35 बरस..1700 से ज़्यादा पेशी.. 8 मर्तबे अंतिम बहस के बाद आया उस राजा की हत्या पर फ़ैसला जिसने चुनाव में CM का मंच और CM का हैलीकाप्टर को जीप से तोड़ दिया था.. 11 दोषी करार

Update: 2020-07-21 10:48 GMT

मथुरा,21 जुलाई 2020। ज़िला सत्र न्यायाधीश साधना रानी ने आख़िरकार वह फ़ैसला सार्वजनिक किया जिसका इंतज़ार करते पैंतीस बरस का वक्त गुजर गया था। पैंतीस बरस के इस केस कैलेंडर में 1700 से ज़्यादा पेशी दर्ज है जबकि आठ मर्तबे अंतिम बहस हुई। यह मामला सन् 1985 का है जिसमें राजस्थान भरतपुर के राजा मान सिंह को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा राजस्थान पुलिस ने किया था, लेकिन परिजनों ने इसे एनकाउंटर ना मान कर हत्या का आरोप लगाया और आख़िरकार कोर्ट ने आरोप को सही माना और नामज़द 14 आरोपी में से 11 के हत्या का दोषी पाया है।दोषियों में सभी पुलिसकर्मी हैं जिनमें तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी शामिल हैं। दोषी ठहराए गए 11 पुलिसकर्मियों में से तीन की मौत हो चुकी है।

ये क़िस्सा हनक धमक और खनक का नायाब उदाहरण है। ये मामला है 20 फ़रवरी 1985 का, जगह थी राजस्थान के भरतपुर ज़िले का डीग। राज्य में विधानसभा चुनाव चल रहे थे, भरतपुर राजा मान सिंह डीग से निर्दलीय प्रत्याशी थे, कांग्रेस से बृजेश सिंह प्रत्याशी थे। चुनाव का ताप चरम पर था और उस दिन सरगर्मी तेज थी क्योंकि राजस्थान के CM शिवचरण माथुर सभा लेने पहुँचे थे।

उस दिन जो हुआ और जो ठीक अगले दिन हुआ दोनों घटनाओं ने तब देश और प्रदेश दोनों को चकित कर दिया था। हालाँकि अब जबकि पैंतीस बरस बीत गए हैं तो नई पीढ़ी को कुछ शायद ही पता हो। बहरहाल चलिए बताते हैं कि आख़िर हुआ क्या था ..

राजा मानसिंह के झंडे को अति उत्साह में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके क़िले से ही उतार दिया और कांग्रेस का झंडा लगा दिया था।यह खबर ज़ब राजा मानसिंह को मिली तो वे जोगा गाड़ी याने जीप से तमतमाते हुए सीधे चौड़ा बाज़ार पहुँचे और CM की सभा के लिए बने मंच पर जीप चढ़ा दी और उसे तोड़ दिया। राजा मानसिंह की हनक ऐसी थी कि किसी की हिम्मत ही नहीं हुई कि उन्हें रोके। राजा मानसिंह का ग़ुस्सा इतने पर ही नहीं थमा उन्होंने उसके बाद हायर सेकेंड्री स्कुल का रुख़ किया और जीप से CM शिवचरण माथुर के हैलीकाप्टर को तोड़ दिया।जिस समय यह सब हुआ उस वक्त मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर बाज़ार में जनसंपर्क कर रहे थे।

झंडा उतारने कर कांग्रेस का झंडा लगाने से नाराज़ हुए महाराज भरतपुर के तेवर की जानकारी जब सार्वजनिक हुई तो लोग हतप्रभ हो गए।हालाँकि झंडे उतारने वाली हरकत को उकसावे वाली हरकत ही माना गया। लेकिन मसला CM का था, मसला सत्ता का था.. और महाराजा ने सीधे सत्ता को ही चुनौती दी थी और जीप से चकनाचूर किया था।

नतीजा अगले ही दिन आ गया याने 21 फरवरी को। महाराजा भरतपुर मान सिंह पर दो FIR दर्ज की गई और तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी और टीआई धीरेंद्र सिंह के साथ स्टाफ़ गिरफ़्तार करने रवाना हुआ। महाराजा भरतपुर मान सिंह अनाज मंडी में प्रचार कर रहे थे। पुलिस टीम गई और महाराजा भरतपुर मान सिंह को रोका। पुलिस डायरी के अनुसार महाराजा मान सिंह ने प्रतिरोध किया और हमला किया, आत्मरक्षा में गोली चलाई गई जिससे महाराजा मान सिंह और उनके साथ मौजुद सहयोगी सुमेर सिंह और हरि सिंह घायल हुए।जिनकी अस्पताल पहुँचने के पहले ही मौत हो गई।

इस एनकाउंटर पर हंगामा हो गया और आरोप लगा कि सीधे हत्या कर दी गई। मामला CBI को सौंपा गया, और मामले की सुनवायी हुई मथुरा कोर्ट में। आज इस मामले में मथुरा कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि, एनकाउंटर की कहानी फ़र्ज़ी है और पुलिसकर्मियों ने हत्या की है। इस मामले में CBI ने 14 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया था। कोर्ट ने तीन को बरी करते हुए 11 को हत्या का दोषी पाया है। अब उन्हें सजा क्या देनी है इस पर फ़ैसला कल आएगा।

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