Himachal Pradesh News: पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर विक्रमादित्य सिंह ने दिया इस्तीफा, CM बोले-पूरे पांच साल चलेगी सरकार, मैंने इस्तीफा नहीं दिया

Himachal Pradesh News, सुक्खू द्वारा पद छोड़ने की पेशकश की खबरों के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा, ''मैंने इस्तीफे की कोई पेशकश नहीं की है। मैं एक योद्धा हूं, लड़ता रहूंगा।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी राज्य में पूरे पांच साल तक सत्ता में रहेगी।

Update: 2024-02-28 10:52 GMT

शिमला। राजनीतिक संकट के बीच हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को कहा कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है और कांग्रेस सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। इन सब के बीच पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि विक्रमादित्य हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे हैं।

सुक्खू द्वारा पद छोड़ने की पेशकश की खबरों के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा, ''मैंने इस्तीफे की कोई पेशकश नहीं की है। मैं एक योद्धा हूं, लड़ता रहूंगा।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी राज्य में पूरे पांच साल तक सत्ता में रहेगी। अपने कैबिनेट सहयोगी विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे पर सुक्खू ने कहा, ''वह मेरे भाई हैं। उनकी कुछ शिकायतें हैं और उन्होंने मुझसे कई बार बात की है। इसे सुलझा लेंगे।”

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमादित्य सिंह ने भावुक होते हुए कहा कि उनका परिवार हमेश ही पार्टी के प्रति वफादार रहा, लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी ने उनके पिता की प्रतिबद्धता को नजरअंदाज किया। विक्रमादित्य ने कहा, "सरकार मॉल रोड पर मेरे पिता की एक प्रतिमा तक नहीं लगा सकी। मैं इससे बहुत दुखी हूं।" उन्होंने कहा, "हमें उस कारण की तलाश करनी होगी, जिसकी वजह से आज कांग्रेस की ऐसी दुर्गति हुई है। यह भी जानना होगा कि कैसे अपार बहुमत के बावजूद इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो गई।"

वहीं, पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "इस सरकार का गठन सभी के प्रयासों के बाद हुआ था। विधानसभा में बीते दो-तीन दिनों के दौरान जो कुछ भी हुआ है, वो हम सभी के लिए चिंता का विषय है।" उन्होंने आगे कहा, "उन्हें मजबूर किया गया था कि वो सरकार की कार्यशैली पर कुछ बोलें, क्योंकि उनके लिए कोई पद महत्व नहीं रखता है, बल्कि उनके लिए राज्य के लोगों के साथ उनका रिश्ता मायने रखता है।"

उन्होंने कहा, "इन सभी मुद्दों को दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के समक्ष बार-बार उठाया गया, लेकिन जानबूझकर इन सभी बातों को हरबार नजरअंदाज किया गया। " उन्होंने कहा, "एक मंत्री होने के बावजूद भी मुझे अपमानित किया गया, जिस तरह का संदेश उनकी तरफ से मुझे भेजा गया, उससे मुझे नीचा दिखाने का प्रयास किया गया। जबकि मंत्रिपरिषद में सभी का उचित आदर और सम्मान होना चाहिए।" उन्होंने कहा, "मैं पार्टी का एक अनुशासित सदस्य हूं, इसलिए मुझे पता है कि सीमा रेखा कहां पर खींचनी है। पिछले कुछ दिनों की घटनाओं ने प्रदेश के युवाओं और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंचाई है।''

इस बीच, कांग्रेस विधायक दल की बैठक शाम को यहां होने वाली है। पार्टी ने पर्यवेक्षकों से राज्य के सभी विधायकों से बात करने और संकट पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा है कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि पार्टी की प्राथमिकता हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बचाने की है। रमेश ने कहा, “फिलहाल, हमारी प्राथमिकता अपनी कांग्रेस सरकार को बचाना है क्योंकि दिसंबर 2022 में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट जनादेश मिला था। हिमाचल प्रदेश के लोगों ने पीएम, जगत प्रकाश नड्डा, अनुराग ठाकुर और जय राम ठाकुर को खारिज कर दिया था। जनादेश कांग्रेस पार्टी के लिए था। इसलिए, इस जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मोदी सरकार के पास केवल एक ही गारंटी है - सभी कांग्रेस सरकारों को गिराना। हम ऐसा नहीं होने देंगे।” एक दिन पहले आश्चर्यजनक उलटफेर में कांग्रेस के छह विधायकों ने राज्यसभा की एकमात्र सीट पर क्रॉस वोटिंग की। भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने वालों में मंत्री पद के इच्छुक सुधीर शर्मा (धर्मशाला) और राजिंदर राणा (सुजानपुर) शामिल थे। उनके अलावा इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर); रवि ठाकुर (लाहौल-स्पीति); चैतन्य शर्मा (गगरेट); और देवेंदर भुट्टो (कुटलैहड़) ने भी क्रॉस वोटिंग की थी। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में वोट किया। इसके साथ ही कांग्रेस के पास 68 सदस्यों वाली विधानसभा में 34 विधायक बचे हैं।



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