Supreme Court News: कानून के रखवाले ने तोड़ दी मर्यादा, सुप्रीम कोर्ट में आरोपी का साथ देने पर फंसे IPS, अब खुद को बचाने के लिए देने होंगे जवाब
एक IPS अफसर ने गजब कर दिया। हत्या के दोषी के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर राज्य सरकार के दावों और पुलिस की जांच रिपोर्ट पर ही सवाल निशान उठा दिया। पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र को झुठलाते हुए सीनियर आईपीएस ने अभियुक्त को क्लीन चिट देते हुए सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर दिया है। आईपीएस अफसर के इस हरकत से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस अफसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है, क्यों ना उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।
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नई दिल्ली। हत्या के एक मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट तक तब हैरान रह गया जब पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र और अभियोजना पक्ष पेश की गई दलीलों को झुठलाते हुए एक सीनियर आईपीएस अफसर ने हत्या के लिए दोषी ठहराए गए एक अभियुक्त को क्लीन चिट देते हुए शपथ पत्र पेश कर दिया है। नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर आईपीएस अफसर को नोटिस जारी कर पूछा है कि इस गैर जिम्मेदारी और बेहद लापरवाह रवैये के लिए क्यों ना उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामले में अभियुक्त के समर्थन में आईपीएस अफसर द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लापरवाह आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई, जो राज्य के अभियोजन पक्ष के मामले के विपरीत था। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने समस्तीपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, IPS को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि अभियुक्त के समर्थन में हलफनामा दाखिल करने के उसके आचरण के लिए क्यों ना उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।
आईपीएस अफसर के इस कृत्य को लेकर नाराज डिवीजन बेंच ने कहा, अदालत सीनियर अफसर जिनका कर्त्तव्य कानून के शासन को बनाए रखना का है, लेकिन वे इस तरह के कृत्य कर रहे हैं, लिहाजा अब समय आ गया है, इनके ऐसे आचरण का संज्ञान ले। वे इस तरह का कार्य कर रहे हैं जो राज्य के हितों विपरीत और अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर करते हैं,जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। डिवीजन बेंच ने मृतक की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आईपीएस अफसर के शपथ पत्र को लेकर इस तरह की टिप्पणी की है।
आईपीएस ने दिया ये जवाब, कोर्ट की कड़ी टिप्पणी-
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद आईपीएस अफसर ने मानवीय भूल बताते हुए क्षमायाचना करते हुए माफी मांगी। माफी को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,शपथ पत्र एक या दो लाइन में नहीं दी गई है। कई शब्दों का यह शपथ पत्र मानवीय भूल नहीं हो सकती और ना ही यह आकस्मिक। डिवीजन बेंच ने कहा, शपथ पत्र से तो यही लगता है कि आईपीएस अफसर ने शपथ पत्र में जाे कुछ लिखा है उसे पढ़ने में विफल रहे या फिर जानबुझकर अभियुक्त का समर्थन किया है।
19 अगस्त को उपस्थित होकर बताना होगा कारण-
नाराज डिवीजन बेंच ने आईपीएस अफसर को नोटिस जारी कर 19 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से तलब करते हुए कारण बताओ नोटिस के जवाब के साथ कोर्ट में उपस्थिति का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने नोटिस में आईपीएस से यह भी पूछा है कि उनकी इस लापरवाही के लिए अदालत इस मामले में क्यों ना सख्त रूख अपनाते हुए उनके खिलाफ उचित आदेश क्यों ना पारित करे।