Congress MLA Bhupesh Baghel Biography in Hindi: कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल का जीवन परिचय...

MLA Bhupesh Baghel Biography:– कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी के व ओबीसी समाज के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। वह छत्तीसगढ़ राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री थे। 2023 विधानसभा का चुनाव भूपेश बघेल ने भाजपा के प्रत्याशी व दुर्ग के सांसद विजय बघेल को 19723 मतों के अंतर से हरा कर जीता। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 2018 में चुनाव जितवाया था। युवक कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले भूपेश बघेल 1993 में पहली बार पाटन से विधायक बने थे। 2023 में वह छठवीं बार पाटन विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के वे युवक कांग्रेस उपाध्यक्ष भी रहे हैं। साथ ही 1993 से लगातार मनवा कुर्मी समाज के संरक्षक भी हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में दिग्विजय सरकार में मंत्री रहने के साथ ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश के पहले मंत्रिमंडल में भी वे शामिल रहे। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में वे दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे। पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। प्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा की पुत्री मुक्तेश्वरी बघेल से उनकी शादी हुई।

Update: 2023-07-26 11:21 GMT

Congress MLA Bhupesh Baghel Biography in Hindi: कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी के व ओबीसी समाज के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। वह छत्तीसगढ़ राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री थे। 2023 विधानसभा का चुनाव भूपेश बघेल ने भाजपा के प्रत्याशी व दुर्ग के सांसद विजय बघेल को 19723 मतों के अंतर से हरा कर जीता। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 2018 में चुनाव जितवाया था। युवक कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले भूपेश बघेल 1993 में पहली बार पाटन से विधायक बने थे। 2023 में वह छठवीं बार पाटन विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के वे युवक कांग्रेस उपाध्यक्ष भी रहे हैं। साथ ही 1993 से लगातार मनवा कुर्मी समाज के संरक्षक भी हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में दिग्विजय सरकार में मंत्री रहने के साथ ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश के पहले मंत्रिमंडल में भी वे शामिल रहे। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में वे दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे। पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। प्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा की पुत्री मुक्तेश्वरी बघेल से उनकी शादी हुई।

  • पिता का नाम–नंद कुमार बघेल माता का नाम–बिंदेश्वरी बघेल
  • जन्मतिथि –23 अगस्त 1961, जन्म स्थान:– रायपुर, जिला रायपुर छत्तीसगढ़
  • विवाह की तिथि– 3 फरवरी 1982
  • पत्नी का नाम –मुक्तेश्वरी बघेल पत्नी की जन्मतिथि– 25 अप्रैल 1961
  • संतान–1 पुत्र चैतन्य 3 पुत्री, स्मिता, दिप्ती,दिव्या
  • शैक्षणिक योग्यता–एमए पूर्व
  • व्यवसाय– कृषि
  • कुल संपत्ति– 23 करोड़ रुपए
  • स्थाई पता– मानसरोवर आवासीय परिसर, भिलाई– 3, ग्राम कुरूदडीह पोस्ट बटंग
  • तहसील पाटन, जिला दुर्ग छत्तीसगढ़
  • मोबाइल नंबर:– 94252–36733,
  • राजधानी रायपुर में स्थानीय पता:– मुख्यमंत्री निवास सिविल लाइन रायपुर छत्तीसगढ़
  • अभिरुचि साहित्य पठन, योग खेलकूद

विशेष उपलब्धियां–

1– वृहद स्वाभिमान रैली,रायपुर –19 जुलाई 2000, बिलासपुर–30 अगस्त 2000

2– वृहद सामूहिक विवाह, छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी समाज रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सेलूद।

विदेश यात्राएं:– ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, थाईलैंड,सिंगापुर,नेपाल, यूएसए

सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का परिचय:–

भूपेश बघेल ने युवक कांग्रेस से कांग्रेस की राजनीति शुरू की। वर्ष 1985 में वह भारतीय युवक कांग्रेस में शामिल हुए। वर्ष 1990 में वह भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1994 तक इस पद पर रहें। वर्ष 1993 में वह पाटन निर्वाचन क्षेत्र से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1993 से वह छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी समाज के संरक्षक हैं। 1993 से लेकर वर्ष 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निर्देशक के रूप में काम किया। वर्ष 1994 में भूपेश बघेल को मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और एक वर्ष तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया। वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में वह दोबारा से पाटन से चुने गए और दिग्विजय सिंह की सरकार में राज्य मंत्री (लोक शिकायत विभाग में) नियुक्त किए गए। उसी सरकार में उन्हें दिसंबर 1999 में परिवहन मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया। वे 1993, 1998, 2003, 2008, व 2018 में विधायक चुने गए है।

जनवरी 2000 में उन्हें मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त गया और जब छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया, तो बघेल राजस्व, लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और राहत कार्य के पहले मंत्री बने और 2003 तक इस पद पर बने रहे। वर्ष 2003 में पाटन निर्वाचन क्षेत्र से छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्य बने और 2008 तक विपक्ष के उपनेता रहे। वर्ष 2014 में भूपेश बघेल को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने लड़ा और भारी बहुमत से सरकार बनाई। 17 दिसंबर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके पास सामान्य प्रशासन,वित्त,खनिज, जनसंपर्क, विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग है।

पाटन विधानसभा दुर्ग जिले में आता है। जिसे विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 62 के नाम से भी जाना जाता है। पाटन विधानसभा एक अनारक्षित सीट है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 195539 है। जिसमें से कुल 162669( 83. 19%) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को 84352 ( 51.85%) वोट मिले है। जबकि भाजपा प्रत्याशी मोतीलाल साहू को 56875(34.96%)वोट मिले।

2023 के विधानसभा में जीत की कहानी:–

कांग्रेस के भूपेश बघेल को 95,438 (51.91%) वोट मिले। भाजपा के विजय बघेल को 75715 (41.18%) वोट मिले। कांग्रेस के भूपेश बघेल 19723 मतों के अंतर से चुनाव जीते। जनता कांग्रेस के अमित जोगी ने 4822 वोट मिले।

पाटन में मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल के काम को जनता का समर्थन मिला। पांच साल में पाटन क्षेत्र के विकास में उन्होंने खास ध्यान दिया। कृषि के साथ ही चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में कई सौगाते दी। जिसका उन्हें फायदा मिला। मुख्यमंत्री के रूप में क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने में जोर दिया। नरवा, गरवा, घुरुवा, बारी का सबसे अधिक काम पाटन में हुआ। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने क्षेत्र में सक्रियता कायम रखी। लोगों के साथ सतत संपर्क कायम रखने के साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ सतत संवाद कायम रखा। क्षेत्र में महिला समूहों को लगातार प्रोत्साहित किया। उनके बीच गए और उनके उत्पादों को जनता तक पहुंचाने का काम किया। क्षेत्र में रिकार्ड काम करवाया। हर समाज के लोगों के लिए उनका भवन उपलब्ध करवाने के लिए भरपूर मदद की जिसका उन्हें फायदा मिला।

साहू मतदाताओं को साधने में विजय बघेल असफल रहें। जबकि साहू समाज के वोटो में सेंध लगाने में भूपेश बघेल सफल रहें। ईडी के कई आरोपों और विवादों में घिरे होने के बाद भी चुनाव प्रबंधन को बेहतर अंजाम दिया। कुर्मी समाज को भी एकजुट किया। भाजपा ने जातिगत समीकरण का कार्ड खेला था। भूपेश और अमित जोगी के बीच तनातनी का फायदा उठा कर सतनाम और आदिवासी वोट हासिल करने की रणनीति थी, लेकिन सफल नहीं हुए।

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