Puja Khedkar Case: बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक लगाई रोक

Puja Khedkar Case: धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा दिव्यांग कोटा का लाभ हासिल करने की आरोपी बर्खास्त IAS आधिकारी पूजा खेडकर को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

Update: 2024-08-12 09:34 GMT

Puja Khedkar Case: धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा दिव्यांग कोटा का लाभ हासिल करने की आरोपी बर्खास्त IAS आधिकारी पूजा खेडकर को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अगली सुनवाई तक पूजा खेडकर को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया है। अदालत ने धोखाधड़ी मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर को 21 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है। हाईकोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को नोटिस जारी किया है।

पूजा खेड़कर (Puja Khedkar) पर धोखाधड़ी करके सिविल सेवा परीक्षा पास करने का FIR दर्ज है। पूजा जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त अवसर पाने के लिए अपनी पहचान गलत बताई।

पूजा खेडकर पर क्या है आरोप?

आरोप है कि पूजा खेडकर ने आरक्षण का लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अपने आवेदन में कथित तौर पर गलत जानकारी दी थी। यूपीएससी ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया। संघ लोक सेवा आयोग ने एक बयान में कहा, "यूपीएससी ने उपलब्ध रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच-पड़ताल की है और उन्हें सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।"

बयान में कहा गया सीएसई-2022 (सिविल सेवा परीक्षा-2022) के लिए उनकी अनंतिम उम्मीदवारी 'रद्द' कर दी गई है और भविष्य में किसी भी परीक्षा में उनके शामिल होने या चयन पर 'स्थायी रूप से रोक' लगा दी गई है। इसमें कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह के मामले की पुनरावृत्ति न हो।

आयोग ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में खेडकर का यह एकमात्र मामला है, जिसमें वह यह पता नहीं लगा सका कि खेडकर ने एक अभ्यर्थी के लिए सीएसई परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित प्रयासों से ज्यादा बार परीक्षा दी, क्योंकि उसने न सिर्फ अपना नाम बदला, बल्कि अपने माता-पिता के नाम भी बदल दिए।

निचली अदालत से झटका

1 अगस्त को दिल्ली की एक सत्र अदालत ने खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं जिनकी गहन जांच की आवश्यकता है। खेडकर ने सत्र अदालत में दायर याचिका में कहा था कि उन पर तुरंत गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। इस पर सत्र अदालत ने कहा था, "पूरी साजिश का पता लगाने और साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता स्थापित करने के लिए आरोपी से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।"

जज ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह अपनी जांच पूरी निष्पक्षता से करे, ताकि पता लगाया जा सके कि हाल के दिनों में किन उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से ऐसे लाभ उठाए होंगे। साथ ही इस बात का बता लगाने का निर्देश दिया कि क्या यूपीएससी के किसी व्यक्ति ने भी खेडकर की मदद की थी।

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