Ram Lala Aarti Live Today : अवध में आनंद भयो : रामलला की दिव्य जागृति आरती से महकी अयोध्या नगरी, देखें प्रभु का सुंदर मनमोहक बाल स्वरूप
Ram Lala Aarti Live Today : जब मंदिर के कपाट खुले, तो मधुर भजनों और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रभु को नींद से जगाया गया।
Ram Lala Aarti Live Today : अवध में आनंद भयो : रामलला की दिव्य जागृति आरती से महकी अयोध्या नगरी, देखें प्रभु का सुंदर मनमोहक बाल स्वरूप
Ram Lala Aarti Live Today : अयोध्या। 24 दिसंबर 2025, राम नगरी अयोध्या में आज सुबह का दृश्य अत्यंत मनोरम और भक्तिमय रहा। नवनिर्मित भव्य मंदिर में विराजमान प्रभु श्री रामलला को जगाने के लिए जागृति आरती हुआ। ब्रह्म मुहूर्त में जब मंदिर के कपाट खुले, तो मधुर भजनों और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रभु को नींद से जगाया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और चीनी के पंचामृत से बाल स्वरूप रामलला का अभिषेक किया गया। आज प्रभु को पीले रंग के विशेष वस्त्र धारण कराए गए और सोने के आभूषणों व ताजे फूलों से उनका मनमोहक श्रृंगार किया गया। जागृति आरती के समय मंदिर परिसर 'जय श्री राम' के उद्घोष से गूँज उठा और भक्तों ने अपने आराध्य की पहली झलक पाकर जीवन धन्य किया।
Ram Lala Aarti Live Today : रामलला की दिनचर्या : जागृति के बाद होने वाली प्रमुख आरतियाँ राम मंदिर में रामलला की सेवा एक छोटे बालक की तरह की जाती है, जिसके लिए पूरे दिन का एक निश्चित कार्यक्रम (पूजा पद्धति) निर्धारित है
Ram Lala Aarti Live Today : श्रृंगार और भोग आरती: जागृति आरती के संपन्न होने के बाद प्रभु का पूर्ण श्रृंगार किया जाता है, जिसे श्रृंगार आरती कहा जाता है। इसके बाद सुबह लगभग 11:00 से 12:00 बजे के बीच 'भोग आरती' होती है। इस समय रामलला को पूरी, सब्जी, खीर और उत्तर भारतीय व्यंजनों का सात्विक भोग लगाया जाता है। यह आरती काफी भव्य होती है और इसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
संध्या आरती और विश्राम: दोपहर के विश्राम के बाद, शाम को गोधूलि वेला में 'संध्या आरती' का आयोजन होता है। शाम की इस आरती में पूरे मंदिर को दीपों से सजाया जाता है और धूप-दीप के साथ प्रभु की नजर उतारी जाती है। अंत में, रात्रि में 'शयन आरती' की जाती है। इस आरती में अत्यंत शांत और मधुर संगीत बजाया जाता है ताकि बाल स्वरूप रामलला को विश्राम कराया जा सके। शयन आरती के बाद प्रभु को दूध का भोग लगाया जाता है और उनके पट अगले दिन सुबह तक के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
अयोध्या का गौरवशाली इतिहास अयोध्या, जिसे साकेत नगरी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की सात सबसे पवित्र पुरियों (सप्तपुरियों) में प्रथम स्थान पर आती है। यह पावन नगरी सरयू नदी के तट पर बसी है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी स्थापना स्वयं विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी। अयोध्या सदियों तक सूर्यवंश (इक्ष्वाकु वंश) की राजधानी रही, जिसमें राजा हरिश्चंद्र, राजा दिलीप, राजा सगर और राजा दशरथ जैसे महान चक्रवर्ती सम्राटों ने शासन किया। इसी वंश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अवतार लिया, जिससे यह भूमि 'राम जन्मभूमि' के रूप में विश्व विख्यात हुई। मध्यकाल में इस नगरी ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन सदियों के संघर्ष के बाद आज पुनः अयोध्या अपने उसी प्राचीन वैभव और भव्यता के साथ 'नव-अयोध्या' के रूप में उभरकर विश्व पटल पर चमक रही है।
प्रभु श्री राम की अनंत महिमा भगवान श्री राम की महिमा केवल एक राजा के रूप में नहीं, बल्कि 'मर्यादा पुरुषोत्तम' के रूप में संपूर्ण मानवता के लिए एक आदर्श है। राम का अर्थ है 'वह जो कण-कण में रमा हुआ है'। उनकी महिमा उनके धैर्य, त्याग और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा में निहित है। उन्होंने पिता के वचन के लिए राजपाट त्यागकर 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया और रावण जैसे अहंकारी अधर्म का विनाश कर 'रामराज्य' की स्थापना की, जो आज भी सुशासन और न्याय का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है। प्रभु राम का चरित्र सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी अपनी मर्यादा और नीति का त्याग नहीं करना चाहिए। आज भी 'राम' नाम की महिमा इतनी प्रबल है कि इसके स्मरण मात्र से मन को शांति और जीवन को सही दिशा मिलती है। राम केवल एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का आधार हैं।
नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था और आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत संगम है। यहाँ इस भव्य मंदिर की मुख्य विशेषताएँ दी गई हैं:
स्थापत्य कला और संरचना (Architecture) अयोध्या का यह विशाल मंदिर पारंपरिक 'नागर शैली' में निर्मित किया गया है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊँचाई 161 फीट है। यह तीन मंजिला मंदिर है, जिसमें प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार हैं। खंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं की अत्यंत सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं, जो प्राचीन भारतीय कला का दर्शन कराती हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्री रामलला का बाल स्वरूप विराजमान है, जिसकी आभा देखते ही बनती है।
अत्याधुनिक तकनीक और मजबूती इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर को हजारों वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए इसे पूरी तरह पत्थर और तांबे के जोड़ से बनाया गया है। मंदिर की नींव को बेहद मजबूत बनाने के लिए 'रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट' (RCC) की 47 परतें बिछाई गई हैं। साथ ही, मंदिर के नीचे एक 'टाइम कैप्सूल' भी रखा गया है, जिसमें मंदिर और अयोध्या का इतिहास दर्ज है, ताकि भविष्य में हजारों साल बाद भी इस स्थान की पहचान अक्षुण्ण रहे। मंदिर परिसर पूरी तरह आत्मनिर्भर है, जहाँ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और अग्नि सुरक्षा जैसी सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं।