Ram Lala Live Today : अयोध्या से रामलला लाइव : दिव्य मंगला आरती के साथ शुरू हुआ प्रभु का भव्य दरबार, देखें आज का विशेष श्रृंगार

Ram Lala Live Today : राम जन्मभूमि मंदिर में आज सुबह की शुरुआत बेहद दिव्य और अलौकिक रही। तड़के मंगला आरती के साथ ही प्रभु श्री रामलला के दर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया।

Update: 2025-12-23 01:27 GMT

Ram Lala Live Today : अयोध्या से रामलला लाइव : दिव्य मंगला आरती के साथ शुरू हुआ प्रभु का भव्य दरबार, देखें आज का विशेष श्रृंगार

Ram Lala Live Today : अयोध्या : राम जन्मभूमि मंदिर में आज सुबह की शुरुआत बेहद दिव्य और अलौकिक रही। तड़के मंगला आरती के साथ ही प्रभु श्री रामलला के दर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया। कड़ाके की ठंड और सुबह की ओस के बीच भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। मंदिर के कपाट खुलते ही पूरी अयोध्या 'जय श्री राम' के उद्घोष से गुंजायमान हो उठी। सबसे पहले प्रभु का शुद्ध जल और दूध से अभिषेक किया गया, जिसके बाद उन्हें कोमल वस्त्र पहनाकर उनका भव्य श्रृंगार किया गया।

Ram Lala Live Today : दिन भर की आरतियों का विवरण

प्रभु श्री रामलला की सेवा के लिए पूरे दिन को अलग-अलग चरणों में बांटा गया है। सुबह की शुरुआत मंगला आरती से होती है, जो सुबह करीब 6:30 बजे की जाती है। इस आरती का उद्देश्य प्रभु को जगाना और उनकी पहली सेवा करना होता है। इसके बाद दोपहर 12:00 बजे भोग आरती का आयोजन किया जाता है। इस समय रामलला को विशेष प्रकार के व्यंजनों और फलों का नैवेद्य लगाया जाता है। दोपहर की इस आरती में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है क्योंकि इस समय प्रभु का तेज अपने चरम पर होता है।

Full View

शाम ढलते ही राम मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है। शाम करीब 7:30 बजे संध्या आरती की जाती है। मंदिर की जगमगाती रोशनी और घंटियों की मधुर ध्वनि के बीच यह आरती मन को असीम शांति प्रदान करती है। दिन भर की सभी सेवाओं का समापन रात को शयन आरती के साथ होता है, जो लगभग 8:30 से 9:00 बजे के बीच की जाती है। इस आरती के बाद प्रभु को विश्राम कराया जाता है और मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

भक्तों के लिए जरूरी जानकारी

रामलला की इन आरतियों में शामिल होने के लिए भक्तों को विशेष ध्यान रखना होता है। मंगला आरती और शयन आरती में शामिल होने के लिए पहले से पास लेना अनिवार्य होता है। मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं, इसलिए किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल या बैग ले जाना मना है। यात्री अपनी सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन द्वारा बनाए गए क्लॉक रूम का उपयोग कर सकते हैं। दर्शन के लिए कतार में खड़े भक्तों के लिए पीने के पानी और बैठने की समुचित व्यवस्था की गई है ताकि किसी को असुविधा न हो।

अयोध्या के अन्य पवित्र दर्शनीय स्थल

राम जन्मभूमि के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के लिए हनुमानगढ़ी के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि अयोध्या में रहने से पहले पवनपुत्र हनुमान की आज्ञा लेना जरूरी है। यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है जहाँ तक पहुँचने के लिए 76 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। इसके पास ही कनक भवन स्थित है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यह महल माता कैकेयी ने देवी सीता को मुंह दिखाई में दिया था। यहाँ की सुंदरता और शांत वातावरण भक्तों का मन मोह लेता है।

आध्यात्मिक यात्रा के अंत में शाम के समय सरयू नदी के तट पर जाना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। सरयू घाट पर होने वाली भव्य आरती और दीपदान का दृश्य मन को शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, भक्त मणि पर्वत, नागेश्वरनाथ मंदिर और छोटी छावनी जैसे ऐतिहासिक स्थानों के दर्शन भी कर सकते हैं। अयोध्या की यह पावन भूमि न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहाँ का कण-कण रामायण काल की गौरवगाथा सुनाता है।


प्रभु श्री राम की महिमा

प्रभु श्री राम की महिमा अपरंपार है, जिसे शब्दों में बांधना आसान नहीं है। श्री राम केवल एक राजा नहीं, बल्कि धैर्य, धर्म और मर्यादा के सबसे बड़े प्रतीक हैं। उनके जीवन का हर हिस्सा हमें सिखाता है कि कठिन से कठिन समय में भी अपनी मर्यादा और सत्य का साथ कैसे दिया जाता है। राम नाम की शक्ति इतनी महान मानी जाती है कि इसे जपने मात्र से मन को शांति मिलती है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

राम जी का चरित्र एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई और एक न्यायप्रिय राजा का है। उन्होंने राजपाट को छोड़कर पिता के वचन के लिए वनवास स्वीकार किया, जो दिखाता है कि उनके लिए त्याग और कर्तव्य सबसे ऊपर थे। उनकी कृपा से ही पत्थर पानी पर तैर गए और आज भी 'राम' नाम करोड़ों लोगों की आस्था का आधार है। राम जी की महिमा यही है कि वे सबके हैं और हर दिल में बसते हैं।

श्री राम का जीवन हमें सिखाता है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, सच्चाई और सरलता के सामने उसे झुकना ही पड़ता है। उनकी भक्ति में जो शक्ति है, वह इंसान को हर मुश्किल से लड़ने का हौसला देती है। यही कारण है कि सदियों बाद भी राम नाम की गूँज कम नहीं हुई और आज भी भक्त उनके दर्शन मात्र से खुद को धन्य महसूस करते हैं।


भगवान श्री राम का बाल्यकाल बहुत ही मधुर और आनंदमयी था। राजा दशरथ के आंगन में जब चारों भाइयों का जन्म हुआ, तो पूरी अयोध्या उत्सव में डूब गई थी। बालक राम बचपन से ही बहुत शांत और तेजस्वी थे। उनकी मुस्कान इतनी मनमोहक थी कि जो भी उन्हें देखता, अपनी सुध-बुध खो बैठता था।

बचपन में राम जी अपने भाइयों—भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ खेलते थे। वे खेल-खेल में भी मर्यादा का ध्यान रखते थे। राजा दशरथ को अपने चारों पुत्रों में राम सबसे प्रिय थे। कहा जाता है कि जब बालक राम भोजन करने बैठते और पिता उन्हें बुलाते, तो वे खेल छोड़कर दौड़ पड़ते थे। उनकी बाल-लीलाओं में एक प्रसिद्ध प्रसंग 'चंद्र खिलौना' मांगने का है, जहाँ उन्होंने चंद्रमा को पाने की जिद की थी और माता कौशल्या ने आईने में चांद दिखाकर उन्हें खुश किया था।

जैसे-जैसे राम जी बड़े हुए, उनमें गजब की विनम्रता और सेवा भाव दिखने लगा। वे सुबह उठकर सबसे पहले अपने माता-पिता और गुरु के चरण स्पर्श करते थे। शिक्षा के लिए जब वे गुरु वशिष्ठ के आश्रम गए, तो वहां उन्होंने एक साधारण राजकुमार की तरह नहीं, बल्कि एक सच्चे शिष्य की तरह सेवा की और बहुत कम समय में सभी वेदों और शस्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया। उनका बचपन हमें सिखाता है कि संस्कार और बड़ों का सम्मान ही जीवन की असली नींव है।

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