Supreme Court News: सुप्रीम आदेश और फैसले की बाध्यता: रिर्जव फॉर आर्डर में अब 90 दिन के भीतर हाई कोर्ट को सुनाना होगा फैसला
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को आदेशित किया है कि मामले की सुनवाई के बाद अगर कोई बेंच फैसला सुरक्षित रखता है, रिजर्व फार आर्डर तो 90 दिनों के भीतर फैसला सुनाना होगा। अगर बेंच ऐसा नहीं करता है तो रजिस्ट्रार जनरल को चीफ जस्टिस के सामने मामले को रखना होगा। आगे पढ़िए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या है।
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Supreme Court News: दिल्ली। एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया फैसला सुरक्षित रख लेने के बाद हाई कोर्ट लंबे समय से अपना फैसला सुना ही नहीं रहा है,इससे याचिकाकर्ता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश को दोहराते हुए कहा, यदि फैसला सुरक्षित रखने के छह महीने के भीतर फैसला नहीं सुनाया जाता है तब याचिकाकर्ता चीफ जस्टिस के समक्ष आवेदन देकर मामला वापस लेने व अन्य बेंच को सौंपने का अनुरोध कर सकता है। ऐसा करने के लिए याचिकाकर्ता स्वतंत्र है। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता चीफ जस्टिस के समक्ष आवेदन पेश करता है तो आवेदन पर उचित रूप से फैसला लिया जाना चाहिए।
डिवीजन बेंच ने कहा कि यह अचरज करने वाली बात है कि सुनवाई की तिथि से फैसला सुनाने के लिए एक साल से भी ज्यादा का वक्त लिया जाता है। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की शिकायतों को लेकर लगातार याचिका दायर की जा रही है। ऐसी शिकायतें मिल रही है कि हाई कोर्ट में तीन महीने से लेकर छह महीने और एक साल तक आदेश जारी नहीं किए जा रहे हैं। मामले की सुनवाई के बाद फैसले के लिए विलंब किया जाना आश्चर्यजनक बात है।
जस्टिस संजय करोल व जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के डिवीजन बेंच ने कहा कि देश के ज्यादातर हाई कोर्ट में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहां याचिकाकर्ता या पक्षकार चीफ जस्टिस से संपर्क कर फैसले में विलंब को लेकर अपनी परेशानी रख सके। डिवीजन बेंच ने कहा कि इस तरह की स्थिति में याचिकाकर्ता का न्यायिक प्रक्रिया पर से भरोसा उठ जाता है। ऐसी परिस्थितियां न्याय के उद्देश्यों को भी विफल कर देता है। यह चिंताजनक स्थिति है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट आरजी को दिया निर्देश
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की डिवीजन बेंच ने देशभर के हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश देते हुए कहा है, वह हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को उन मामलों को सौपेंगे जिसमें बेंच ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है, महीने के आखिर में रजिस्ट्रार जनरल इसकी समीक्षा करकंगे और ऐसे मामलों की सूची तीन महीने तक लगातार सीजे को सौपेंगे। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि यदि तीन महीने के भीतर संबंधित बेंच अपना फैसला नहीं सुनाता है तब ऐसी स्थिति में रजिस्ट्रार जनरल संबंधित याचिका पर आदेश के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। चीफ जस्टिस संबंधित बेंच के संज्ञान में मामला लाएंगे और दो सप्ताह के भीतर आदेश सुनाने का निर्देश देंगे। दो सप्ताह बाद मामले को किसी अन्य बेंच को सौंपने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
चार साल से है रिजर्व फार आर्डर,अब तक नहीं आया फैसला
15 अप्रैल के एक आदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से अपीलों का अधिकतम तीन महीने के भीतर निपटारा करने की बात कही थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई, हाई कोर्ट की बेंच ने पहले 2021 में फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद आदेश नहीं आया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया कि मामले को चीफ जस्टिस के संज्ञान में लाएं और किए गए कथनों में सुधार के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात भी कही थी। रिपोर्ट में बताया गया कि 24 दिसंबर, 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया।