विधायक अंबिका सिंहदेव का जीवन परिचय

Ambika singhdev biography in hindi:-बैकुंठपुर से पहली बार विधायक बनी अंबिका सिंहदेव कोरिया कुमार के नाम से विख्यात अपने चाचा रामचंद्र देव की विरासत संभाल रही है। हाल ही में उनके पति ने उनकी विधायकी छोड़ने की अपील की थी। जिसके बाद वे चर्चाओं में आई।

Update: 2023-02-07 12:15 GMT

एनपीजी डेस्क। बैकुंठपुर से पहली बार विधायक बनी अंबिका सिंहदेव कोरिया कुमार के नाम से विख्यात अपने चाचा रामचंद्र देव की विरासत संभाल रही है। हाल ही में उनके पति ने उनकी विधायकी छोड़ने की अपील की थी। जिसके बाद वे चर्चाओं में आई। 

कोरिया जिले में स्थित बैकुंठपुर विधानसभा की विधायक अंबिका सिंहदेव का जन्म 12 फरवरी 1968 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्र प्रताप सिंहदेव है। उन्होंने बीकॉम की डिग्री ली है। इसके अलावा उन्होंने इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स भी किया है। विधायक बनने से पहले इसी क्षेत्र में उनका कंसलटेंसी का व्यवसाय था। जिसे वह पति के साथ सम्हालती थीं। वह कोरिया जिले में स्थित विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 बैकुंठपुर से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुनी गई है।

अंबिका सिंहदेव अपने तीन बहनों में सबसे बड़ी है। उनके पिता महेंद्र प्रताप सिंहदेव कोरिया नरेश डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव के बड़े भाई थे। रामचंद्र सिंहदेव बैकुंठपुर से 6 बार विधायक चुने गए थे। मध्यप्रदेश शासनकाल में वे सन 1967 में पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश में एक साथ 16 विभागों के कैबिनेट मंत्री का पद संभाला था। छतीसगढ़ बनने के बाद वह प्रदेश के पहले वित्त मंत्री रहे थे। वे ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी कोई संतान नहीं थी, लिहाजा उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बड़े भाई की सबसे बड़ी बिटिया संभाल रही हैं। अपनी स्कूल की पढ़ाई अंबिका सिंहदेव ने कोलकाता से की। बीकॉम की डिग्री भी वहीं से ली। उन्होंने एनआरआई अमिताभ घोष से 20 अप्रैल 1996 को शादी किया। उनके पति यूके के बिजनेसमैन है। उनके दो बेटे आर्यमन और अनिरुद्ध घोष है। उनका पूरा परिवार यूके में ही रहता है। वह अकेली वापस आकर छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर व अपने विधानसभा क्षेत्र बैकुंठपुर में रहती है। उनका निवास कोरिया जिले में रामानुज विलास पैलेस बैकुंठपुर में है। तो वहीं राजधानी रायपुर में E1

/30,सेक्टर-17 अटल नगर में नवा रायपुर में है।

कोरिया जिले में स्थित विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 बैकुंठपुर अनारक्षित सीट है। यहां से 2013 में भैयालाल राजवाड़े भाजपा से विधायक चुने गए थे। और श्रम मंत्री की कुर्सी संभाल रहे थे। 2018 के चुनाव में उनके खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने कोरिया नरेश रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी और राजकुमारी अंबिका सिंहदेव को मैदान में उतारा। यहां कुल मतदाता 159656 हैं। विधानसभा चुनाव में कुल 81.14 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था। अंबिका सिंहदेव को जहां 48885 वोट मिले थे तो वही उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के भैयालाल राजवाड़े को 43546 वोट मिले थे।

2020 में उन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी व ग्रामोद्योग विभाग का संसदीय सचिव बनाया गया था। 2019-20 में उन्हें सदस्य याचिका समिति, महिला एवं बालको के कल्याण संबंधी समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा चुना गया था। 2020-21 में उन्हें फिर से छत्तीसगढ़ विधानसभा के महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का सदस्य चुना गया। विधायक अंबिका सिंहदेव की कुल संपत्ति 4 करोड़ 62 लाख 71 हजार रुपये से भी अधिक है। अंबिका सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र में एसईसीएल मुख्यालय है। उनके विधानसभा में नौकरी पेशा लोगों की अधिकता है। यहां पीने का साफ पानी उपलब्ध करवाना, रोजगार उपलब्ध करवाना, चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाना उनकी प्राथमिकता में हैं। कोरोना काल मे वे उस समय और भी अधिक चर्चाओं में आई थी, जब वह अपने विधानसभा क्षेत्र के कंचनपुर हॉस्पिटल में रोजाना शाम दीप प्रज्वलित कर लोगों के स्वास्थ्य की कामना करती थी और डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहित करती थी।

हाल ही में पूर्व मंत्री और उनके हाथों शिकस्त खाने वाले भैयालाल राजवाड़े ने उनके खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद बवाल मच गया था। हालांकि भैयालाल राजवाड़े ने अपने बयान को तोड़ मरोड़कर पेश करना बताया था। जिसके कुछ ही दिनों बाद अंबिका सिंहदेव के एनआरआई पति अमिताभ घोष ने फेसबुक पोस्ट कर उनसे विधायकी छोड़ सक्रिय राजनीति को अलविदा कहने की अपील की थी। जिसके जवाब में अंबिका सिंहदेव ने कहा था कि,उन्हें जनता ने सेवा करने के लिए चुना है, और वह कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ती। उनके अनुसार कुछ लोगों की अमर्यादित टिप्पणी से व्यथित होकर उनके पति ने उनसे सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने के लिए कहा था। विधायक अंबिका सिंहदेव का इशारा इस मामले में पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े की ओर ही समझा गया था। पर इसके अगले ही दिन उनके पति अमिताभ घोष ने इस कारण को गलत बताते हुए फिर से फेसबुक पोस्ट किया और बताया कि उनके चाचा ससुर रामचंद्र सिंहदेव कभी नही चाहते थे कि उनके परिवार से कोई भी राजनीति में आये।

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