मानसून मेहरबान, भाजपा का आरोप दो महीने से नहीं मिल रही महामाया, खाद- बीज की कालाबाजारी से किसान परेशान

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Update: 2023-06-27 06:10 GMT

रायपुर। मानसून का इंतजार खत्‍म हो गया है। पिछले दो-तीन दिनों से राज्‍य के ज्‍यादातर हिस्‍सों में अच्‍छी बारिश हो रही है। इसके साथ ही किसान खेती- किसानी मे व्‍यस्‍त हो गए हैं। इस बीज भाजपा ने प्रदेश में खाद- बीज की कलाबाजारी का आरोप लगाया है। भाजपा का आरोप है कि पूरे राज्‍य में खाद- बीज की कालाबाजारी हो रही है।

भातपा के प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने कहा है कि मानसून प्रदेश में सक्रिय हो चुका है और कृषि कार्य अब जोर पकड़ने वाला है तब सहकारी समितियों से किसानों को बीज के लिए भटकना पड़ रहा है और आगे चलकर खाद की किल्लत से भी किसान परेशान होंगे। शर्मा ने कहा कि प्रदेश की सहकारी समितियों से पिछले दो माह से महामाया (राजेश्वरी) धान का बीज नहीं मिल रहा है। इससे किसानों को यह बीज 24 रुपये के बजाय खुले बाजार में निजी दुकानों से 70 से 75 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदने के लिए विवश होना पड़ रहा है। शर्मा ने इसे धान बीज की कालाबाजारी बताते हुए कहा कि बीज उत्पादक किसानों ने जो महामाया (राजेश्वरी) धान बीज का उत्पादन किया था, वह बीज कहां गया, यह बताना सरकार की जवाबदेही है।


भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि अब बारिश शुरू हो गई है और खेतों में धान बीज के अंकुरण के साथ ही किसानों को यूरिया खाद की जरूरत पड़ेगी। प्रदेश सरकार एक बार फिर यूरिया खाद की आपूर्ति सहकारी समितियों को नहीं कर रही है और किसान फिर खाद की कालाबाजारी के मकड़जाल में फंसने के लिए विवश होंगे।

कांग्रेस का पटलवार, मोदी राज में खेती घाटे का सौदा और किसान हो गए हैं बदहाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि देश की 78 प्रतिशत आबादी की जीविका का प्रमुख आधार खेती और किसान दोनों बदहाल हो चुके है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण देश में खेती घाटे का व्यवसाय बन गई। डीजल के बढ़े दाम, उर्वरकों की कीमत और कृषि यंत्रों के दाम दुगुने होने के कारण खेती का लागत मूल्य दुगुना हो गया और किसानों का समर्थन मूल्य मोदी राज में मात्र 17 प्रतिशत के औसत से ही बढ़ा है। मोदी राज देश के किसानों के लिए आपदा का काल साबित हो रहा है।

मरकाम ने कहा कि मोदी ने 2014 के चुनाव के पहले वायदा किया था 2022 तक किसानों की आय दुगुनी की जाएगी और कृषि उपज के लागत मूल्य का ज्यादा समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा लेकिन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशो को मानने का भरोसा दिलाने वाले मोदी ने हर साल किसानों से धोखा किया। मोदी और भाजपा किसान से दो बड़े वादे कर सत्ता में आए। पहला वादा था, किसान के समर्थन मूल्य की लागत 50 प्रतिशत मुनाफा पर निर्धारित करना। दूसरा वादा था कि इस मूल्य निर्धारण के फॉमूले से साल 2022 तक देश के 62 करोड़ किसान की आय दोगुनी हो जाना। दोनों बातें सफेद झूठ साबित हुई है। किसान साल दर साल ठगे जाते रहे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के धान उत्पादक किसानों के साथ मोदी सरकार लगातार धोखेबाजी कर रही है। यूपीए सरकार के 10 सालों में धान के समर्थन मूल्य में 142.85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई थी। जब मनमोहन सरकार बनी तब धान का समर्थन मूल्य 560 रुपये था, मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार में धान का समर्थन मूल्य बढ़कर 1360 रुपये हो गया था। मोदी सरकार के 10वें साल में धान का मूल्य अब जाकर 2183 रुपये.घोषित हुआ है जो यूपीए सरकार में मिलने वाली कीमत में मात्र 60.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है।

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