Chhattisgarh News: अमित की शाह से भेंट पर गरमाई भाजपा की राजनीति: जूदेव की दावेदारी वाली कोरबा और बिलासपुर संसदीय सीट से जोगी के नाम की चर्चा

Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ के पूर्व मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र और जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ (जे) के अध्‍यक्ष अमित जोगी ने 8 जनवरी को राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह से भेंट की। इस मुलाकात से प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। प्रदेश भाजपा की अंदरुनी राजनीति में इसको लेकर काफी चर्चा है।

Update: 2024-01-14 07:12 GMT
Chhattisgarh News: अमित की शाह से भेंट पर गरमाई भाजपा की राजनीति: जूदेव की दावेदारी वाली कोरबा और बिलासपुर संसदीय सीट से जोगी के नाम की चर्चा
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Chhattisgarh News: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के पहले मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ (जे) का भाजपा में विलय होगा..? अप्रैल- मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में जकांछ के अध्‍यक्ष अमित जोगी भगवा झंडा थामे नजर आएंगे.. ? क्‍या अमित जोगी को भाजपा लोकसभा का टिकट देगी..?

अमित जोगी और भाजपा के बीच रिश्‍ता को लेकर ऐसे सवाल अचानक पूछे जाने लगे हैं। ये सवाल राजधानी रायपुर से लेकर बिलासपुर, कोरबा और जशपुर तक चर्चा में हैं। सियासी गलियारों में उठ रहे इन सवालों की वजह से अमित जोगी की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात। अमित ने शाह से दिल्‍ली में 8 जनवरी को भेंट की। दावा किया जा रहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात की जानकारी प्रदेश के किसी भी भाजपा नेता को नहीं थी। यहां तक की मीडिया भी इस मुलाकात से बेखबर थी। अमित जोगी ने शाह से मुलाकात की फोटो एक दिन बाद 9 जनवरी को सोशल मीडिया में शेयर की। इसके बाद से यह ही यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस मुलाकात के दौरान जोगी और शाह के बीच किन मुद्दों पर क्‍या बात हुई यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है, लेकिन फोटो वायरल होने के बाद से अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इसका असर कोरबा और बिलासपुर लोकसभा सीट से दावेदारी कर रहे भाजपा नेताओं पर पड़ रहा है। इन दोनों सीटों पर भाजपा के कई नेताओं की नजर है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कोरबा सीट अभी कांग्रेस के पास है। वहीं, बिलासपुर सीट से 2019 में सांसद चुने गए अरुण साव अब लोरमी सीट से विधायक हैं और छत्‍तीगसढ़ सरकार में डिप्‍टी सीएम है।

जोगी और शाह की मुलाकात के बाद चर्चा यह है कि जोगी अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर देगें बदले में भाजपा उन्‍हें कोरबा या बिलासपुर से लोकसभा का टिकट देगी। इन चर्चाओं में कितना दम है यह तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा, लेकिन इसकी वजह से भाजपा की अंदरुनी राजनीति गरमा गई है। जोगी और जूदेव परिवार के बीच राजनीतिक अदावत पुरानी है। ऐसे में अमित जोगी के भाजपा प्रवेश और लोकसभा टिकट की दावेदारी से सबसे ज्‍यादा चर्चा जूदेव परिवार यानी राजा रणविजय सिंह जूदेव को लेकर हो रही है। कोरबा और बिलासपुर संसदीय सीट से भाजपा के सबसे मजबूत दावेदारों में एक नाम राजा रणविजय सिंह जूदेव का नाम है। जूदेव कोरबा, बिलासपुर और रायपुर तीनों में से किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

बताते चले कि जूदेव ने विधानसभा चुनाव के दौरान रायपुर उत्‍तर सीट से दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने उन्‍हें टिकट नहीं दिया। इसके कारण जूदेव नाराज हो गए थे। बावजूद इसके पार्टी ने उन्‍हें साधे रखा। केंद्रीय मंत्री शाह जब रायगढ़ संसदीय सीट के विधानसभा सीटों में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे तो पूरे समय जूदेव को अपने साथ ही रखा। जूदेव के प्रभाव वाली सीटों पर भाजपा प्रदर्शन बेहतर रहा। जूदेव का गढ़ कहे जाने वाले जशपुर जिला की तीनों सीट भाजपा जीती है। जशपुर में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से जूदेव की दावेदारी और मजबूत हुई है।

जानिए... अमित और शाह की मुलाकात कितनी सियासी

अमित जोगी और अमित शाह की मुलाकात को लेकर जहां कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं वहीं, प्रदेश भाजपा संगठन के बड़े नेता इसे सामान्‍य मुलाकात बता रहे हैं। एक नेता ने कहा कि यह सही है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश की सभी 11 सीट जीतना चाह रही है, लेकिन यह काम अम‍ित जोगी के बिना भी पार्टी कर सकती है।वैसे भी अमित जोगी के पास अब कोई बड़ा वोट बैंक नहीं बचा है। विधानसभा चुनाव में जोगी परिवार के 3 लोग मैदान में थे। इनमें अमित की पत्‍नी ऋचा जोगी को छोड़ दें तो बाकी दोनों को 10 हजार वोट भी नहीं मिला है। प्रदेश संगठन में अच्‍छी दखल रखने वाले भाजपा के एक प्रदेश प्रवक्‍ता ने कहा कि अमित जोगी से भाजपा को कोई फायदा नहीं होगा, उल्‍टे पार्टी कई मुद्दों पर उनका बचाव करना पड़ेगा।

अपनी पार्टी का विलय नहीं करेंगे अमित

सबसे बड़ी बात यह है कि अमित जोगी अपनी पार्टी जकांछ का विलय नहीं करेगें। वजह यह है कि अमित की अपनी अलग सोच है और काम करने का तरीका भी अलग है, जो भाजपा क्‍या कांग्रेस से भी मेल नहीं खाती है। जकांछ की स्‍थापना उनके स्‍वर्गीय पिता अजीत जोगी ने की थी। पार्टी में कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो अजीत जोगी के कारण पार्टी से जुड़ा हुआ है। पार्टी के विलय से इन हार्डकोर जोगी समर्थकों को भी धक्‍का लगेगा।

केवल चर्चा में बने रहेने के लिए...मुलाकात

वहीं, राजनीतिक जानकार इसे अमित जोगी का चर्चा में बने रहने का तरीका बता रहे हैं। इससे पहले भी अमित जोगी ऐसी कई कोशिश कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी ने कुछ खास नहीं किया। अमित जोगी पाटन सीट से विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव के दौरान भी उन्‍हें ज्‍यादा तवज्‍जों नहीं मिला और न ही इतना वोट ही हासिल कर पाए कि जिसकी वजह से उनकी चर्चा हो सके। विधानसभा चुनाव के बाद से जोगी पूरी तरह चर्चा से बाहर हो गए हैं।

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