MP प्रमोशन में आरक्षण मामला: हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, पूछा-'जब सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित, तो नई पॉलिसी क्यों?'

मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान HC ने पूछा पुरानी पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती तो फिर सरकार नई पॉलिसी क्यों लाई ?

Update: 2025-09-17 08:15 GMT

reservation in promotion (NPG FILE PHOTO)

भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने सरकार से कई तीखे सवाल पूछे।

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सरकार से सीधा पूछा कि, जब पुरानी प्रमोशन नीति का मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, तो फिर सरकार ने नई पॉलिसी क्यों बनाई? कोर्ट ने इस पर भी चिंता जताई कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी याचिका स्वीकार कर ली या उसे रद्द कर दिया, तो नई नीति के तहत दिए गए प्रमोशन का क्या होगा?

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, राज्य सरकार ने 'मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025' नाम से एक नई प्रमोशन नीति बनाई है, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, सरकार ने पुरानी नीति में सिर्फ नाम मात्र का बदलाव करके ये नया नियम बना दिया है। उनका तर्क है कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो सरकार को नए नियम बनाने की क्या जरूरत थी?

हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि, अगर सुप्रीम कोर्ट ने 'यथास्थिति बनाए रखने' का आदेश दिया है, तो फिर नई पॉलिसी के तहत प्रमोशन कैसे दिए जा रहे हैं? इस पर सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी.एस. वैद्यनाथन और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि, सरकार सामान्य प्रशासन विभाग से एक सर्कुलर जारी करके वर्तमान स्थिति पर स्पष्टीकरण देगी।

कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

कोर्ट ने साफ कहा कि, जब तक सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण नहीं आ जाता, तब तक इस मामले की सुनवाई नहीं होगी। इस सुनवाई के बाद, अब अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की गई है।

बता दें कि, कोर्ट में मौखिक आश्वासन के बाद से ही नई नीति के तहत होने वाले प्रमोशन फिलहाल रोक दिए गए हैं। यह पूरा मामला प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा है, जो लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। अब सबकी निगाहें 25 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जब सरकार का स्पष्टीकरण आने के बाद कोर्ट इस मामले पर कोई बड़ा फैसला ले सकता है।

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