Supreme Court News SIR: सुप्रीम कोर्ट की दोटूक, ड्यूटी पर लगाए गए सरकारी कर्मचारी को करना होगा काम, कठिनाई होने पर अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती कर सकती है राज्य सरकारें

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि SIR के लिए जिन कर्मचारियों को भारत निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति दी गई है उनको यह काम करना होगा। यह बाध्यता है। अगर कर्मचारियों को काम के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत हो रही है तो संबंधित राज्य सरकार अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती कर सकती है.

Update: 2025-12-07 09:00 GMT

Supreme Court News

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि SIR के लिए जिन कर्मचारियों को भारत निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति दी गई है उनको यह काम करना होगा। यह बाध्यता है। अगर कर्मचारियों को काम के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत हो रही है तो संबंधित राज्य सरकार अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर उन राज्य सरकारों के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए, जिनके कर्मचारी चुनाव आयोग के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसर BLO के रूप में तैनात किए गए हैं और जिनकों काम के दौरान दिक्कतें आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है उनकी यह संवैधानिक बाध्यता है कि आयोग द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को करना ही होगा। ड्यूटी करने के लिए वे बाध्य हैं।

मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चुनाव आयोग को जिन अधिकारी और कर्मचारियों को SIR के लिए उपलब्ध कराया गया है, वे सभी निर्धारित जिम्मेदारियां निभाने के लिए उत्तरदायी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि कई जगह कर्मचारियों पर दोहरा बोझ पड़ रहा है। नियमित काम के साथ-साथ चुनाव आयोग की अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ रही है, लिहाजा उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इन स्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के उन राज्य सरकारों को निर्देश दिया है जहां एसआईआर के काम किए जा रहे हैं, आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त स्टाफ चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने पर विचार करें, ताकि पहले से तैनात कर्मचारियों के काम के घंटे आनुपातिक रूप से कम किए जा सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी के पास किसी विशेष कारण से चुनाव ड्यूटी से छूट मांगने का आधार है तो राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी प्रत्येक मामले को व्यक्तिगत रूप से विचार कर सकते हैं। ऐसे कर्मचारी की जगह किसी अन्य कर्मचारी को नियुक्त कर किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका यह अर्थ नहीं होगा कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए कर्मचारियों को हटा लिया जाए। राज्य सरकारों पर यह जिम्मेदारी बनी रहेगी कि वे चुनाव आयोग के पास जरूरी कार्यबल उपलब्ध कराती रहें भले ही उसकी संख्या जरुरत के मुताबिक बढ़ाई जाए।

एसआईआर ड्यूटी के दौरान मौत: परिवार के सदस्य व याचिकाकर्ता को अलग से आवेदन करने दी छूट

बूथ लेवल अधिकारियों को एसआईआर ड्यूटी के दौरान जान गंवाने के मामलों में अनुग्रह राशि (एक्स-ग्रेशिया) मुआवजे से जुड़ी अन्य मांगों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित प्रभावित व्यक्ति या याचिकाकर्ता भविष्य में अलग से आवेदन दाखिल कर सकते हैं। यह सुनवाई अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्रि कझगम TVK की ओर से दायर उस याचिका पर हुई, जिसमें चुनाव आयोग द्वारा SIR ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में आरपी एक्ट की धारा 32 के तहत BLO पर हो रही कथित दंडात्मक कार्रवाइयों पर रोक लगाने की मांग की गई।

नौकरी के बाद पूरी रात एसआईआर का काम करने की मजबूरी

TVK की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश में कई BLO के खिलाफ FIR दर्ज की गईं। उन्होंने कहा कि अधिकांश BLO आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक हैं, जिन्हें इतनी कम अवधि में SIR जैसी जिम्मेदारी निभाने के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं किया गया। वे सुबह-शाम अपनी नियमित नौकरी के बाद देर रात तक SIR का काम करने के लिए मजबूर हैं।

छुट्टी भी नहीं दी और कर दिया निलंबित, कर्मचारी ने कर ली आत्महत्या

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कई कर्मचारी सुबह स्कूल में पढ़ाते हैं, फिर पूरी रात फॉर्म भरने और जांच का काम करते हैं। उन्होंने एक दुखद घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि एक कर्मचारी ने शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी, जिसे मना कर दिया गया और उसे निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यदि कर्मचारियों पर आपराधिक मुकदमे किए जा रहे हैं तो यह बेहद कठोर है और मानवीय दृष्टिकोण से गलत है।

चुनाव आयोग अपने आप अकेले सारे काम नहीं कर सकता

अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग अपने आप अकेले सारे काम नहीं कर सकता और राज्य सरकारों के अधिकारियों की सहायता लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। यदि किसी व्यक्तिगत मामले में कठिनाई है तो राज्य सरकार उस कर्मचारी को छूट दे सकती है और उसकी जगह किसी अन्य को तैनात कर सकती है।

उत्तर प्रदेश में चुनाव 2027 में होने हैं, एक महीने में SIR पूरा करने क्यों बना रहे हैं दबाव

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि उत्तर प्रदेश में जब चुनाव 2027 में होने हैं तो केवल एक महीने में SIR पूरा करने का दबाव क्यों बनाया जा रहा है। चुनाव आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तमिलनाडु में 90 प्रतिशत से अधिक फॉर्मों का वितरण पूरा हो चुका है। आयोग ने आपराधिक कार्रवाई केवल उन्हीं मामलों में की है, जहां BLO ने अपने कर्तव्यों का पालन करने से इंकार किया या गंभीर लापरवाही बरती है।

Tags:    

Similar News