चुनावी साल में सरकार का बड़ा फैसला, नियमित होंगे दो लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी
भोपाल। चुनावी साल में सरकार संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का मसौदा तैयार हो गया है। इसे अंतिम रुप देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षा में 28 जून को बड़ी बैठक होने जा रही है। सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश के दो लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को मिलेगा।
अफसरों ने बताया कि संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के निर्देश पर मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसको लेकर 28 जून को मुख्य सचिव आर पशुराम की अध्यक्षता में मंत्रालय में एक बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में समाान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग सहित आठ विभागों के सचिव शामिल होंगे। इसमें नियमितीकरण के मसौदे को अंतिम रुप दिया जाएगा।
बताते चले कि राज्य के विभिन्न विभागों में काम करने वाले संविदा कर्मचारी लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के संविदा कर्मचारी तो इस मांग को लेकर प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं।
नियमितीकरण के लिए कौन होगा पात्रता
अफसरों के अनुसार संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए जो मसौदा तैयार किया गया है उसके अनुसार इस नियम के दायरे में केवल वे ही संविदा कर्मी आएंगे जिनकी नियुक्ति नियमित पदों के विरुद्ध की गई है। उन संविदा कर्मियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा जो जिनकी नियुक्ति किसी विशेष कार्य, योजना, परियोजना और मिशन के लिए की गई है और वह पद भविष्य में भी बना रहेगा।
जानिए कैसे होगा नियमितीकरण
नियमितीकरण के लिए तारीख की गणना कर्मचारी के पहले वेतन से की जाएगी। वहीं सेवा की गणना नियमितीकरण के दिनांक से की जाएगी। इसके पहले संविदा पर की गई सेवाओं को समयमान वेतनमान, पदोन्नति और पेंशन आदि के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। वहीं, वरिष्ठता की गणना परिवीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद से की जाएगी। इस प्रक्रिया में मध्य प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 के प्रावधानों के तहत जारी आरक्षण रोस्टर का लाभ दिया जाएगा।
पहले देखा जाएगा सर्विस रिकार्ड
संविदा कर्मचारियों को नियमित करने से पहले उनका पूरा सेवा रिकार्ड देखा जाएगा। यदि कोई कर्मचारी दागी होगा तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। अफसरों ने बताया कि निमियतीकरण का जो प्रस्ताव तैयार किया गया है उसके अनुसार किसी भी कर्मचारी के नियमितीकरण का फैसला विभागीय छानबीन समिति करेगी।