CG छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस ने अबकी सिंधी समाज से किसी को टिकिट क्यों नहीं दिया, जानिए क्या है वजह
Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर. हेडलाइन पढ़कर लग रहा होगा कि क्या कोई कैंडिडेट भाजपा से मिल गया... या कोई अंदरूनी समझौता हो गया. रुकिए जरा... कयासों के आसमान तक ले जाएं, उससे पहले ही आपको बता देते हैं कि यहां भितरघात या खुलाघात जैसा मामला नहीं है. यह प्रक्रिया के तहत ही हुआ, लेकिन जो भी हुआ, वह भाजपा के लिए राहत देने वाला है.
अब पहेलियां बुझाने के बजाय मुद्दे पर आते हैं. भाजपा ने रायपुर उत्तर सीट से पुरंदर मिश्रा को कैंडिडेट घोषित किया. यहां से श्रीचंद सुंदरानी दो बार के प्रत्याशी रहे. एक बार जीते भी थे. इस बार सिंधी समाज से रायपुर उत्तर ही नहीं, बल्कि धमतरी और बिलासपुर से भी दावेदार थे. जैसे ही भाजपा ने पुरंदर मिश्रा को प्रत्याशी बनाया और दूसरी ओर समाज की नाराजगी फूट पड़ी. सिंधी समाज ने भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओमप्रकाश माथुर को जो चिट्ठी सौंपी थी, उसके मुताबिक सिंधी समाज के मतदाताओें की संख्या 10 लाख है और समाज के लोग 20 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखते हैं. हालांकि इन आंकड़ों को सरकारी एजेंसियां कम आंकती है. खैर, उस पर हम नहीं जाते. समाज के ही ज्ञापन में एक और बात का उल्लेख किया गया है कि 95 प्रतिशत सिंधी समाज के लोग भाजपा से जुड़े हैं.
भाजपा के सामने यह मुश्किल थी कि इस बार सिंधी के बजाय ओड़िया वोट बैंक पर फोकस किया गया, जो रायपुर शहर की चार सीटों के अलावा रायगढ़, महासमुंद और गरियाबंद जिले की कई सीटों को प्रभावित करता है. रायपुर के अधिकांश घरों में बर्तन, झाड़ू-पोंछा से लेकर अन्य घरेलू काम में मदद करने वाली महिलाएं ओड़िया समाज की हैं, जबकि रायपुर शहर के बड़ी संख्या में ढाबे और रेस्टोरेंट ओड़िया समाज के युवाओं के भरोसे चल रहे हैं. नवाखाई के दौरान तो कुछ ढाबे हफ्तेभर तक बंद रहते हैं.
खैर... असल बात से फिर भटक गए थे. तो लब्बोलुआब तो आप समझ ही गए होंगे कि भाजपा की मुश्किलें कैसे आसान हुई. दरअसल, कांग्रेस ने रविवार को प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी कर दी. इसमें रायपुर उत्तर से सिख समाज के कुलदीप जुनेजा को प्रत्याशी बनाया गया है. यहां से अजीत कुकरेजा भी मजबूत दावेदार थे. यह भी कह सकते हैं कि अजीत का टिकट फाइनल होने के भी दावे किए जा रहे थे. अजीत को उम्मीदवार बनाने की स्थिति में भाजपा पर दबाव बढ़ जाता, क्योंकि रायपुर उत्तर, भाठापारा, बिल्हा, बिलासपुर जैसी सीटोें पर सिंधी समाज के लोग अच्छी संख्या में हैं. वे तुलना करते कि भाजपा को समर्थन के बावजूद एक भी टिकट नहीं मिला और कांग्रेस ने समाज से एक प्रत्याशी उतार दिया. पहली बार है कि कांग्रेस और भाजपा दोेनों ने सिंधी समाज से एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा है. बस इसी ने भाजपा की भी मुश्किलें आसान कर दी. और कांग्रेस को लगा कि सिंधी समाज का वोट बीजेपी को जाता है, फिर क्यों वो सिख समाज को नाराज कर सिंधी समाज को टिकिट दे.