CG में 2023 का रिहर्सल: भानुप्रतापपुर उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए होगा प्री बोर्ड टेस्ट जैसा, क्योंकि 6 माह बाद...

भानुप्रतापपुर विधायक और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर मनोज मंडावी का इस महीने 16 अक्टूबर को हार्ट अटैक से निधन हो गया है। इसकी सूचना विधानसभा सचिवालय ने निर्वाचन आयोग को भेजी है।

Update: 2022-10-22 11:13 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी कांग्रेस और भाजपा को एक प्री बोर्ड टेस्ट से गुजरना होगा। भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही दलों के लिए चुनौती होगी। विधानसभा के डिप्टी स्पीकर मनोज मंडावी के निधन के बाद यहां 6 महीने के भीतर यानी 16 अप्रैल से पहले चुनाव कराना होगा। एक चर्चा यह है कि गुजरात के साथ भी चुनाव कराए जा सकते हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से फिलहाल ऐसी कोई सूचना नहीं है। हालांकि दोनों ही दलों ने यहां नजरी आंकलन शुरू कर दिया है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से चुनाव की प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में यह पांचवां उपचुनाव है। आइए देखते हैं, पिछले उपचुनावों का क्या रहा परिणाम...


पहले भानुप्रतापपुर का समीकरण

2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भानुप्रतापपुर सीट से मनोज मंडावी के अलावा भाजपा से देवलाल दुग्गा चुनाव मैदान में थे। इसमें मंडावी को 72520 वोट मिले थे, जबकि दुग्गा को 45827 वोट मिले थे। इस तरह 26693 वोट से मंडावी जीते थे। दो और नाम चर्चा में रहे। इनमें आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक कोमल हुपेंडी और जोगी कांग्रेस के मानक दरपट्टी शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस इस सीट से मंडावी के परिवार से ही किसी को टिकट दे सकती है। भाजपा यहां से किसी नए उम्मीदवार को मौका दे सकती है।


दंतेवाड़ा: 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी जीते थे। बस्तर में यह एकमात्र सीट थी, जहां भाजपा की जीत हुई थी। इस चुनाव में भीमा मंडावी को 37990 और कांग्रेस की देवती कर्मा को 35818 वोट मिले थे। भीमा की नक्सलियों ने हत्या कर दी। इसके बाद जब उपचुनाव हुए तो भाजपा ने भीमा की पत्नी ओजस्वी मंडावी को टिकट दिया। वहीं, कांग्रेस से देवती कर्मा ही चुनाव मैदान में थी। ओजस्वी के पति भीमा मंडावी और देवती के पति महेंद्र कर्मा की नक्सलियों ने हत्या की थी। इस चुनाव में देवती की जीत हुई। देवती को 49979 और ओजस्वी को 38648 वोट मिले थे।

चित्रकोट: इस सीट से 2018 में कांग्रेस के दीपक बैज जीते थे। बैज को 62616 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के लच्छूराम कश्यप को 44846 वोट मिले थे। बाद में बैज को पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ाया और वे बस्तर से सांसद चुने गए। इसके बाद जब उपचुनाव हुए तब भाजपा ने फिर से लच्छूराम को उतारा। कांग्रेस से राजमन बेंजाम थे। चुनाव में बेंजाम को 62097 वोट मिले थे, जबकि लच्छूराम को 44235 वोट मिले थे।

मरवाही: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी को 2018 के चुनाव में 74041 वोट मिले थे। यहां त्रिकोणीय मुकाबला था। इसमें दूसरे नंबर पर भाजपा की अर्चना पोर्ते और तीसरे नंबर पर कांग्रेस के गुलाब सिंह राज थे। पोर्ते को 27579 वोट मिले, जबकि गुलाब सिंह को 20040 वोट मिले थे। उपचुनाव में जोगी परिवार को हिस्सा लेने का मौका नहीं मिला। कांग्रेस ने डॉ. केके ध्रुव और भाजपा ने डॉ. गंभीर सिंह को उतारा। डॉ. ध्रुव को 83561 और डॉ. गंभीर को 45364 वोट मिले।

खैरागढ़: 2018 में खैरागढ़ चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति थी, क्योंकि देवव्रत सिंह जनता कांग्रेस के उम्मीदवार थे, जबकि भाजपा से कोमल जंघेल और कांग्रेस से गिरवर जंघेल उम्मीदवार थे। इस चुनाव में देवव्रत को 61516, कोमल को 60646 और गिरवर को 31811 वोट मिले थे। देवव्रत सिंह के निधन के बाद जब उपचुनाव हुए तब खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा काफी चर्चा में रही। कांग्रेस ने यशोदा वर्मा और भाजपा ने फिर से कोमल जंघेल को ही प्रत्याशी बनाया। इसमें यशोदा को 87829 वोट मिले। कोमल को 67660 वोट मिले थे।

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