3 टुकड़ों में बंट गया राजधानी का मेडिकल कॉलेज अस्पताल, MBBS एवं पीजी स्टूडेंट्स को अब तीनों जगहों पर लगाना पड़ेगा चक्कर, फैसले पर उठ रहे सवाल
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रायपुर, 7 अप्रैल 2020। देश के प्रथम प्रधानमंत्री के नाम पर बने राजधानी रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कालेज अस्पताल फिलहाल तीन टुकड़ों में बंट गया है। स्वास्थ्य विभाग की सिकरेट्री निहारिक बारिक ने इसका आदेश जारी कर दिया है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल जो आंबेडकर अस्पताल के नाम से जाना जाता है, को राज्य सरकार कोरोना के लिए 500 बेड के अस्पताल में परिवर्तित करने जा रही है। इसके लिए अस्पताल के विभागों को तीन हिस्सों में बांटकर शिफ्ट किया जाएगा। इसका एक हिस्सा डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दूसरा जिला अस्पताल और तीसरा बच्चों के प्रायवेट अस्पताल एकता हास्पिटल शिफ्थ किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल का स्त्री रोग विभाग जिला अस्पताल पंडरी शिफ्थ होगा। इस विभाग का ओपीडी से लेकर लेबर रूम तक जिला अस्पताल में होगा। अगर वहां जगह कम पड़ी तो उससे करीब पांच किलोमीटर दूर कालीबाड़ी स्थित शिशु अस्पताल की जगह ली जा सकती है। इसी तरह बाल्य और शिशु रोग विभाग शांति नगर स्थित प्रायवेट एकता हास्पिटल में जाएगा। ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी विभाग, एनीस्थीया आंबेडकर में यथावत रहेगा। इसी तरह रिजनल कैंसर इंस्ट्टियूट आंबेडकर में रहेगा लेकिन, इसकी इंट्री अब अलग से बनाए जाएगी।
इसके अलावे बाकी विभाग अब डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्थ होंगे। वहीं ओपीडी होगा और वहीं भरती भी।
वैसे, राज्य बनने से पहले मेडिकल कॉलेज का अस्पताल डीकेएस ही था। लेकिन, राज्य बनने पर डीकेएस में मंत्रालय बनाया गया और अस्पताल को मेडिकल कालेज के पास बने नवनिर्मित भवन में शिफ्थ किया गया।
रायपुर का आंबेडकर अस्पताल छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल के तीन हिस्सों में बंटने से आम लोगों को परेशानी तो होगी मेडिकल कालेज के एमबीबीएस और पीजी स्टूडेंट को अब इन तीनों अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ेगा।
वैसे, स्वास्थ्य विभाग ने पहले प्रायवेट अस्पताल रिम्स को टेकओवर किया था। लेकिन, बाद में उसे बदलकर आंबेडकर अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल बनाने का फैसला ले लिया। बताते हैं, रिम्स पर विवाद इसलिए उभर आया क्यों कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि सरकारी पैसे से रिम्स कोरोना अस्पताल के रूप में डेवलप हो जाए।
हालांकि, राजधानी के कई सीनियर डाक्टर्स मेडिकल अस्पताल को तीन हिस्सों में बांटने पर सवाल उठा रहे हैं। अधिकांश डाक्टरों का कहना है कि आंबेडकर अस्पताल सिर्फ अस्पताल नहीं एक इंस्टिट्यूट है। उसे शिफ्थ करने की जगह डीकेएस को कंप्लीट कोरोना अस्पताल बनाना था या फिर शहर के बाहर कहीं इसके लिए जगह देखनी चाहिए थी।