Chhattisgarh News: राजभवन और सरकार के बीच तल्खी: जानिये... किस राज्यपाल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा रही तनातनी
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ राज्य को बने हुए करीब 24 साल हो गए हैं। निवर्तमान राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन प्रदेश के 9वें राज्यपाल थे। प्रदेश के अब तक के नौ राज्यपालों में शुरुआत 4 राज्यपाल गैर राजनीतिक थे। इसके बावजूद गाहे-बगाहे राजभवन और सरकार के बीच अनबन की खबरें आती रहती थीं, लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब सरकार और राजभवन के बीच तल्खी की खबरें बहुत चर्चा में रही।
Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ राजभवन में नए राज्यपाल रामेन डेका का स्वागत की तैयारी चल रही है। आज शाम को वे रायपुर पहुंच रहे हैं। इससे पहले आज राजभवन ने निवर्तमान राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को विदाई दी। माना जाता है कि राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रुप में होती है। यही वजह है कि अक्सर जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकार रहती है तो राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव की खबरें सुखियों में रहती है। इसका ताजा उदाहरण बंगाल है।
छत्तीसगढ़ में राजभवन और सरकार के बीच हमेशा से अच्छे रहे हैं। प्रदेश के शुरुआती 3 सालों में केंद्र में एनडीए और राज्य में कांग्रेस की सरकार रही। इसके बाद 15 सालों तक राज्य में बीजेपी की सरकार रही, इस दौरान ज्यादातर समय केंद्र में यूपीए की सरकार रही। इस दौरान इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दें तो कभी राजभवन और सरकार के बीच किसी तरह की अनबन की खबरें नहीं आई, लेकिन 2018 के बाद राजभवन और सरकार के बीच तल्खी की चर्चा लगातार होती रही।
2018 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई, जबकि केंद्र में एनडीए की सरकार थी। जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने अनुसुईया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया। पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की उइके ने अपनी राजनीतिक की शुरुआत कांग्रेस से की थी, बावजूद इसके सरकार और राजभवन के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे।
राजभवन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार के बीच विवाद की खबरें तक सुर्खियों में आई जब राज्यपाल उइके ने किडनी की बीमारी से प्रभावित गरियाबंद जिला के दौरे का ऐलान किया। राज्य सरकार ने उन्हें हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं कराया तो उन्होंने सड़क मार्ग से ही वहां जाने की तैयारी कर ली। मामला मीडिया में आया तो सरकार ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए न केवल राज्यपाल को हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया बल्कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी उनके साथ भी गए।
इसके बाद कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ तो राज्य सरकार ने कुलपति की नियुक्ति के नियमों में संशोधन का विधेयक पारित कर दिया। लेकिन विधेयक को राजभवन से मंजूरी नहीं मिली। इसी तरह विश्वविद्यालयों का नाम बदलने वाले विधयकों को भी राजभवन में रोक दिया गया।
सबसे ज्यादा विवाद जातिगत आरक्षण को लेकर हुआ। राज्य सरकार ने प्रदेश में एससी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण में बदलाव किया। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर संशोधन विधेयक पास किया गया, लेकिन राज्यपाल ने विधेयक को रोक दिया। फरवरी 2023 में उइके की विदाई तक राजभवन और सरकार के बीच तल्खी बनी रही।