Om Prakash Mathur: संगठनात्मक कौशल का चाणक्य, जिसने गुजरात, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जीत दिलाई
छत्तीसगढ़ भाजपा प्रभारी बनने के बाद ओम प्रकाश माथुर पहली बार रायपुर आए हैं। भैरोसिंह शेखावत से उन्हें राजनीतिक सीख मिली और ढेरों कार्यकर्ताओं को नेता बनाया।
रायपुर। ओमप्रकाश माथुर। उम्र 70 साल। अविवाहित। गुजरात, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भाजपा की जीत के शिल्पी। उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों के संगठन महामंत्री। प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान। राष्ट्रीय महामंत्री। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष। दो बार के राज्यसभा सांसद। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी। फिलहाल भाजपा के पॉवरफुल कमेटियों में से एक केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य और छत्तीसगढ़ के प्रभारी।
आरएसएस बैकग्राउंड के खांटी भाजपा नेता माथुर के परिचय के लिए ये सिर्फ वे पद या जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें वे निभा चुके हैं। इससे बड़ा परिचय यह है कि उन्होंने देश के कई राज्यों में सामान्य कार्यकर्ताओं को तैयार कर बड़ा नेता बनाया। माथुर के जानने वाले कहते हैं कि वे संगठनात्मक कौशल के चाणक्य हैं। गुजरात में जब आंतरिक कलह बढ़ गया था और तीसरी बार भाजपा की सरकार बन पाएगी या नहीं, इस पर संशय था, तब उन्हें प्रभारी बनाकर भेजा गया। उस चुनाव में भाजपा की जीत हुई और नरेंद्र मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे।
मोदी जब प्रधानमंत्री बन गए थे, तब माथुर को गुजरात की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया, लेकिन अगली जिम्मेदारी उत्तरप्रदेश थी। उस समय समाजवादी पार्टी का बोलबाला था। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक होकर चुनाव लड़ रही थी। उस समय उत्तरप्रदेश में भाजपा ने माथुर को जिम्मेदारी सौंपी। माथुर के रणनीतिक और संगठनात्मक कौशल से भाजपा से जीत हुई।
महाराष्ट्र में दूसरे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली भाजपा को सबसे मजबूत पार्टी बनाने का श्रेय भी माथुर को ही जाता है। देवेंद्र फड़णवीस को सीएम बनाने के पीछे भी उनकी ही सोच थी।
दरअसल, हर बार कठिन परिस्थितियों ने पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप बेहतर रिजल्ट दिया। ऐसे समय में जब राजस्थान में सीएम फेस को लेकर बहस चल रही थी, तब बड़े राज्यों के मुकाबले अपेक्षाकृत काफी छोटे छत्तीसगढ़ (गुजरात में 182, महाराष्ट्र में 288 और उत्तरप्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं।) का प्रभारी बनाया गया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकारें हैं। इनमें राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड है। इस लिहाज से देखें तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सबसे मजबूत स्थिति में है। यही वजह है कि यहां माथुर को भेजा गया।
इससे पहले डी. पुरंदेश्वरी यहां प्रभारी थीं, लेकिन अलग-अलग गुटों में बिखरी भाजपा को समेटने में कहीं न कहीं वह कमजोर साबित हो रही थीं। यही वजह है कि सीनियर मोस्ट नेता माथुर को प्रभारी बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ को चुनौती नहीं मानता
माथुर जब छत्तीसगढ़ पहुंचे तो यहां मीडिया ने आखिर उनसे यही सवाल किया कि आप छत्तीसगढ़ में कौन-कौन सी चुनौतियां देखते हैं और उनका जवाब था, "भाजपा हर चुनाव को चुनौती मानकर चलती है। चाहे चुनाव छोटा हो या बड़ा, हर जगह चुनौती है। मेरे सामने ऐसी बहुत चुनौतियां आई हैं। आपने 2016-17 का उत्तरप्रदेश चुनाव देखा होगा। मैं छत्तीसगढ़ को कोई चुनौती नहीं मानता। आने वाला समय निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ में भाजपा का होगा। सत्ता आती-जाती रहती है। 15 साल तक भाजपा सत्ता में रही। अब आने वाले समय में परमानेंट भाजपा सत्ता में रहेगी।'
आज 9 घंटे से भी ज्यादा बैठकें
छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में 9 सितंबर को नियुक्ति के बाद माथुर पहली बार रायपुर आए हैं। इस दौरान वे पूरा समय बैठकों और कार्यकर्ताओं के साथ मेल-मुलाकात में बिताएंगे। मंगलवार को सुबह से लेकर रात तक मैराथन बैठकें रखी गई हैं। सुबह 10.30 से रात आठ तक बैठकें होंगी। इस बीच आधे घंटे भोजन के लिए विराम होगा। इस बीच कोर ग्रुप, प्रदेश पदाधिकारी, प्रदेश मोर्चा अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सह प्रभारी, जिलाध्यक्ष, संभागीय प्रभारी, प्रदेश महामंत्री, सांसद-विधायक, कोर कमेटी के सदस्यों से व्यक्तिगत चर्चा करेंगे।
एक नजर में
ओम प्रकाश माथुर
जन्म : 2 जनवरी 1952
स्थान - बाली, जिला पाली राजस्थान।
शिक्षा - बीए, राजस्थान यूनिवर्सिटी से।
पेशा - किसान, राजनीतिज्ञ और समाजसेवा।
राज्यसभा सांसद - पहली बार 2008 में चुने गए। दूसरी बार 2016 में चुने गए।
1972 में 20 साल की आयु में आरएसएस के प्रचारक बने।
1990-2002: भाजपा राजस्थान के संगठन महामंत्री।
2002-2008: उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और गुजरात के संगठन प्रभारी।
2005-2008: भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री।
2008-2009: भाजपा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष।
2014: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष।