Chhattisgarh Assembly Election 2023 Lormi Seat 26. लोरमी विधानसभा: गजब का है इस सीट के वोटरों का मिजाज, दो बार रहा राम राज्‍य, बुलंद हुआ भगवा परचम भी, लेकिन पंजा की पकड़ रही सबसे मजबूत

Chhattisgarh Assembly Election 2023 Lormi Seat 26. लोरमी विधानसभा के रिकॉर्ड भी अजब-गजब हैं। यहां से धर्मजीत सिंह और राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अलावा कोई भी विधायक रिपीट नहीं हुआ। या तो वह दूसरा चुनाव ही नहीं लड़ पाया या फिर उसे हार मिली। राजेंद्र प्रसाद शुक्ल इस सीट से 1967 और 1972 में लगातार दो चुनाव जीतने वाले विधायक हैं।

Update: 2023-08-16 06:20 GMT
  •  इस सीट पर 14 विधानसभा चुनाव हुए, राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और धर्मजीत को छोड़ कोई विधायक रिपीट नहीं हुआ
  •  धर्मजीत सिंह यहां से 4 चुनाव और राजेंद्र प्रसाद ने 2 में दर्ज की जीत
  •  लोरमी में 1957 में पहली बार हुआ था चुनाव, राम राज्य परिषद से गंगा प्रसाद बने थे पहले विधायक

एनपीजी एक्सक्लूसिव

रायपुर। लोरमी विधानसभा सीट में इस वक्त के विधायक हैं धर्मजीत सिंह। साल 2018 में हुए चुनाव में उन्होंने अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके पहले भी वे कांग्रेस की टिकट पर तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। लोरमी विधानसभा के रिकॉर्ड भी अजब-गजब हैं। यहां से धर्मजीत सिंह और राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अलावा कोई भी विधायक रिपीट नहीं हुआ। या तो वह दूसरा चुनाव ही नहीं लड़ पाया या फिर उसे हार मिली। राजेंद्र प्रसाद शुक्ल इस सीट से 1967 और 1972 में लगातार दो चुनाव जीतने वाले विधायक हैं। 1977 का विधानसभा चुनाव वे जनता पार्टी के प्रत्याशी फूलचंद जैन से हार गए और इसके बाद वे कोटा विधानसभा चले गए। कोटा से उन्होंने 1985 में चुनाव लड़ा था। राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अलावा धर्मजीत सिंह ने लोरमी विधानसभा से 1998, 2003, 2008 और 2018 में जीत दर्ज की है।

1957 में हुआ पहला चुनाव

आजादी के बाद चुनाव शुरू हो चुके थे, लेकिन लोरमी विधानसभा सीट में पहली बार चुनाव हुआ 1957 में हुआ। पहले चुनाव में लोरमी विधानसभा से राम राज्य परिषद के गंगा प्रसाद और कांग्रेस से शीला पाण्डे आमने-सामने थे। इस चुनाव में आरआरपी के गंगा प्रसाद को 10209 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शीला ने 9701 वोट हासिल किया। इस तरह गंगा प्रसाद कांग्रेस को 508 वोट से हराकर लोरमी विधानसभा के पहले विधायक चुने गए। ठीक पांच साल बाद 1962 में हुए चुनाव में भी राम राज्य परिषद ने कांग्रेस को मात दी। आरआरपी के यशवंत राज ने कांग्रेस की पिनाक कुमारी देवी को 915 वोट से हराया था। इस तरह लोरमी विधानसभा में हुए शुरुआती दो चुनाव में राम राज्य परिषद का कब्जा रहा।

सबसे बड़ी जीत धर्मजीत के नाम, छोटी जीत बीजेपी के भूपेंद्र के नाम रही

लोरमी विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में सबसे बड़ी जीत और छोटी जीत की बात करें तो धर्मजीत सिंह सबसे अधिक वोट से जीतने वाले विधायक हैं। वहीं सबसे कम वोट के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भाजपा के भूपेंद्र सिंह के नाम पर है। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तात्कालीन विधायक बैजनाथ चंद्राकर को चुनावी मैदान में उतारा। जबकि भाजपा की ओर से भूपेंद्र सिंह प्रत्याशी बनाए गए। इस चुनाव में भूपेंद्र सिंह ने 209 वोट के अंतर से बैजनाथ चंद्राकर को शिकस्त दी। इसी तरह साल 2018 के चुनाव में धर्मजीत सिंह ने भाजपा के तोखन साहू से 25553 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। ये लोरमी विधानसभा में रिकॉर्ड है।

14 चुनाव में 5 पार्टी के विधायकों का नाम दर्ज

लोरमी विधानसभा में अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन 14 चुनाव में 5 पार्टियों के विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसमें सर्वाधिक 6 जीत कांग्रेस के नाम रही। वहीं 4 जीत भाजपा के हिस्से आई। राम राज्य परिषद ने यहां शुरुआती 2 चुनाव जीते। वहीं जनता पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नाम 1-1 जीत रही।

लोरमी विधानसभा सीट से अब तक के विधायकों की जानकारी 

वर्ष

विधायक 

पार्टी

1957

 गंगा प्रसाद 

आरआरपी

1962 

यशवंत राज सिंह 

आरआरपी

1967 

राजेंद्र प्रसाद शुक्ल

 कांग्रेस

1972

 राजेंद्र प्रसाद शुक्ल 

कांग्रेस

1977 

फूलचंद जैन 

जेएनपी

1980 

बैजनाथ चंद्राकर

कांग्रेस(आई)

1985 

भूपेंद्र सिंह

 बीजेपी

1990 

निरंजन केशवरवानी 

बीजेपी

1993 

मुनीराम साहू 

बीजेपी

1998 

धर्मजीत सिंह 

कांग्रेस

2003 

धर्मजीत सिंह 

कांग्रेस

2008

 धर्मजीत सिंह

 कांग्रेस

2013 

तोखन साहू

 बीजेपी

2018

 धर्मजीत सिंह 

जेसीसीजे

लोरमी विधायक धर्मजीत सिंंह Dharmjeet Singh Biography in Hindi : विधायक धर्मजीत सिंह ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। धर्मजीत सिंह ने विद्याचरण शुक्ल से राजनीति का ककहरा सीखा। विद्याचरण शुक्ल उनके गॉडफादर रहे है। 1998 में विद्याचरण शुक्ला के खेमे के होने के चलते उन्हें पहली बार लोरमी विधानसभा से कांग्रेस का टिकट मिला। और उन्होंने भाजपा के सिटिंग एमएलए मुनीराम साहू को 19000 वोटों से शिकस्त दी। पहली बार विधायक बनने के साथ ही धर्मजीत सिंह को उत्कृष्ट विधायक का खिताब भी मिला। बाद में विधानसभा उपाध्यक्ष भी बने। जानिए उनके बारे में...

  • पिता का नाम:– कल्पनाथ सिंह
  • जन्मतिथि:– 30 जून 1953
  • जन्म स्थान:– पंडरिया, जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
  • विवाह की तिथि:–14 जून 1992
  • पत्नी का नाम:– शशि सिंह
  • पत्नी की जन्म तिथि:–3 सितंबर 1952
  • शैक्षणिक योग्यता:– बीएव्यवसाय:–कृषि, डेयरी व्यवसाय
  • कुल संपत्ति:–3 करोड़, 4 लाख,64 हजार रुपए
  • आपराधिक प्रकरण:– नहीं है।
  • स्थाई पता:– मातोश्री, विकास नगर, 27 खोली जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ मोबाइल नंबर:– 9827133116
  • राजधानी रायपुर में स्थानीय पता:– ई– शांतिनगर, रायपुर छत्तीसगढ़
  • अभिरुचि:– वनांचल क्षेत्रों का भ्रमण
  • पुरस्कार:– वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ विधानसभा का प्रथम उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार, वर्ष 2006 में पुनः वर्ष 2005–06 के लिए उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार
  • विदेश यात्राएं:– ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, हालैंड, ऑस्ट्रिया

सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का परिचय:–

1988–89 में धर्मजीत सिंह अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति पंडरिया कवर्धा रहे। 1994 से 1998 तक सचिव मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति रहे। 1998 में पहली बार लोरमी विधानसभा से चुनाव लड़े और भाजपा के सिटिंग एमएलए मुनीराम साहू को 19 हजार वोटो से हराया। धर्मजीत सिंह विद्याचरण शुक्ला के खेमे के थे। राज्य बनने के बाद अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तब धर्मजीत सिंह ने मौके की नजाकत को भांपते हुए पाला बदल कर जोगी के खेमे में एंट्री कर ली। यहां भी उन्हें भरपूर तवज्जो मिली। भाजपा के विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारी लाल अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद धर्मजीत सिंह को पहली बार ही विधायक बने होने के बाद भी जोगी ने उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनवाया। वे लोक लेखा समिति, मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। वह जिला न्यायालय बिलासपुर के भी सदस्य रहे। दिसंबर 2001 में उन्हें सदस्य गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बनाया गया। 2001 से 2004 तक वे सभापति पुस्तकालय समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा बने।

वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के लोक लेखा समिति, विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति, सामान्य प्रयोजन समिति, सभापति पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति, विशेष आमंत्रित सदस्य कार्य मंत्रणा समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, प्राक्कलन समिति, प्रश्न एवं समन्वय समिति, सुविधा एवं सम्मान समिति के सदस्य रहे। इसके अलावा सदस्य रोगदा जलाशय हस्तांतरित करने जांच हेतु बनी समिति के भी सदस्य रहे।

2003 के विधानसभा चुनाव में धर्मजीत सिंह ने दूसरी बार भाजपा के प्रत्याशी मुनीराम साहू को 16 हजार वोटो से हराया और दूसरी बार विधायक चुने गए। 2008 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के जवाहर साहू को 5 हजार वोटो से शिकस्त दी और तीसरी बार विधायक चुने गए। सामाजिक समीकरण धर्मजीत सिंह के पक्ष में ना होने के पश्चात भी वह लगातार तीन बार लोरमी से विधायक बने। पर चौथी बार उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में लोरमी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू से 6 हजार वोटों से हार मिली।

इस बीच अजीत जोगी ने जोगी कांग्रेस का गठन कर लिया। तब धर्मजीत सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया।अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से 2018 में धर्मजीत सिंह ने लोरमी विधानसभा में ताल ठोंकी और उन्होंने भाजपा के तोखन साहू के विरुद्ध 67742 वोट हासिल किए। जबकि तोखन साहू को 42189 वोट मिले। अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी निष्ठा जोगी कांग्रेस में भी संदेह के दायरे में देखी जाने लगी। उनके भाजपा या कांग्रेस नेताओं के मुलाकात पर उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें लगती रही। अंततः जोगी कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया। जिसके बाद उन्होंने भाजपा प्रवेश कर लिया। धर्मजीत सिंह को सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय ने पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की है।

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