Ujjain Mahakal Mandir: महाकाल के गर्भगृह में बांधी गई मटकिया, जिसमे हैं 11 नदियों का पानी, महादेव को ठंडक देगा

Ujjain Mahakal Mandir: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में वैसाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर के अवसर पर महाकाले विशेष 'जलाभिषेक' किया गया. बुधवार सुबह विशेष पूजा- अर्चना की गयी. साथ ही आज गर्मी से बचाने के लिए मटकी के 11 कलश बांधे गए हैं.

Update: 2024-04-24 04:41 GMT

Ujjain Mahakal Mandir: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में वैसाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर के अवसर पर महाकाले विशेष 'जलाभिषेक' किया गया. बुधवार सुबह विशेष पूजा- अर्चना की गयी. साथ ही आज गर्मी से बचाने के लिए मटकी के 11 कलश बांधे गए हैं.

गर्भगृह में बांधे गए 11 मटकी

महाकाल मंदिर की पुरानी प्रथा है महाकाल को भीषण तपती गर्मी से ठंडक प्रदान करने के लिए ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जाती है. इसके लिए 11 पवित्र नदियों का जल भरा जाता है. इसी प्रथा इस बार भी निभाते हुए आज सुबह महाकाल की भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में शिवलिंग के ऊपर मटकी के 11 कलश बांधे गए हैं . इन मटकियों को गलंतिका कहा जाता है. मंदिर के पंडित और पुजारियों ने मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका शिवलिंग के ऊपर बांधी है. इस कलश से जल प्रवाहित होता रहता है. जो शिवजी  को ठंडक प्रदान करेंगे. 

कलश में 11 नदियों का जल  

इन 11 कलश में 11 नदी गंगा, यमुना, नर्मदा, सरयू, सोन, कावेरी, गोदावरी, महानदी, सरस्वती, शिप्रा और ब्रह्मपुत्र के जल शामिल है. बता दे ये मटकियां करीब 2 महीने तक लगी रहेगी. ये सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाती है. 

क्यों बाँधी जाती है गलंतिका

धार्मिक मान्यताओं के समुद्र मंथन में कालकूट नामक भयंकर विष निकला था. जिसे महाकाल ने पी लिया था. गर्मी के दिनों में इसका असर अधिक होने लगता है. उनके शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. जिसे कम करने के लिए उनके ऊपर गलंतिका बाँधी जाती है.


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