Frozen Shoulder: कंधे का हल्का मूवमेंट भी लगे कठिन, जकड़न और दर्द से डेली रुटीन हो प्रभावित तो आप हो सकते हैं फ्रोज़न शोल्डर से पीड़ित, यहां मिलेगी सारी ज़रूरी जानकारी...
Frozen Shoulder: फ्रोज़न शोल्डर, सरल भाषा में जमा हुआ या जाम हो चुका कंधा, जिसे हिलाना-डुलाना और सामान्य काम करना मुश्किल हो। अकड़न और दर्द के अहसास से शुरू हुई यह तकलीफ एक समय पर इस हद तक भी बढ़ सकती है कि सर्जरी का सहारा लेना पड़े। इसलिए समय से सतर्क होना ज़रूरी है। फ्रोज़न शोल्डर के बारे में ज़रूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।
लेख में आगे पढ़ें
- ० फ्रोज़न शोल्डर क्या है
- ० फ्रोज़न शोल्डर के लक्षण
- ० फ्रोज़न शोल्डर के जोखिम कारक
- ० फ्रोज़न शोल्डर के चरण
- ० घरेलू स्तर पर दर्द कम करने के उपाय
- ० डाॅक्टर की सलाह कब लें
फ्रोज़न शोल्डर क्या है
फ्रोज़न शोल्डर एक दर्दनाक स्थिति है जिसे सुधरने में काफी समय लग सकता है। सरल भाषा में इसे कंधे का जाम हो जाना समझा जा सकता है जिसे मूव करने में न केवल तीखा दर्द हो, बल्कि असमर्थता भी महसूस हो रही हो। जिससे सामान्य जीवन की विभिन्न गतिविधियां प्रभावित हो रही हों।
कंधे की संरचना को समझें तो यह तीन हड्डियों से मिल कर बना होता है जिसे बहुत सारे टिश्यूज़ गर्दन से जोड़ते हैं। साइंस में इन्हें कैप्सूल कहा जाता है।इस कैप्सूल में जब सूजन आ जाती है तो यह ठोस, सख्त हो जाता है और इनके कड़क होने से कंधे को हिलाना दर्दनाक और दूभर हो जाता है। इसी तकलीफ को फ्रोज़न शोल्डर और चिकित्सकीय भाषा में ‘एडहेसिव कैप्सूलाइटिस’ कहा जाता है।
फ्रोज़न शोल्डर के लक्षण
1. कंधे के जोड़ में दर्द और अकड़न
2. जमे हुए कंधे की तरफ करवट लेकर सोने में कठिनाई महसूस होना
3. ऊपरी बांह में दर्द
4. कंधे की सामान्य गतिविधियों और मूवमेंट में परेशानी और दर्द
5. स्टिफनेस जो कंधे को जस का तस रखने पर मजबूर करे
फ्रोज़न शोल्डर के जोखिम कारक
35 से 70 वर्ष की आयु वाले लोगों में फ्रोज़न शोल्डर की तकलीफ़ कई बार बिना किसी खास वजह या मूवमेंट की कमी के कारण यूं ही हो जाती है जिसका कोई खास कारण नहीं होता। महिलाओं में ये दिक्कत ज्यादा देखी जाती है। एक पोश्चर में लंबे समय तक बैठे रहना भी इसके लिए वजह बन सकता है। इसके अलावा कोई चोट या सर्जरी, जो कंधे के मूवमेंट को लंबे समय के लिए रोक दे। साथ ही डायबिटीज़, थायराइड और हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों में फ्रोज़न शोल्डर के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं।
फ्रोज़न शोल्डर के तीन चरण
फ्रोज़न शोल्डर की पीड़ा के तीन चरण होते हैं।
1. पहले चरण में आपको धीरे-धीरे बढ़ता हुआ दर्द तीव्रतम होने लगता है। कंधे में अकड़न और गतिशीलता की कमी हो जाती है। इसे फ्रीजिंग (Freezing) स्टेज कहा जाता है।
2. दूसरे चरण में दर्द की तीव्रता कम होने लगती है, लेकिन स्टिफनेस बनी रहती है और जोड़ का मूवमेंट काफी कठिन, कई बार असंभव सा लगता है। इसे फ्रोज़न (Frozen) स्टेज कहते हैं।
3. तीसरे चरण सुधार दर्शाता है। आप धीरे-धीरे जोड़ में मूवमेंट हासिल करने लगते हैं। अकड़न खुलने लगती है। दर्द भी कम हो जाता है। इस स्टेज को थाॅइंग ( Thawing) कहते हैं। लेकिन ये दर्द कुछ समय बाद दोबारा हो सकता है इसलिए सुधार होने के बाद जोड़ को लचीला रखने का प्रयास करना चाहिए।
फ्रोज़न शोल्डर में राहत के घरेलू उपाय
1. दिन भर में कई बार की ठंडी या गर्म सिंकी ( 15 मिनट की) आपकी पीड़ा को कम करेगी।
2. सूती कपड़े में अजवाइन और सेंधा नमक मिलाकर डालें और इसे बांधकर एक पोटली बना लें। इस पोटली को तवे पर गर्म कर प्रभावित हिस्से की सेंक करने से फ्रोजन शोल्डर की पीड़ा में राहत मिलती है।
3. दो सौ ग्राम तिल के तेल में बीस ग्राम लौंग डाल कर पका लें। इस तेल से कंधे की मालिश करें, दर्द से जल्द आराम मिलेगा।
4. शोल्डर को रेस्ट देने के लिए शोल्डर स्लिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
डाॅक्टर के पास कब जाएं
अगर आप महसूस कर रहे हैं कि पीड़ा बढ़ती ही जा रही है और घरेलू प्रयास काम नहीं कर पा रहे हैं तो डाॅक्टर के पास ज़रूर जाएं। डाॅक्टर दवाएं लिखेंगे। स्ट्रेचिंग की तकनीक सिखायेंगे। अधिक पीड़ा में फीज़ियोथैरेपी की
सलाह देंगे। सीधा कंधों पर ही कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन लगा सकते हैं, जिससे दर्द से काफी राहत मिलेगी। ज़रूरी होने पर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं।