ED Arrest Vivo Agents: ईडी ने वीवो और लावा मोबाइल के एमडी को किया अरेस्ट

ED Arrest Vivo Agents: चीनी मोबाइल निर्माता वीवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में, ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में एक चीनी नागरिक और लावा इंटरनेशनल के एमडी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है...

Update: 2023-10-10 10:52 GMT

Vivo-Lava Agents 

ED Arrest Vivo Agents: चीनी मोबाइल निर्माता वीवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में, ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में एक चीनी नागरिक और लावा इंटरनेशनल के एमडी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

ईडी के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि एजेंसी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान चीनी नागरिक गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, लावा इंटरनेशनल के एमडी हरिओम राय, चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राजन मलिक और नितिन गर्ग के रूप में हुई है।

ईडी की कार्रवाई लगभग एक साल से अधिक समय बाद हुई है, जब उसने वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसकी 23 सहयोगी कंपनियों जैसे ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीआईसीपीएल) से संबंधित देश भर में 48 स्थानों पर तलाशी ली थी।

ईडी के अनुसार, वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 1 अगस्त 2014 को हांगकांग स्थित कंपनी मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड की सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था और आरओसी दिल्ली में रजिस्टर्ड की गई थी। 

जीपीआईसीपीएल को 3 दिसंबर 2014 को आरओसी शिमला में सोलन और गांधीनगर (हिमाचल प्रदेश), जम्मू के पंजीकृत पते के साथ रजिस्टर्ड किया गया था।

वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा था कि उक्त कंपनी को सीए नितिन गर्ग की मदद से झेंगशेन ओउ, बिन लू और झांग जी ने बनाया था। बिन लू ने 26 अप्रैल 2018 को भारत छोड़ दिया। झेंगशेन ओउ और झांग जी ने 2021 में भारत छोड़ दिया।

ईडी की जांच से पता चला कि ईडी द्वारा पीएमएलए जांच दिल्ली के कालकाजी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर 3 फरवरी, 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करके शुरू की गई थी। 

एफआईआर के अनुसार, जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने संयोजन के समय जाली पहचान दस्तावेजों और गलत पते का इस्तेमाल किया था। आरोप सही पाए गए क्योंकि जांच से पता चला कि जीपीआईसीपीएल के निदेशकों द्वारा बताए गए पते उनके नहीं थे, बल्कि वास्तव में यह एक सरकारी भवन और एक वरिष्ठ नौकरशाह का घर था।

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