इस राज्य में हलाल मीट बैन करने की तैयारी में सरकार, विधानसभा में लाया जा रहा विधेयक...
NPG न्यूज़
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र बेलगावी में आज से शुरू हो गया। इस सत्र में राज्य सरकार हलाल मांस पर प्रतिबंध लगा सकती है। बसवराज बोम्मई सरकार ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। सदन में इसे रखा जाएगा। विपक्ष ने राज्य की भाजपा सरकार पर चुनाव से पहले हिंदुत्व कार्ड खेलने का आरोप लगाया है।
भाजपा विधायक एन रविकुमार ने FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से सर्टिफाइड फूड आइटम्स के अलावा अन्य चीजों पर बैन लगाने की मांग की है। चूंकि राज्य में हिजाब बैन को लेकर पहले से ही राजनीतिक माहौल गरम है, ऐसे में अब हलाल मीट बैन पर विपक्ष को एक नया मुद्दा मिल गया है। भाजपा की इस मांग को अगले साल मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव में करीब 6 महीने का ही समय बचा है। ऐसे में सरकार और विपक्ष के बीच धर्मांतरण को लेकर सदन में तीखी बहस होने की उम्मीद है।
इस मुद्दे पर इस साल मार्च में भी उस समय अशांति पैदा हो गई थी, जब हिंदूवादियों ने उगाड़ी उत्सव के दौरान राज्य में हलाल मांस के बहिष्कार का आह्वान किया था। भाजपा का एक धड़ा विधेयक पारित कर इसे कानूनी मान्यता देना चाहता है। रविकुमार ने इसे एक निजी बिल के रूप में पेश करने की योजना बनाई और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को इस बारे में लिखा था। हालांकि, अब इसे वे सरकारी विधेयक के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहे हैं।
कर्नाटक की भाजपा सरकार यदि हलाल मांस पर पाबंदी के लिए सरकारी विधेयक लाती है तो इससे चुनावी राज्य का सियासी माहौल गर्मा सकता है। भाजपा एमएलसी एन रविकुमार ने कहा कि अब पार्टी नेतृत्व हलाल मीट पर पाबंदी के लिए कानून बनाने के पक्ष में है। कांग्रेस ने पिछले सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी विधेयक को लेकर भाजपा सरकार का कड़ा विरोध किया था। अब इस बार प्रस्तावित हलाल मीट विधेयक तकरार की वजह बन सकता है।
जानिए झटका और हलाल मांस के बारे में
आइए जानते हैं कि आखिर क्या है हलाल और गैर हलाल मांस, आखिर इन दोनों मांस में किस तरह का अंतर होता है। अरबी में हलाल का अर्थ होता है उपभोग के योग्य। हलाल की प्रक्रिया में जानवर को धीरे धीरे मारा जाता है ताकि उसके शरीर का पूरा खून निकल जाए। हलाल प्रक्रिया में जानवरों को काफी दर्द पहुंचता है। हलाल मीट के लिए जानवर की सांस वाली नस काट दी जाती है, जिसके कुछ देर बाद ही उसकी जान चली जाती है।
वहीं दूसरी तरफ झटका में एक ही झटके में धारदार हथियार से जानवर की रीढ़ पर प्रहार किया जाता है ताकि जानवर बिना दर्द के एक झटके में मर जाए। कहा जाता है कि झटका में जानवरों को मारने से पहले उनके दिमाग को शून्य कर दिया जाता है ताकि उसे दर्द का एहसास न हो।