Ranvijay Singh Judeo: बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सदस्य ने नाराज होकर छत्तीसगढ़ छोड़ा, दिल्ली भाजपा की ली सदस्यता...

Ranvijay Singh Judeo: छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता और राज्यसभा सदस्य रणविजय सिंह जूदेव ने छत्तीसगढ़ को बॉय-बॉय कर दिया है। संगठन से नाराज होकर उन्होंने दिल्ली बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। NPG.NEWS से बात करते हुए उन्होंने कहा कि...

Update: 2025-01-02 13:18 GMT

Ranvijay Singh Judeo: रायपुर। अभी तक आपने छत्तीसगढ़ से मजदूरों का पलायन सुना होगा...रोजी-रोटी की तलाश में यूपी, पंजाब जाते देखा होगा। मगर अब नेता भी लगे हैं पलायन करने। वो भी नेता कोई मामूली नहीं। हिन्दुत्व के प्रयोगशाला रहे जशपुर राजघराने के प्रमुख रणविजय सिंह जूदेव की हम बात कर रहे हैं। रणविजय ने बीजेपी संगठन के रवैये से खफा होकर छत्तीसगढ़ बीजेपी छोड़ दिया है।

रणविजय जूदेव को जशपुर राजपरिवार में राजा की हैसियत हासिल है। वे डॉ0 रमन सिंह की पहली पारी में 2007 के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के चेयरमैन रहे। इसके बाद उन्हें एक बार राज्यसभा सदस्य रहने का मौका मिला।


इसके बाद पार्टी में उनकी सुध लेनी कम कर दी। अलबत्ता, विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कुछ रोड सभाओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने साथ रथ में बिठा उन्हें घुमाया था। उड़ीसा के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी दी थी।

विधानसभा चुनाव के छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में रणविजय कोरबा संसदीय सीट से टिकिट चाह रहे थे। लेकिन, पार्टी ने उनकी बजाए सरोज पाण्डेय को मैदान में उतार दिया।

सियासी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने दिग्गज भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव की बहू को महिला आयोग का सदस्य बनाया है। इससे रणविजय हिल गए। जूदेव परिवार की बहू ने मेम्बर पद स्वीकार भी कर लिया। जूदेव परिवार से जुड़े लोग इसे जशपुर राजघराने को झटका के साथ ही बड़ा डाउनफॉल मान रहे हैं।

स्व0 दिलीप सिंह जूदेव ने हिन्दुओं की घर वापसी ऑपरेशन चलाकर राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी हैसियत बना ली थी कि उनके एक बयान से सरकारें हिल जाती थी। अजीत जोगी को मुख्यमंत्री रहते सीधी चुनौती देने वाला छत्तीसगढ़ में कोई नेता था, तो वे दिलीप सिंह जूदेव थे।

प्रशासनिक आतंकवाद के बयान पर रमन सरकार तक सकते में आ गई थी और बिलासपुर एसपी को तुरंत हटा दिया था। ऐसे परिवार की बहू को महिला आयोग का सदस्य बनाने पर रणविजय सिंह ने सीधे कोई बयान देने से बचते हुए इतना जरूर कहा कि जशपुर राजपरिवार का प्रभाव खतम नहीं हुआ है...इलाके के लोग आज भी काफी स्नेह भाव रखते हैं।

रणविजय के सामने अब कोई स्कोप नहीं बचा है। क्योंकि, पार्टी अगर किसी बोर्ड या निगम में पोस्ट करेगी तो वे इसे डेढ़ दशक पहले होल्ड कर चुके हैं। फिर नए मंत्रियों के विभागों के बोर्ड में रहना उन्हें गवारा नहीं होगा।

NPG.NEWS के इस सवाल पर कि उन्होंने छत्तीसगढ़ क्यों छोड़ दिया, उन्होंने कहा कि उनके पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि वे दिल्ली भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। यह पूछने पर कि आपने छत्तीसगढ़ छोड़ने से पहले सूबे के बीजेपी नेताओं के समक्ष अपनी बात रखीं? उन्होंने कहा कि सबको सब चीजें पता है। रणविजय ने कहा कि वे अब दिल्ली बीजेपी में अपना सियासी भविष्य तलाशेंगे।

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