BJP MLA Lata Usendi Biography in Hindi: भाजपा विधायक लता उसेंडी का जीवन परिचय...

Update: 2023-12-08 06:49 GMT

BJP MLA Lata Usendi Biography in Hindi: भाजपा ने कोंडागांव जिले की कोंडागांव विधानसभा सीट से लता उसेंडी ने तीसरी बार जीत हासिल करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी मोहन मरकाम को 18572 वोटो से हराया है। लता उसेंडी पांचवी बार भाजपा की टिकट से इस सीट से दावेदारी कर रही थी। यह सीट उन्हें अपने पिता मंगलराम उसेंडी से विरासत में मिली थी। लता उसेंडी ने भाजपा मंडल मंत्री से अपने राजनीति की शुरुआत करते हुए पार्षद बनी थी। 2003 में पहली बार विधायक निर्वाचित होने के साथ ही मंत्री बनीं। 2008 में भी चुनाव जीत कर मंत्री बनी। पर 2013 व 2018 में चुनाव हार गई। वर्तमान में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।

लता उसेंडी का जन्म 1 मई 1974 को ग्राम धौड़ाई में हुआ था। उन्होंने बीए में स्नातक किया हैं। उनका व्यवसाय कृषि हैं। वे सरगीपाल पारा कोंडागांव की रहने वाली हैं। अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में लता उसेंडी सन् 1998 में कांकेर भाजपा मंडल मंत्री रह चुकीं हैं। सन 1999 में कोंडागांव नगर पालिका परिषद के अस्पताल वार्ड से पार्षद चुनी गईं। सन 2000 में कांकेर जिला में भाजपा महिला मोर्चा के जिला अध्यक्ष बनी। 2002 में कोंडागांव भाजपा महिला मोर्चा के जिला अध्यक्ष बनी। 2003 में भाजपा की टिकट से पहली बार कोंडागांव विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक निर्वाचित हुई। 2004 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनी। महामंत्री जिला भाजपा महिला मोर्चा बस्तर भी रहीं। 2004 में सभापति महिला एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहीं। इसके अलावा सदस्य अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति रहीं। सामान्य प्रयोजन समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा भी रहीं। 2005 से 2008 तक छत्तीसगढ़ शासन में बताओ मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग समाज कल्याण विभाग का दायित्व संभाला।

2008 में हुए चुनाव में फिर से कोंडागांव से निर्वाचित होकर मंत्री महिला एवं बाल विकास समाज कल्याण खेल एवं युवा कल्याण छत्तीसगढ़ शासन का प्रभार संभाला। 2013 में तीसरी बार कोंडागांव विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव में उतरी, पर कांग्रेस के मोहन वर्क कम ने उन्हें चुनाव हरा दिया। चुनाव आने के बाद 2014 से 2015 में उन्हें छत्तीसगढ़ महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। 2015 से 18 तक छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम की अध्यक्ष भी लता उसेंडी रहीं। 2018 के चुनाव में पांचवीं बार कोंडागांव विधानसभा से ही चुनाव मैदान में उतरी। पर कांग्रेस के मोहन मरकाम ने दुबारा उन्हें चुनाव हरा दिया। 2019 से 2021 तक लता हुसैन दी भाषा प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर रहीं। साथ ही प्रदेश प्रभारी भी रहीं। वर्ष 2022 में राष्ट्रीय कार्य समिति का सदस्य बनाया गया। इसी वर्ष जुलाई माह में उन्हें भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। 2023 के चुनाव में वे पांचवी बार कोंडागांव विधानसभा से भाजपा टिकट पर उतर कर तीसरी बार चुनाव जीता है।

2023 की कहानी:–

लता उसेंडी को कोंडागांव सीट अपने पिता से विरासत में मिली है। अविभाजित मध्यप्रदेश के पटवा सरकार में उनके पिता मंगलराम उसेंडी विधायक रहे थे। सन 2000 में लता पार्षद बनी। कोंडागांव विधानसभा में मिथक है कि कोई भी प्रत्याशी यहां से दो बार चुनाव जीतता है फिर तीसरी बार हार जाता है। इस बार भी यह मिथक कायम रहा। 2003 में लता उसेंडी ने कांग्रेस के शंकर सोढ़ी को हराया था। 2008 में लता उसेंडी ने कांग्रेस के मोहन मरकाम को हराया था। 2013 में मोहन मरकाम ने लता उसेंडी को हराया। फिर 2018 में भी मोहन मरकाम ने लता उसेंडी को हराया।

यहां एक मिथक यह भी है कि जो भी विधायक यहां से जीतते हैं और राज्य में उनकी यदि सरकार रही तो वह मंत्री बनते हैं। लता उसेंडी पहली बार चुनाव जीतने के साथ ही मंत्री बन गई थी। वही मोहन मरकाम भी आखिरी के 1 साल मंत्री रहे थे।

कोंडागांव विधानसभा सीट पर 188520 मतदाता है। जिनमें से 156791 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। भाजपा की लता उसेंडी को 80465 वोट मिले। वही कांग्रेस के मोहन मरकाम को 61893 वोट मिले। लता ने मोहन मरकाम को 18572 वोटों से हराया। इस विधानसभा में नोटा तीसरे नंबर पर रहा। नोटा को 3214 वोट मिले।

कांग्रेस की गुटबाजी यहां चुनाव हारने में अहम रही। मोहन मरकाम 4 साल तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। इस दौरान पूरे प्रदेश की विधानसभा में ध्यान देने के चक्कर में वे अपनी खुद की विधानसभा में ध्यान नहीं दे पाए। आखिरी के साल में वे मंत्री बने। मोहन मरकाम को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी हावी रही। कांग्रेस के दिग्गज ही उन्हें चुनाव हराने में लगे रहें।

छत्तीसगढ़ में करीब 30 फीसदी आबादी आदिवासी समाज की है। इस साल ही 11 जातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किया गया है। ऐसे में यहां से आदिवासी समाज की महिला के जितने पर राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलने का पूरा भरोसा यहां के मतदाताओं को था और उन्होंने जमकर वोटिंग की।

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