नए अशोक स्तंभ पर बवाल-नए संसद पर लगाए गए अशोक स्तंभ के शेरों को गुस्से में दिखने पर सियासत तेज, मूर्तिकार सुनील देवरे बोले, लोगों की समझ का फर्क
Ashok Stambh: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल नए संसद भवन की छत पर स्थापित अशोक स्तंभ का उद्घाटन किया। इसके साथ ही अशोक स्तंभ के शेरों को लेकर राजनीति तेज हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि पुराने अशोक स्तंभ में शेरों को संयत और शांत दिखाया गया। मगर नए अशोक स्तंभ में न केवल शेरों के दांत निकले हुए दिखाए गए हैं, बल्कि गुस्से में दिख रहा है। विपक्षी दलों में इसका विरोध करने होड़ मच गई। तृण मूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस पर रोष जताया तो राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर कहा कि मूल अशोक स्तंभ के चारों शेरों के चेहरे पर सौम्यता का भाव है। जबकि नए अशोक स्तंभ के शेरों के चेहरे पर सब कुछ निगल लेने का भाव है। ट्वीट में लिखा है कि हर प्रतीक चिन्ह, इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दिखाता है कि उसकी फितरत क्या है। ट्वीट के साथ नए और पुराने अशोक के स्तंभ की तस्वीर भी लगी हुई है।
#UrbanNaxals want a silent lion without teeth. So that they can use it as a pet. https://t.co/85u7mnWBw0
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) July 12, 2022
वहीं वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि यह मोदी का नया इंडिया है। उन्होंने मूल अशोक स्तंभ पर बने सिंहों को महात्मा गांधी के जैसा शांत और शानदार बताया है। वहीं नए संसद भवन पर बने सिंहों को गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जैसा बताया है। उन्होंने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा है, गांधी से गोडसे तक।
9500 किलो का अशोक स्तंभ
कांस्य से निर्मित नया अशोक स्तंभ 6.5 मीटर लंबा है तथा 9500 किलो वजन है। यही नहीं, 6500 किलो का इसका सपोर्टिंग स्ट्रक्चर है। 1200 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे नए संसद भवन का निर्माण इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। आपको बता दें कि इस स्तंभ को 150 टुकड़ो में बांटकर लगाने में करीब दो महीने का वक्त लगा।
अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही! आख़िरकार स्वतंत्र भारत का शेर है। ज़रूरत पड़ी तो काट भी सकता है! जय हिंद! 🙏🇮🇳🙏 Video shot at #PrimeMinistersSangrahlaya pic.twitter.com/cMqM326P2C
— Anupam Kher (@AnupamPKher) July 13, 2022
मूर्तिकार देवरे बोले...
मूर्तिकार सुनील देवरे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अशोक स्तंभ पर शेरों के चित्र समानांतर दृष्टि से लिए गए हैं। यदि मूल संरचना को तिरछी दृष्टि से देखें, तो नीचे से, शेर गुस्से में दिखेंगे। अशोक स्तंभ मॉडल सारनाथ के अशोक स्तंभ से लगभग 20 गुना बड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरी मूर्ति को सही परिप्रेक्ष्य में देखने के लिए इसे आदर्श रूप से 1-2 किलोमीटर की दूरी से देखा जाना चाहिए। चेहरे के भाव अलग-अलग कोणों से नग्न आंखों से अलग महसूस हो सकते हैं। देवरे ने कहा कि 21 फुट ऊंचे अशोक स्तंभ को तीन भागों में ढाला गया है...शेरों का आधार और पैर, मध्य और शेर के चेहरे। इनमें से प्रत्येक को अलग-अलग कास्ट किया गया और संसद की छत पर इकट्ठा किया गया। डिजाइनरों और वास्तुकारों को भी 33 मीटर की ऊंचाई पर हवा के दबाव को ध्यान में रखना पड़ा, जहां कि मूर्तिकला स्थापित है।
बताते हैं, अशोक स्तंभ की मूर्ति बनाने को लेकर काम की शुरुआत देवरे ने टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के साथ कई दौर की बैठकें हुईं। दरअसल टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ही नई संसद परियोजना को क्रियान्वित कर रही है।
द कश्मीर फाइल्स के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट कर लिखा, 'सेंट्रल विस्टा पर लगे नए राष्ट्रीय प्रतीक ने एक बात साबित कर दी है कि सिर्फ एंगल बदलकर अर्बन नक्सलियों को बेवकूफ बनाया जा सकता है. विशेष रूप से लो एंगल।' वहीं एक अन्य ट्वीट में विवेक ने वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को कोट-ट्वीट करते हुए लिखा, 'अर्बन नक्सलियों को बिना दांतों वाला खामोश शेर चाहिए। ताकि वे इसे पालतू जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकें।' अभिनेता अनुपम खेर ने लिखा, 'अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही! आख़िरकार स्वतंत्र भारत का शेर है। ज़रूरत पड़ी तो काट भी सकता है! जय हिंद!'