Defense Council: देश को मिलेंगे स्वदेशी लड़ाकू विमान, 97 तेजस फाइटर जेट और 150 प्रचंड हेलीकॉप्टर की खरीद को मिली मंजूरी

Defense Council: डिफेंस मिनिस्ट्री की एक्विजिशंस काउंसिल (DAC) ने 97 तेजस विमानों और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर्स की खरीदारी को मंजूरी दे दी है। यह सौदा करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये का है। सीएनबीसी आवाज को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है।

Update: 2023-11-30 13:34 GMT

Defense Council: डिफेंस मिनिस्ट्री की एक्विजिशंस काउंसिल (DAC) ने 97 तेजस विमानों और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर्स की खरीदारी को मंजूरी दे दी है। यह सौदा करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये का है। सीएनबीसी आवाज को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है।

तेजस (Tejas) विमानों और प्रचंड (Prachanda) हेलीकॉप्टर्स को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) सप्लाई करती है। तेजस और प्रचंड को देश में ही तैयार किया गया है यानी कि ये स्वदेशी हैं। अभी वायुसेना के बेड़े में 83 तेजस विमान हैं। अब इसके बेड़े में 55 हजार करोड़ रुपये की लागत से तेजस विमानों की संख्या और बढ़ाई जाएगी।

मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डिफेंस मिनिस्ट्री ने इन विमानों और हेलीकॉप्टर्स की खरीदारी के साथ-साथ एक एक एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए भी मंजूरी दी है। नए एयरक्राफ्ट कैरियर की बात करें तो इस पर कम से कम 28 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात सकेंगे। इसकी विस्थापन क्षमता करीब 45 हजार टन की होगी।

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने इससे पहले सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि इस पर फ्रांस के राफेल विमानों को तैनात किया जा सकता है। भारतीय नौ सेना के मौजूदा बेड़े में बात करें तो देश का पहला स्वदेशी कैरियर यानी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पिछले साल नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ था। इसे कोचीन शिपयार्ड ने बनाया था। इसके अलावा भारत के पास रुस में बना आईएनएस विक्रमादित्य भी है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की योजना वर्ष 2 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वर्ष 2030 तक 160 और वर्ष 2035 तक 175 वारशिप यानी युद्धपोत बनाने की है। इंडियन नेवी के 60 से अधिक जहाज तैयार हो रहे हैं और इनके निर्माण की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में है। बता दें कि चीन की बढ़ती नौसैनिक शक्ति से जुड़ी चिंताओं के चलते भारत भी पहले से कहीं अधिक वारशिप पेट्रोल यानी युद्धशिप गश्त कर रहा है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रनवे फैसिलिटीज को बेहतर किया गया है जिससे रात में भी यहां विमान उतर सकते हैं। यह एक तरह से दक्षिणी हिंद महासागर में मलक्का, सुंडा और लोम्बोक के संकरे जलडमरूमध्य पर कड़ी निगरानी रखने की कोशिश है।

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