Nandkumar Sai के लिए BJP का ओपन ऑफर : विष्णुदेव साय ने कहा –साय कैसे कांग्रेस के ट्रैप में फंस गए, भरोसा नहीं हो रहा, भाजपा के दरवाजे उनके लिए खुले

Update: 2023-05-01 10:59 GMT

रायपुर. छत्तीसगढ़ भाजपा ने वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय के लिए ओपन ऑफर दिया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि यदि नंदकुमार साय ने किसी दबाव में आकर यह फैसला लिया है तो भाजपा के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं. साय ने सवाल किया है कि जिस कांग्रेस ने पूरे देश और छत्तीसगढ़ को ठगा वो साय जी के साथ क्या न्याय करेंगे? जिस कांग्रेस ने आदिवासियों का हमेशा अपमान किया, वहां वे कैसे सहज रहेंगे?

एकात्म परिसर में मीडिया से बातचीत में विष्णुदेव साय ने कहा, 'हम सबके लिए नंद कुमार साय हमेशा आदरणीय रहे हैं. उनका इस तरह एक ऐसी पार्टी में चला जाना जिस पार्टी ने निजी तौर पर भी उन्हें प्रताड़ित करने, शारीरिक हमला करा उनकी जान तक लेने की साजिश श रची हो, निस्संदेह हम सबके लिए दुखद है.

वे लगातार कांग्रेस की अनीतियों के विरुद्ध आवाज उठा रहे थे. हाल ही में उन्होंने कांग्रेस द्वारा आदिवासी आरक्षण छीने जाने के खिलाफ धरना भी दिया था. उन्होंने पार्टी द्वारा आयोजित विधानसभा घेराव कार्यक्रम में कांग्रेस सरकार के रहने तक बाल नहीं कटाने का संकल्प भी लिया था.

ऐसे में अकस्मात ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हो गयी, जिसके कारण साय ने यह कदम उठाया, यह संदेह पैदा करता है. कहीं किसी अनुचित दबाव में तो नहीं हैं साय, इसे देखना होगा.'

विष्णुदेव साय ने कहा, 'पार्टी में ऐसा शायद ही कोई बड़ा दायित्व हो, जिस पर वे नहीं रहे हों. 46 वर्ष से अधिक वे पार्टी के महत्वपूर्ण और शीर्ष पदाधिकारी रहे हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद, प्रथम नेता प्रतिपक्ष, विधायक, एसटी आयोग के अध्यक्ष, प्रदेश के कोर कमेटी सदस्य समेत कोई भी पद ऐसा नहीं है, जिसे उन्होंने ग्रहण नहीं किया हो. साय जी जैसे वरिष्ठतम नेता इस तरह कांग्रेस जैसी पार्टी के ट्रैप में फंस जाएंगे, भरोसा नहीं हो रहा है.

भाजपा का भरोसा साय जी पर हमेशा रहा है. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पहले चुनाव के ऐन मौक़े पर जब उनकी पुत्री ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, तब भी नंद कुमार साय पार्टी के शीर्ष नेता रहे थे, और जरा भी किसी कार्यकर्ता ने कोई संदेह नहीं किया था, लेकिन वह इतिहास ऐसे खराब तरीके से दोहराया जाएगा, इसकी रत्ती भर भी उम्मीद नहीं थी.

हमें आज भी अपने वरिष्ठ नेता के मान-सम्मान की अधिक चिंता है. स्व. करुणा शुक्ला जी का उदाहरण हमारे सामने है. वे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थीं. जब कांग्रेस जैसी लगभग स्थानीय पार्टी जितनी हैसियत में रह गयी पार्टी में वे प्रदेश उपाध्यक्ष बनायी गयीं, उसके जिस तरह से कांग्रेस ने उनका इस्तेमाल किया और एकाकी जीवन जीते हुए, अपने पुराने परिवार के कार्यकर्ताओं की पीड़ा का ज़िम्मेदार समझती हुई करुणा जी जैसे पीड़ा में अंत समय तक रही, वह इतिहास है.

ऐसे महत्वपूर्ण समय पर, जब कांग्रेस ने आदिवासी आरक्षण से वंचित कर दिया है छत्तीसगढ़ को, साय को प्रखर और मुखर होकर कांग्रेस के खिलाफ खड़ा होना था.

भाजपा कोई कांग्रेस या अन्य ऐसे दल की तरह किसी एक परिवार से नहीं चलती. यहां दायित्व भी लगातार बदलता रहता है. कार्यकर्ता आधारित इस दल में कोई पंचायत या वार्ड का कार्यकर्ता भी शीर्ष तक पहुंच सकता है, जैसे साय भी पहुंचे थे. ऐसे ही हमेशा होते आया है और इस व्यवस्था का सम्मान होना चाहिए. अगर वास्तव में उन्होंने किसी दबाव में आ कर ऐसा कदम उठाया होगा तो भाजपा के लिए उनके दरवाजे खुले हैं.

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इस दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम, प्रदेश प्रवक्ता नलिनीश ठोकने और मीडिया विभाग के प्रभारी अमित चिमनानी भी मौजूद थे.

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