Ghar par fresh paneer kaise banaye: घर पर ही बनाएं फ्रेश और सॉफ्ट पनीर, जानें आसान तरिका

Ghar par fresh paneer kaise banaye: इस लेख में हम पनीर बनाने के आसान तरीकों के बारे में जानने वाले हैं।

Update: 2025-11-01 08:22 GMT

Ghar par fresh paneer kaise banaye: जब भी भारतीयों के घर में मेहमानों की एंट्री होती है तो सब्जियों में सबसे पहले पनीर का नाम आता है। भारतीयों की रसोई में पनीर को सब्जियों और मिठाईयां के रूप में तथा अन्य सब्जियों के साथ मिलकर नए-नए डिश तैयार किए जाते हैं। यह दूध से बना होता है और इसकी कोमलता के क्या ही कहने। इसका स्वाद लगभग सभी ने कभी न कभी एक बार जरूर चखा होता है। इस लेख में हम पनीर की इन्हीं खूबियों और बनाने के आसान तरीकों के बारे में जानने वाले हैं।

पनीर बनाने की आवश्यक सामग्री

पनीर बनाने के लिए बहुत कम चीजों की जरूरत होती है। सबसे पहले आपको चाहिए एक लीटर दूध। दूध जितना गाढ़ा होगा, पनीर उतना ही ज्यादा और मुलायम बनेगा। मार्केट में टोंड या स्किम्ड दूध भी मिलते हैं, जिनसे भी पनीर बन सकता है लेकिन मात्रा कम होगी और स्वाद में भी फर्क आएगा।

दूसरी जरूरी चीज है नींबू का रस या सिरका। यह एक बड़े चम्मच में दो या तीन चम्मच से काम हो जाता है, हालांकि यह दूध की गुणवत्ता और गाढ़ेपन पर भी निर्भर करता है।

इसके अलावा दूध को छानने के लिए आपको सूती का एक कपड़ा चाहिए साथ ही एक छन्नी और दूध को गर्म करने के लिए पतीले की भी जरूरत होगी। 1 किलो पनीर बनाने के लिए लगभग 7 से 8 लीटर दूध की जरूरत पड़ सकती है।

दूध उबालने की विधि

पनीर बनाने की शुरुआत दूध उबालने से होती है। जिस पतीले को अपने लिया है उसमें दूध डालकर गर्म करने के लिए छोड़ दें और थोड़े-थोड़े समय में पतीले में चम्मच चलाते रहे, ऐसा न करने पर दूध के जलने की भी संभावना रहती है। मध्यम आंच पर दूध को धीरे-धीरे गर्म होने दें। कई बार लोगों से यह गलती हो जाती है कि वे दूध को तेजी से उबालने के चक्कर में गैस का फ्लेम बढ़ा देते हैं और दूध नीचे से जलकर पूरा स्वाद खराब कर देता है। जब दूध में बुलबुले उठने लगे तो गैस बंद कर देना जरूरी है ऐसा होने पर समझ जाइए की दूध पूरी तरह से उबल गया है।

दूध फाड़ने की तकनीक

यह पनीर बनाने का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। जैसे ही दूध में उबाल आ जाए तुरंत गैस बंद कर दें। अब धीरे-धीरे नींबू का रस या सिरका डालना शुरू करें। एक हाथ से नींबू का रस डालें और दूसरे हाथ से हल्के चलाते जाएं। आप देखेंगे कि दूध फटना शुरू हो गया है और सफेद रंग के ठोस टुकड़े पानी से अलग होने लगे हैं। यह पानी हल्के हरे रंग का दिखाई देता है। अधिकतर लोग इस पानी को फेंक देते हैं परंतु इस पानी के भी अपने कई फायदे हैं जिसे आप घर में सूप बनाकर पी सकते है, आटे की लोई बनाने के लिए और साथ ही पेड़ों में भी डाल सकते हैं।

अगर दूध पूरी तरह नहीं फटा है और पानी अभी भी दूधिया दिख रहा है, तो थोड़ा और नींबू का रस डालें। ज्यादा नींबू का रस डालने से पनीर में खट्टापन भी आ सकता है इसलिए इसका अंदाजा लगाना जरूरी है। गर्मियों के मौसम में कम और सर्दियों में थोड़ा ज्यादा नींबू के रस की जरूरत पड़ सकती है।

छानने और धोने की प्रक्रिया

दूध फटने के बाद अगला कदम है छानना। एक बड़े बर्तन के ऊपर छन्नी रखें और उस पर साफ सूती का कपड़ा बिछा दें। कपड़ा इतना बड़ा होना चाहिए कि बाद में उससे पोटली बनाई जा सके। अब फटे हुए दूध को धीरे-धीरे इस कपड़े पर डालें। सारा पनीर कपड़े में रह जाएगा और पानी नीचे के बर्तन में इकट्ठा हो जाएगा।

इस स्टेप के बाद एक महत्वपूर्ण कार्य करना लोग अक्सर भूल जाते हैं वह है पनीर को धोने का काम। छानने के बाद पनीर पर ठंडा पानी डालकर उसे अच्छी तरह धो लें। इससे नींबू का खट्टापन निकल जाता है और पनीर का स्वाद शुद्ध हो जाता है। कुछ लोग गर्म पानी से धोने की गलती करते हैं जिससे पनीर कोमल की जगह और सख्त हो सकता है।

पनीर के पानी को निकालना

धोने के बाद कपड़े के चारों कोनों को इकट्ठा करके एक पोटली बना लें। अब हल्के हाथों से दबाकर अतिरिक्त पानी निकालें। यहां बहुत ज्यादा जोर नहीं लगाना है वरना पनीर सख्त हो जाएगा। पोटली को किसी जगह टांगकर 30 से 45 मिनट के लिए छोड़ दें ताकि बचा हुआ पानी अपने आप निकल जाए।

यदि आप पनीर को एक आकार देना चाहते हैं तो उसे समतल जगह पर रखें और उसके ऊपर कोई भारी वस्तु रख दें। ध्यान रखें कि यह भारी वस्तु केवल पनीर को दबाने के लिए है इसलिए ज्यादा भार भी सही नहीं होगा। इस स्थिति में पनीर को एक से दो घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इससे पनीर हल्की ठोस हो जाएगी,जो सब्जी बनाने के लिए उपयुक्त है। यदि आप मिठाई आदि बनाना चाहते हैं तो नरम पनीर की आवश्यकता होगी। पनीर को ज्यादा दिन तक स्टोर करके रखने के लिए एक बर्तन में पानी डालकर, पनीर उसमें पूरी तरह डुबोकर, फ्रिज में रखना चाहिए। इस बर्तन का पानी नियमित रूप से बदलते रहे जिससे यह तीन से चार दिन तक सुरक्षित रह सकता है।

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