2 सीटों से हुई थी BJP की शुरुआत, 13 दिन, 13 महीने, फिर 5 साल... अब छठवीं बार देश में बनाने जा रही सरकार
BJP ने 4 दशकों में लोकसभा में 2 सीटों से 240 सीटों तक का लंबा सफर तय किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240 वहीं NDA को 292 सीट मिले हैं। बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ छठवीं बार सरकार बनाने जा रही है। आइए जानते हैं बीजेपी का इतिहास...
भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर देश में छठवीं बार सरकार बनाने जा रही है। नरेंद्र मोदी 8 जून को लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। BJP ने 4 दशकों में लोकसभा में 2 सीटों से 240 सीटों का लंबा सफर तय किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240 वहीं NDA को 292 सीट मिले हैं।
अटल-आडवाणी की जोड़ी से लेकर मोदी-शाह की जोड़ी तक बीजेपी ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। इसमें राम जन्मभूमि आंदोलन ने भी उसकी मदद की, जिसका परिणाम इस साल अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर में उनकी प्राण-प्रतिष्ठा के साथ मिला।
बीजेपी का इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा हुआ
वैसे तो BJP की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार पर भारत के चुप रहने पर जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने का विरोध किया। उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी संदिग्ध हालत में मौत हो गई। साल 1967 से 1973 तक अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वे 1957 से 1977 तक लगतार 20 साल जनसंघ की ओर से नेता सदन रहे। वहीं 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई की सरकार में वह विदेश मंत्री बने थे।
भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय 1 मई 1977 को हुआ
1967 में भारतीय जनसंघ और दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस को राज्यों में हार मिलनी शुरू हुई। 1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल खत्म कर चुनाव कराने का फैसला किया, तो जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी कांग्रेस-विरोधी दल एकजुट हुए और जनता पार्टी बनाई। भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय 1 मई 1977 को हुआ। हालांकि जनता पार्टी में अंतर्कलह काफी बढ़ गया। कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS से संबंध रखने वाले जनता पार्टी में नहीं रहेंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी बने बीजेपी के पहले अध्यक्ष
इसके बाद 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का गठन हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के पहले अध्यक्ष बने। 1984 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर थी और भाजपा सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
राम जन्मभूमि आंदोलन को मिला जनता का सपोर्ट
1989 में बोफोर्स घोटाले का बुरा असर कांग्रेस पर पड़ा। वहीं देश में दूसरे मुद्दे भी हावी थे। इसकी वजह से भाजपा को अधिक सीटें मिलीं और वो 85 सीटों पर पहुंच गई। इसी साल पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन दिया। लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथयात्रा शुरू की। राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद पार्टी की लोकप्रियता बढ़ गई। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन ने जोर पकड़ा तो 1991 में पार्टी की सीटें बढ़कर 120 हो गईं। 1993 में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के वोट बढ़े।
1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी
1996 के लोकसभा चुनाव में BJP ने 161 सीटें हासिल कीं और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत नहीं होने से केवल 13 दिन में ही सरकार गिर गई। 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
13 महीने में गिर गई सरकार
1998 के मध्यावधि चुनावों में BJP ने सहयोगी दलों के साथ NDA (National Democratic Alliance) बनाया और सत्ता में आई। 1998 के आम चुनाव में बीजेपी को 182 सीटें मिली। अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 दलों के सहयोग से दूसरी बार सरकार बनाई। तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA में 13 पार्टियां शामिल थीं। दूसरी बार उनकी सरकार 13 महीने चली। एनडीए की पार्टनर एआईडीएमके ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और अटल बिहारी की सरकार एक वोट से गिर गई।
13 महीनों के कार्यकाल में अटल सरकार ने पोकरण में 5 परमाणु परीक्षण किए। पहला परीक्षण 11 मई और दूसरा 13 मई को किया गया। बीजेपी के साहसिक कदम का असर ये रहा कि 1999 के मध्यावधि चुनाव में एक बार फिर 303 सीटों के साथ एनडीए को बहुमत मिला। BJP 183 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
2004 में नहीं चला बीजेपी का इंडिया शाइनिंग का नारा
2004 में वाजपेयी के नेतृत्व में इंडिया शाइनिंग का नारा दिया गया, लेकिन वो नहीं चला। 2004 में कांग्रेस को जहां 222 सीटें मिलीं, वहीं बीजेपी 186 सीटों पर ही सिमट गई। 2009 में भाजपा की सीटें घटकर 116 रह गईं।
2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें जीतीं
2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें जीतीं और 543 में से NDA ने 336 सीटों पर जीत हासिल की। मोदी 26 मई 2014 को देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। 1984 के बाद पहली बार किसी पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला था। इसके बाद BJP ने 2019 में 303 सीटों पर जीत हासिल की और इतिहास रच दिया। नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से काफी पीछे
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से काफी पीछे रह गई है। बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं। सरकार बनाने के लिए 272 के आंकड़े चाहिए। एनडीए गठबंधन के खाते में करीब 292 सीटें आई हैं और विपक्षी इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं। उत्तर भारत में पसरे 10 हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी ने 53 सीटें गवांई हैं। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सबसे खराब परफॉर्म किया। बीजेपी ने 30 साल पुराना अपना राम मंदिर का वादा पूरा किया, लेकिन इसका कोई असर चुनाव में नहीं दिखा। साल 2014 में बीजेपी ने यहां 80 में से 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उसे केवल 33 सीटें मिली हैं।