Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद में जांच के लिए SIT गठित, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
Tirupati Laddu Controversy: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने एक नई 5 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया।
Tirupati Laddu Controversy: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने एक नई 5 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। कोर्ट ने पहले राज्य सरकार द्वारा बनाई गई SIT को रद्द कर दिया और निष्पक्ष जांच की जरूरत पर जोर दिया।
नया गठित SIT में CBI और आंध्र प्रदेश पुलिस के 2-2 अधिकारी शामिल होंगे, साथ ही FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) का एक अधिकारी भी इस टीम का हिस्सा होगा। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जांच निष्पक्ष हो और मामले का राजनीतिकरण न हो, क्योंकि यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।
जस्टिस गवई का बयान
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा, "हम इस मामले को किसी भी तरह से राजनीतिक नाटक नहीं बनने देना चाहते। यह मुद्दा तिरुमाला मंदिर के करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है।" सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "यह आदेश श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया है। अदालत को राजनीतिक अखाड़ा बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती।"
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
30 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को फटकार लगाई थी कि उन्होंने SIT जांच के आदेश के बाद मीडिया के सामने बयान दिया था। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसा बयान देने से बचना चाहिए।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार के महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा, "अगर इस आरोप में कोई सच्चाई है, तो यह अस्वीकार्य है। भक्तों की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा अहम मुद्दे हैं। SIT की निगरानी एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जाए, तो भरोसा बढ़ेगा।"
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी, बीफ टैलो, सूअर की चर्बी, और मछली के तेल का इस्तेमाल हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है, और मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।