Kolkata Doctor Rape Case: पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने फिर शुरू की हड़ताल, राज्य सरकार पर लगाया बड़ा आरोप
Kolkata Doctor Rape Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को हुए महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में जूनियर डॉक्टरों ने फिर से हड़ताल शुरू कर दी है।
Kolkata Doctor Rape Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को हुए महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में जूनियर डॉक्टरों ने फिर से हड़ताल शुरू कर दी है। मंगलवार को शुरू हुई इस हड़ताल में डॉक्टरों ने अस्पतालों में काम बंद कर दिया है, जिसमें सरकार पर उनकी मांगों को पूरा करने का दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षा और अन्य मुद्दों को हल करने के वादे पूरे नहीं किए हैं। इस स्थिति में हड़ताल ही उनका आखिरी विकल्प बचा था। उनका दावा है कि बिना पर्याप्त सुरक्षा के अस्पतालों में काम करना असंभव है, और डॉक्टरों को बिना भय के अपनी सेवाएं देने के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है।
डॉक्टरों ने CBI की धीमी जांच पर भी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि CBI की जांच धीमी होने के कारण आरोपियों पर कार्रवाई में देरी हो रही है, जिससे असली दोषियों को बचने का मौका मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में भी इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया में देरी से डॉक्टरों में निराशा है।
घटना के 52 दिन बीतने के बाद भी डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने केवल कुछ जगहों पर CCTV कैमरे लगाए हैं, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं। वहीं, सरकार डॉक्टरों पर गंभीर मरीजों की चिकित्सा सुविधा न देने का झूठा आरोप लगा रही है।
डॉक्टरों ने मांग की है कि पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाया जाए और राज्य के स्वास्थ्य सचिव को उनके पद से हटाया जाए। इसके साथ ही अस्पतालों में स्थायी पुलिस सुरक्षा और केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली लागू करने की मांग की गई है। डॉक्टरों ने सभी मेडिकल कॉलेजों में टास्क फोर्स गठित करने और अस्पतालों में नागरिक स्वयंसेवकों की जगह स्थायी महिला पुलिसकर्मी तैनात करने की भी मांग रखी है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
डॉक्टरों की मांगों पर देरी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि सरकार की प्रक्रिया धीमी है और 15 अक्टूबर तक सभी कार्य पूरे करने का निर्देश दिया। इससे पहले डॉक्टरों ने 42 दिन तक हड़ताल की थी, जिसे आंशिक रूप से 21 सितंबर को वापस लिया गया था।