मिलिए कोरोना रेड जोन वाली देश की पहली महिला कलेक्टर से, घर में छोटे बच्चों को छोड़ योद्धा की तरह फील्ड में डटी रही और अब दस दिन से एक भी केस नहीं

Update: 2020-04-27 08:21 GMT

जिस तरह परिस्थितियों से जूझते हुए आईएएस बनने में कामयाब हुई, उसी जीवटता का परिचय देते हुए कोरोना को भी सबसे फास्ट कंट्रोल किया

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रायपुर, कोरबा 27 अप्रैल 2020। छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला देश का पहला रेड जोन डिस्ट्रिक्ट होगा, जहां महिला कलेक्टर हैं। उसी जिले के कटघोरा कस्बे में तबलीग जमाती युवक के जरिये कोरोना ने दबे पांव दबिश दी और देखते-ही-देखते कम्यूनिटी इंफेक्शन जैसे हालात पैदा हो गए। चार दिन में 28 केस। एक-एक घर से पांच-पांच पॉजिटिव। बच्चे भी….महिलाएं भी। ऐसे मुश्किल हालात में कोरबा की महिला कलेक्टर किरण कौशल ने एक योद्धा की तरह मोर्चा संभाला और वहां ऐसा चाक-चौबंद इंतजाम किया कि पिछले दस दिन से एक भी केस नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी मानते हैं, देश में कहीं भी इतना फास्ट ढंग से कोरोना पर कंट्रोल नहीं हुआ है।
किरण 2009 बैच की छत्तीसगढ़ कैडर की आईएएस हैं। वे पोस्टिंग के मामले में किस्मती है तो चुनौतियों का सामना करने में भी। कोरबा से पहले वे मुंगेली, अंबिकापुर, बालोद की कलेक्टर रह चुकी हैं। याने कलेक्टरी के तौर पर कोरबा उनका चौथा जिला है। देश में 2009 बैच का कोई दूसरा आईएएस नहीं, जो लगातार चौथें जिले की कलेक्टरी कर रहा हो। और, चुनौतियों की बात करें तो कोरोना से बड़ा कोई चैलेंज नहीं हो सकता। इस चैलेंज को उन्होंने जिस तरह हैंडिल किया है, उसके नतीजे सामने हैं।
रायपुर की रहने वाली किरण कौशल का कैरियर प्रांरभ से ही चुनौती भरा रहा। संघर्ष और जुनून की मिसाल पेश करते हुए वे देश की सबसे प्रतिष्ठित सर्विस हासिल करने में कामयाब हुईं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही युवा पीढ़ी के लिए किरण एक प्रेरणा की स्त्रोत हो सकती हैं….उन्होंने लक्ष्य हासिल करने में कभी अपना धैर्य नहीं खोया। चट्टान की तरह इरादा लेकर परीक्षाओं में बैठती रहीं और अपना मिशन हासिल किया। सबसे पहले 2003 में छत्तीसगढ़ पीएससी में जिला महिला बाल विकास अधिकारी के पद पर वे चयनित हुईं। इसके बाद 2007 में छत्तीसगढ़ पीएससी में सबसे उंचे पद पर सलेक्ट होकर डिप्टी कलेक्टर बनीं। किरण स्टेट पीएससी के साथ यूपीएससी परीक्षाएं भी दे रही थीं। 2008 के यूपीएससी में उन्हें सेंट्रल एक्साइज मिला। मगर उन्हें तो आईएएस बनना था। एक बार फिर तैयारियों में जुटते हुए उन्होंने यूपीएससी दिया और आईएएस के लिए सलेक्ट हो गईं।
जिस धैर्य और जीवटता का परिचय देते हुए किरण आईएएस बनने में कामयाब हुईं, कटघोरा के कोरोना हॉटस्पॉट से निबटने में उन्होंने वैसा ही हौसला दिखाया। जब कटघोरा की संकरी गलियों में पुरूष अधिकारी, कर्मचारी हिचकिचाते थे, किरण ने वहां कैम्प आफिस खोल दिया। सुबह आठ बजे से रात कभी बारह बज जाता था तो कभी दो। घर भी जाती थी देर रात चंद समय के लिए। जिस दिन कटघोरा में पहला केस मिला, उस दिन कलेक्टर सुबह साढ़े चार बजे तक अफसरों की मीटिंग लेती रहीं। घर में दो छोटे बच्चे हैं। सबसे छोटा पौने दो साल का। बुजुर्ग सास-ससुर। माता-पिता भी। एहतियात के तौर पर उन्होंने खुद को परिवार से आइसोलेट कर लिया। बंगले के कैम्प आफिस को किरण ने अपना बेडरुम बनाया। ताकि, बच्चे और बुजुर्ग उनके संपर्क में न आए। किरण के लिए सबसे कठिन दिन रहा 18 अप्रैल। इस दिन उनके बेटे का जन्मदिन था। इसके दो दिन पहले ही कटघोरा में चार केस मिले थे। कम्यूनिटी इंफेक्शन के खतरे को देखते उन पर चौतरफा प्रेशर था। हालात को कंट्रोल करना था और राजधानी के सीनियर अफसरों का कॉल भी अटैंड करना था। नतीजा यह हुआ कि जन्मदिन पर अपने बेटे को देख भी नहीं पाईं। सुबह कटघोरा के लिए रवाना हुई तो बेटा सो रहा था और देर रात वापिस आईं तो सो गया था।

किरण की रणनीति आई काम

कोरबा जिला में कोरोना संक्रमण का पहला मरीज 30 मार्च को सामने आया था। लंदन में पढ़ाई कर रहे व्यवसायी के बेटे की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव मिलते ही कलेक्टर और एसपी ने देर रात ही रामसागर पारा की घेराबंदी कर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था। और कोरोना पॉजिटिव छात्र के ट्रेव्हल हिस्ट्री को खगालते हुए संपर्क में आने वाले लोगों को तत्काल क्वारेंटाईन कर दिया गया। नतीजा यह रहा कि कोरबा शहर में दूसरा कोई भी कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने नही आया। इसके बाद 4 अप्रैल को कटघोरा के जामा मस्जिद में ठहरे एक 16 साल के जमाती की रिपोर्ट कोरोना संक्रमित आई। नाबालिंग के कोरोना संक्रमित आने की जानकारी मिलते ही कलेक्टर किरण कौशल और एसपी ने क्षेत्र में बैरिकेटिंग कर कटघोरा को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। जमाती के संपर्क में आने वालों के साथ ही मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों की लिस्टिंग की गयी और तत्काल संदिग्धों को क्वारेंटाईन किया गया। इस बीच 4 अप्रैल से 16 अपैल के बीच सिर्फ कटघोरा से ही 27 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले। लेकिन ये सारे मरीज कटघोरा के मस्जिद पारा ईलाके के 100 मीटर के दायरे के भीतर के ही थे।

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