Bihar Dalit Voter Survey 2025: बिहार में दलितों ने खुद किया सर्वे! मोदी-तेजस्वी-राहुल में किसे मिला सबसे ज्यादा समर्थन? सामने आया TCM का चौंकाने वाला सर्वे!

Bihar Dalit Voter Survey 2025: बिहार की राजनीति में पहली बार दलितों ने खुद अपनी बात कहने के लिए कमान संभाली है। चुनावी सर्वे अब तक बाहरी एजेंसियों का खेल रहा है, लेकिन इस बार नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOR) और The Convergent Media (TCM) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए खुद दलित युवाओं को सर्वेक्षण का जिम्मा सौंपा।

Update: 2025-07-25 17:18 GMT

Bihar Dalit Voter Survey 2025: बिहार की राजनीति में पहली बार दलितों ने खुद अपनी बात कहने के लिए कमान संभाली है। चुनावी सर्वे अब तक बाहरी एजेंसियों का खेल रहा है, लेकिन इस बार नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOR) और The Convergent Media (TCM) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए खुद दलित युवाओं को सर्वेक्षण का जिम्मा सौंपा।

18,581 दलित मतदाताओं से बातचीत कर तैयार की गई यह रिपोर्ट ना सिर्फ डेटा देती है, बल्कि बिहार के दलित समाज के भीतर की बदलती राजनीतिक चेतना का प्रतिबिंब भी है।

सर्वे सिर्फ दलितों पर नहीं, दलितों द्वारा भी

NACDOR और TCM का यह सर्वे इसलिए यूनिक है क्योंकि इसे दलित युवाओं ने अपने ही समाज में जाकर किया है। दिल्ली के बाद बिहार में यह सबसे बड़ा प्रयास माना जा रहा है, जिसमें प्रोफेशनल प्रशिक्षण, फील्डवर्क, और वैज्ञानिक विश्लेषण शामिल हैं। यह सिर्फ एक चुनावी दस्तावेज़ नहीं बल्कि दलित नेतृत्व के लोकतांत्रिक उभार की बुनियाद है।

क्या कहता है सर्वे- दलितों का मूड किसके साथ?

1. राष्ट्रीय नेता की पसंद:

  • नरेंद्र मोदी: 47.5%
  • राहुल गांधी: 40.3%
  • कोसी और भोजपुर में राहुल गांधी को बढ़त

2. बिहार का पसंदीदा नेता:

  • तेजस्वी यादव: 28.83%
  • चिराग पासवान: 25.88%
  • नीतीश कुमार: 22.8%

3. महागठबंधन vs NDA:

  • महागठबंधन को 46.13% समर्थन
  • NDA को 31.93%, अन्य को 21.94%

4. 2020 में किसे वोट दिया था?

  • महागठबंधन: 45.94%
  • NDA: 36.53%
  • LJP और अन्य: लगभग 17.8%

दलितों को सता रहा है वोट छिन जाने का डर

इस सर्वे में सबसे बड़ा झटका देने वाला आंकड़ा यह है कि 71.56% दलितों को डर है कि नई वोटर लिस्ट से उनका नाम गायब हो सकता है। SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद यह आशंका और बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद, ये डर बिहार के लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता है।

बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा, जाति नहीं बनी मतदान का आधार

  • 58.85% दलितों ने बेरोजगारी को बिहार का सबसे बड़ा मुद्दा बताया।
  • 82.89% दलित आरक्षण का दायरा बढ़ाने के पक्ष में हैं।

मतदान का आधार:

  • उम्मीदवार: 44.66%
  • पार्टी: 32.51%
  • जाति: केवल 10.11%

रामविलास पासवान अब भी सबसे बड़े दलित नेता

52.35% दलितों ने रामविलास पासवान को सबसे बड़ा दलित नेता बताया।

  • बाबू जगजीवन राम को मिला 29.6% समर्थन।
  • यह LJP और कांग्रेस दोनों के लिए राजनीतिक संकेत है।

क्षेत्रवार रुझान: एक समान नहीं पूरा बिहार

  • कोसी और भोजपुर में महागठबंधन को प्रचंड बढ़त
  • सीमांचल में NDA की पकड़
  • मिथिलांचल व मगध-पाटलिपुत्र में कांटे की टक्कर
  • चंपारण में अन्य दलों को उल्लेखनीय समर्थन

जातिवार विश्लेषण: रविदास और दुसाध केंद्र में, मुसहर-मेहतर निर्णायक

  • रविदास, धोबी और अन्य में महागठबंधन को भारी समर्थन
  • दुसाध, मुसहर और मेहतर में NDA को तुलनात्मक बढ़त
  • रविदास समाज में तेजस्वी और राहुल दोनों लोकप्रिय — महागठबंधन के लिए शुभ संकेत
  • सभी जातियों में बेरोजगारी और आरक्षण प्रमुख चिंता
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