Google पर इतने सर्च हुए "Sant Premanand Maharaj" की भक्तों के बीच आये गणपति रूप में, कोई बता रहे अनोखी श्रद्धांजलि, तो कोई भगवान गणेश का अनादर

Sant Premanand Maharaj ganesh : गणपति प्रतिमा गुरु प्रेमानंद जी महाराज से प्रेरित. आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज की प्रतिमा पर इस गणेश चतुर्थी पर विवाद छिड़ गया है।

Update: 2025-08-28 09:45 GMT

Sant Premanand maharaj ganesh : संत प्रेमानंद महाराज को लेकर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा. कुछ दिनों से संत प्रेमानंद महाराज गूगल पर टॉप सर्च पर चल रहे हैं. संत प्रेमानंद महाराज कभी खुद विवादित बयानों की वजह से ट्रोल हो रहे हैं, तो कभी कोई बड़ा संत उन्हें लेकर विवादित बयान दे रहा है. सोशल मीडिया पर उनके विरोध  और बचाव को लेकर संत समाज से लेकर उनके चाहने और उनके विरोध करने वालों की तो जैसे फ़ौज आ गई है. इन सबके बीच इस गणेशोत्सव पर संत प्रेमानंद महाराज के रूप में गणेश जी की मूर्ति भी चर्चा का विषय बनी हुई है. कोई इस पहल का समर्थन कर रहे हैं, तो कोई विरोध करता नजर आ रहा है. 

महाराष्ट्र के उल्हासनगर में गणेश चतुर्थी पर एक अनोखी गणपति प्रतिमा चर्चा का विषय बनी हुई है। यह प्रतिमा आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज से प्रेरित है। भगवान गणपति को भगवा धोती, चंदन का तिलक और ध्यान मुद्रा में दर्शाया गया है। आस्था और रचनात्मकता का यह संगम भक्तों के बीच भक्ति, परंपरा और अध्यात्म की आधुनिक अभिव्यक्ति पर चर्चा का कारण बना हुआ है.

आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज की प्रतिमा पर इस गणेश चतुर्थी पर विवाद छिड़ गया है। कुछ लोग इसे एक अनोखी श्रद्धांजलि बता रहे हैं, तो कुछ का तर्क है कि यह भगवान गणेश का अनादर करती है। इंटरनेट पर लोग इस पर बंटे हुए हैं और भक्ति, धार्मिक सीमाओं और आधुनिक व्याख्याओं को लेकर बहस चल रही है।

हरिद्वार के भी  गीता भवन में श्री माया महामाया गणपति संगठन द्वारा भगवान श्री गणेश की स्थापना की गई। प्रतिमा को स्वामी प्रेमानंद का रूप दिया गया है। जो सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। मुशकराज भक्त की तरह उनको हवा करते हुए दिख रहे हैं। आयोजकों द्वारा पंडाल में एक बड़ी एलइडी स्क्रीन भी लगाई गई है। जिस पर एआई के माध्यम से कथाएं भक्तों को दिखाई जा रही हैं।




 आइये जानें संत प्रेमानंद महाराज को लेकर कुछ रोचक बातें 


देश ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज इन दिनों काफी चर्चा में है। तो चलिए आपको बताते हैं कि राधा-कृष्ण के जरिए करोड़ों लोगों को आध्यात्मिकता की तरफ लाने वाले प्रेमानंद महाराज के बारे में कुछ बातें ...

 

प्रेमानंद महाराज की कितनी है नेटवर्थ ?

प्रेमानंद महाराज के वीडियो आपने अकसर सोशल मीडिया पर देखें होंगे। उन वीडियो में एक उन्हें कई बार पैदल चलते हुए और कई बार गाड़ी में भी देखा होगा. अपनी संपत्ति पर खुद प्रेमानंद महाराज ने कहा कि उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है, न ही उनका कोई बैंक खाता है। वे साधु जीवन जीते हैं और कोई घर, जमीन, मकान आदि अपनी नाम पर नहीं रखते।

प्रेमानंद महाराज के पास कोई निजी कार नहीं है, हालांकि अक्सर उन्हें ऑडी कार में देखा जाता है, लेकिन वह उनकी अपनी नहीं बल्कि उनके कारसेवकों की है। इसके अलावा, वे मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करते और चलाना भी नहीं जानते। उनका जीवन कुल मिलाकर भौतिक संपत्ति से परे, त्याग और आध्यात्मिक साधना में समर्पित है। उनके पास न तो कोई बैंक खाता है, न ही किसी प्रकार की निजी संपत्ति है। वे पूरी तरह से साधु जीवन जीते हैं, जिसमें भौतिक वस्तुओं का कोई स्थान नहीं है।

प्रेमानंद महाराज का असली नाम



आम जनता से लेकर बॉलीवुड, क्रिकेट जगत, बिजनेस जगत के बीच भक्ति और प्रेम की धरा बहाने वाले  प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसोल ब्लॉक के अखरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है।प्रेमानंद जी ने पांचवीं कक्षा से ही गीता का पाठ करना शुरू कर दिया था, जिससे उनका रुझान धीरे-धीरे आध्यात्म की ओर बढ़ने लगा। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का निर्णय लिया और घर त्यागकर संन्यासी जीवन की ओर बढ़ गए।


क्या कहा था संत प्रेमानंद महाराज ने लड़कियों को लेकर 

प्रसिद्ध संत *प्रेमानंद जी महाराज* का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने लड़कियों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। प्रेमानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा, "आज के समय में 100 में से केवल 2-4 लड़कियां ही पवित्र बची हैं।" उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है और इसे महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया जा रहा है।

स्वामी रामभद्राचार्य की विवादित टिप्पणी संत प्रेमानंद महाराज के खिलाफ 


संत प्रेमानंद महाराज पर स्वामी रामभद्राचार्य की विवादित टिप्णी के बाद संत समाज भड़का हुआ है. कई कथवाचकों ने प्रेमानंद महाराज का बचाव किया है. साथ ही स्वामी रामभद्राचार्य को ऐसे बयान देने से बचने की सलाह दी है. खुद स्वामी रामभद्राचार्य ने विवाद बढ़ने के बाद वीडियो जारी कर सफाई दी थी. हालांकि, इतना सब हो जाने पर अब इस विवाद में शंकराचार्य सरस्वती जी महाराज का बयान आया है. उन्होंने रामभद्राचर्य के संस्कृत जानने वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘वृंदावन वाले बाबा तो दिनभर संस्कृत बोल रहे हैं.‘

वो, एक पीले कपड़ा वाले महात्मा जी हैं वृंदावन के. प्रेमानंद जी… कह रहे हैं कि उनको एक अक्षर संस्कृत नहीं आती. उनको संस्कृत आने की जरूरत क्या है? वो तो भगवान नाम का प्रचार कर रहे है. और भगवान का नाम संस्कृत में ही है. भगवान का नाम किस भाषा में है, बतायें हमको. वो दिन भर– राधे-राधे कृष्ण-कृष्ण, राधे-राधे कृष्ण-कृष्ण, हे गोविंद, हे गोपाल बोल रहे हैं और लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि नाम स्मरण करो. हमें बतायें कि भगवान का नाम राधे-राधे, ये कृष्ण, कृष्ण, ये गोपाल-गोपाल, गोविन्द-गोविन्द किस भाषा के शब्द हैं? क्या ये संस्कृत भाषा के शब्द नहीं हैं? क्या ये संबोधन की विभक्ति संस्कृत भाषा की नहीं है? वो व्यक्ति दिनभर संस्कृति बोल रहा है. जो व्यक्ति भगवान के नाम का उच्चारण कर रहा है, संबोधन के उसमें उच्चारण कर रहा है, वो दिनभर संस्कृत ही तो बोल रहा है और क्या बोल रहा है? आपको नहीं दिखाई देता आपको सुनाई भी नहीं देता लगता?
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