रायपुर में पीलिया…. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखा कहा… जनता वैसे भी कोविड-19 से जूझ रही है और नगर निगम के कारण पीलिया का भय फैल रहा है

Update: 2020-04-14 14:06 GMT

बिलासपुर 14 अप्रैल 2020. रायपुर में फैले पीलिया के प्रकोप के चलते छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका 30/2014 मुकेश देवांगन विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में नियुक्त न्याय मित्र अधिवक्ता सौरभ डांगी ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने को याद दिलाया है.

न्याय मित्र ने पत्र में उल्लेखित किया है की 2 मई 2018 को माननीय उच्च न्यायालय ने रायपुर के कुछ क्षेत्रों में जिनमें नयापारा मोवा भी शामिल है, के संबंध में टैंकरों से स्वच्छ पानी की व्यवस्था कराने के लिए आदेश जारी किया था और वह आदेश अभी भी लागू है. गौरतलब है कि नगर पालिक निगम की तरफ से तब बताया था कि नहर पारा और मोवा में पांच डेडीकेटेड टैंकर लगाकर के 25 ट्रिप पानी सप्लाई किया जा रहा है.

न्याय मित्र ने पत्र में उल्लेखित किया है कि वह पूर्णता अवगत है कि नगर पालिक निगम कोविड-19 से भी जूझ रहा है परंतु पीलिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वास्तव में वर्तमान परिस्थिति में नागरिकों को पीलिया के सामान बीमारियों से बचाना और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

न्याय मित्र होने के नाते उन्होंने निगम को सुझाव दिया है कि वे पीने योग्य पानी उसी मैकेनिज्म से पीलिया प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाएं जैसा कि माननीय उच्च न्यायालय में निर्धारित किया है और तत्काल ही वहां की नालियों से जाने वाली पीने के पाइप लाइन को बदलें और तत्पश्चात क्लोरिनेटेड पानी ही नागरिकों को पिलाया जावे

पत्र में चिंता व्यक्त करते हुए न्याय मित्र डांगी ने लिखा है की यह बड़े दुख की बात है कि एक तरफ तो जनता कोविड-19 से जूझ रही है दूसरी तरफ नगर निगम के फेल होने के कारण पीलिया का भय बढ़ रहा है.

गौरतलब है कि मुकेश देवांगन के केस में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता गण मनोज परांजपे, अमृतो दास एवं सौरभ डांगी को न्याय मित्र नियुक्त किया था किया है, जिन्होंने पूर्व में रायपुर शहर के विभिन्न वार्डों, अस्पतालों भाटागांव स्थित वाटर फिल्टर प्लांट वहां की लैब और शहर से जा रही पाइप लाइनों का निरीक्षण कर उच्च न्यायालय को अपने सुझाव दिए थे जिनका पालन करने के आदेश उच्च न्यायालय ने समय-समय पर जारी किए है.

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