Chabahar Port India: भारत-ईरान में चाबहार बंदरगाह को लेकर हो गया समझौता, अमेरिका ने दी प्रतिबंधों की धमकी
Chabahar Port India: भारत और ईरान ने एक ऐसा समझौता किया है, जिससे पाकिस्तान और चीन को मिर्ची लग सकती है। भारत ने ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के संचालन के लिए समझौता किया है।
Chabahar Port India: भारत और ईरान ने एक ऐसा समझौता किया है, जिससे पाकिस्तान और चीन को मिर्ची लग सकती है। भारत ने ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के संचालन के लिए समझौता किया है। शाहिद बेहेस्ती ईरान का दूसरा सबसे अहम बंदरगाह है। इस फैसले अमेरिका ने नाराजगी जताई है और कहा कि ईरान के साथ समझौता करने से पहले किसी भी देश को संभावित प्रतिबंधों से वाकिफ रहना चाहिए।
ये समझौता इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान के बीच हुआ है, जिसकी अवधि 10 साल की है। हालांकि, इसके बाद अवधि स्वत: ही बढ़ जाएगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, समझौते के तहत इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके अतिरिक्त 2,000 करोड़ की वित्तीय मदद की जाएगी, जिससे समझौते की कुल लागत 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ये समझौता क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के लिए रास्ते खोलेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "अभी बंदरगाह विकसित नहीं हुआ है। अगर 10 साल जितना बड़ समझौता नहीं होता तो बंदरगाह में निवेश मुश्किल था। पूरी उम्मीद है कि अब चाबहार में अधिक निवेश दिखेगा। हम मानते हैं कि कनेक्टिविटी बड़ा मुद्दा है। चाबहार हमें मध्य एशिया से जोड़ेगा।"
अमेरिका ने दी प्रतिबंधों की धमकी
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, "हम इन खबरों से वाकिफ हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह को लेकर एक समझौता किया है। भारत सरकार की अपनी विदेश नीति है। अगर कोई ईरान के साथ व्यापारिक समझौता करने पर विचार कर रहा है तो उन्हें इसके संभावित जोखिम पता होने चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि उन पर भी प्रतिबंध लग सकते हैं।"
चीन पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है। चाबहार बंदरगाह और ग्वादर के बीच समुद्र के रास्ते सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी है। इसे आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) से जोड़ने की योजना है। 7,200 किलोमीटर लंबा ये गलियारा भारत को ईरान, अजरबैजान के रास्ते होते हुए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से जोड़ेगा। चीन के नियंत्रण वाले ग्वादर बंदरगाह के पास भारतीय मौजूदगी रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जा रही है।
चाबहार में बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच साल 2003 में सहमति बनी थी। 2016 में बंदरगार के संचालन के लिए समझौता हुआ था, लेकिन ये कम अवधि का था। इस बंदरगाह से भारत को अफगानिस्तान तक सीधी पहुंच मिलेगी। अभी अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान होकर जाना पड़ता है। इससे भारत का ईरान के जरिए दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और यूरोप के बीच कारोबारी रास्ता खुलेगा।