Chhattisgarh Assembly Election: विधायक के भोलेपन का फायदा उठाकर लोगों ने त्‍यागपत्र पर कर लिया हस्‍ताक्षर, जानिए...फिर क्‍या हुआ

Chhattisgarh Assembly Election:

Update: 2023-10-13 12:01 GMT

Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। क्‍या कोई विधायक इतना भी सीधा और सरल हो सकता है कि कोई उनसे त्‍यागपत्र पर हस्‍ताक्षर करा ले और उन्‍हें पता भी नहीं चले। जी..हां, छत्‍तीसगढ़ में एक ऐसे भी विधायक हुए हैं, जिनके भोलेपन का फायदा उठाकर कुछ लोगों ने उनसे न केवल त्‍यागपत्र पर हस्‍ताक्षर करा लिया बल्कि मंजूरी के लिए विधानसभा अध्‍यक्ष के पास भेज भी दिया। यह कहानी ज्‍यादा पुरानी नहीं, लेकिन इसके बारे में ज्‍यादा लोग जनते भी नहीं हैं।

यह कहानी है अविभाजित मध्‍य प्रदेश में विधायक रहे टेटकू राम साहू की। टेटकू राम 1980 में रायपुर जिला की अभनपुर सीट से विधायक चुने गए थे। उन्‍हें अक्षर ज्ञान नहीं था। कांग्रेस ने 1980 के चुनाव में उन्‍हें अभनपुर सीट से टिकट दिया। टेटकू राम का मुकाबला भाजपा के रिखीदास वैष्‍णव से हुआ। बताते हैं दोनों के बीच कांटे की टक्‍कर हुई। टेटकू राम को कुल 15949 वोट मिले। वहीं भाजपा के रिखीदास को 15218 वोट। इसी तरह 713 मतों के अंतर से टेटकू राम विधायक बन गए।

1980 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और अर्जुन सिंह मुख्‍यमंत्री बने। बताया जाता है कि टेटकू राम को एक तो अक्षर ज्ञान नहीं था दूसरे बहुत सीधे और सरल थे। कोई भी उन्‍हें कुछ कहता वो उसे मान जाते। उन्‍हें विधायक बने अभी दो साल ही हुए थे कि अचानक एक दिन उनका इस्‍तीफा तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष यज्ञदत्‍त शर्मा की टेबल पर पहुंच गया। सत्‍तारुढ़ पार्टी के विधायक का इस्‍तीफ देखकर विधानसभा अध्‍यक्ष चौक गए। इस बीत की जानकारी मुख्‍यमंत्री अर्जुन सिंह तक पहुंची। मुख्‍यमंत्री के आग्रह पर विधानसभा अध्‍यक्ष ने टेटकू राम का इस्‍तीफा होल्‍ड कर दिया। इसके बाद टेटकू राम को भोपाल बुलाया गया। जब उनसे इस्‍तीफा के संबंध में पूछा गया तो अनभिज्ञता जाहिर कर दी। बताया कुछ करीबी लोगों ने एक कागज पर हस्‍ताक्षर कराया था, लेकिन उसमें क्‍या लिखा था मैं नहीं जनता। टेटकू से बात करने के बाद उनका इस्‍तीफा रद्द कर दिया गया।

इस बात की चर्चा आज भी होती है कि आखिर उनसे इस्‍तीफा पर हस्‍ताक्षर किसाने कराया था। इसको लेकर दो तरह की बाते कहीं जाती हैं। कुछ लोग बताते हैं कि कॉलेज के कुछ छात्रों ने मिलकर विधायक से इस्‍तीफा पर हस्‍ताक्षर कराया था। एक चर्चा यह भी होती है कि कांग्रेस के ही उनके कुछ करीबी लोगों ने यह किया था।

बहरहाल 1985 के चुनाव में पार्टी ने टेटकू राम को टिकट नहीं दिया। उनके स्‍थान पर कांग्रेस ने सोमनाथ साहू को मैदान उतारा, जबकि भाजपा की तरफ से चंद्रशेखर साहू चुनावी रण में उतरे। इस बार भाजपा के प्रत्‍याशी चंद्रशेखर साहू ने कांग्रेस को 462 वोटो से मात दे दिया।

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