No Detention Policy: केंद्र सरकार ने खत्म की "नो डिटेंशन पॉलिसी", अब 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्र अगली कक्षा में नहीं होंगे प्रमोट

No Detention Policy: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने "नो डिटेंशन पॉलिसी" (No Detention Policy) को खत्‍म कर दिया है. अब कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चे वार्षिक परीक्षा में फेल होने पास नहीं किये जाएंगे.

Update: 2024-12-24 05:54 GMT

No Detention Policy: केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने "नो डिटेंशन पॉलिसी" (No Detention Policy) को खत्‍म कर दिया है. अब कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चे वार्षिक परीक्षा में फेल होने पास नहीं किये जाएंगे. उन्हें दोबारा परीक्षा देना होगा. 

नो डिटेंशन पॉलिसी ख़त्म 

जानकारी के मुताबिक़, 23 दिसंबर को बड़ा फैसला करते केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रारंभिक शिक्षा में पढ़ाई के स्तर में सुधार करने के लिए कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है. केंद्रीय शिक्षा विभाग के सेक्रेटरी संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी. जिसके अनुसार, यदि कोई छात्र 5वीं और 8वीं में फेल होता है तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जायेगा. 

फेल छात्रों को 2 महीने के भीतर देनी होगी परीक्षा

इसके अलावा इस नई व्यवस्था के अनुसार, 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्र को 2 महीने के भीतर दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा. इस परीक्षा में छात्रों को सफल होना अनिवार्य है. वरना उन्हें आगे की कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. उन्हें उसी कक्षा में ही रोक दिया जाएगा. हालाँकि स्कूल 8वीं कक्षा तक किसी छात्र को स्कूल से नहीं निकालेगा. इस दौरान शिक्षक और अभिभावक बच्चे के मार्गदर्शन करेंगे. उन्हें गाइड करेंगे. केंद्रीय शिक्षा विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा, "केंद्र सरकार ने बच्चों में सीखने के परिणाम को बेहतर बनाने के इरादे से यह फैसला लिया है."

बता दें, नो डिटेंशन पॉलिसी ख़त्म करने का नियम केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगा. शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, ऐसे में राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं.

राज्य ले सकते हैं अपना फैसला 

इधर, 16 राज्यों और दिल्ली समेत 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को पहले ही खत्म कर दिया है. जिन राज्यों ने 5वीं-8वीं के स्टूडेंट्स को ‘फेल न करने की पॉलिसी’ को ख़त्म कर दिया है उनमे असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दादर नगर हवेली शामिल है, जल्द ही ‘हरियाणा और पुडुचेरी में फैसला लिया जा सकता है. 

इन राज्यों में लागू है नो डिटेंशन पॉलिसी

वहीँ, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, अंडमान निकोबार, चंड़ीगढ़, लद्दाख, लक्षद्वीप में अभी भी फेल न करने की नीति लागू है. 

क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी

शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत नो डिटेंशन पॉलिसी एक अहम नीति थी. इस नीति के तहत कक्षा 5वीं और 8वीं के बच्चों को वार्षिक परीक्षा में फेल नहीं किया जाता था. उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट में कर दिया जाता था. जिसका उद्देश्य था भारत में शिक्षा की स्थिति में सुधार हो सके. कोई बच्चा फेल न हो क्युकी फेल होने से बच्चा पढ़ाई में पिछड़ सकता है. लेकिन जब इसका स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में गिरने लगी थी. कई स्टूडेंट्स जिन्हें ठीक से पढ़ना-लिखना तक नहीं आता था, वो 9वीं तक पहुंच रहे थे. जिसके बाद 2018 में लोकसभा में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को संशोधित कर स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने के लिए बिल पेश किया गया था. इसके तहत 5वीं और 8वीं क्लास के छात्र को प्रमोट न करने और दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा की बात कही थी. 2019 में राइट टु एजुकेशन (आरटीई) एक्ट में संशोधन कर दिया गया था. ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ हटा दिया गया था. हालाँकि राज्यों को हक़ दिया गया था कि छात्रों को प्रमोट किया जाए या क्लास रिपीट करवाई जाए. संशोधन के बाद बिहार, गुजरात, झारखंड, व दिल्ली सहित देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ये नीति लागू कर ली थी. लेकिन पांच साल बाद इसमें दोबारा संशोधन किया गया है. और नो डिटेंशन पॉलिसी को हटा दिया गया है.  

 

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