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