Ram Lala Aarti Live : अयोध्या से रामलला का दिव्य दर्शन : आज सुबह श्रृंगार आरती में झूम उठे भक्त, आपभी करें घर बैठे लाइव दर्शन
सोमवार के दिन, भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में एक अत्यंत ही भक्तिमय और उल्लासपूर्ण वातावरण छाया रहा। सूर्योदय से पहले ही, राम मंदिर परिसर में भक्तों का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया था
Ram Lala Aarti Live : अयोध्या से रामलला का दिव्य दर्शन : आज सुबह श्रृंगार आरती में झूम उठे भक्त, आपभी करें घर बैठे लाइव दर्शन
Ram Lala Aarti Live : अयोध्या | आज, 15 दिसंबर 2025, सोमवार के दिन, भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में एक अत्यंत ही भक्तिमय और उल्लासपूर्ण वातावरण छाया रहा। सूर्योदय से पहले ही, राम मंदिर परिसर में भक्तों का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया था, जो अपने आराध्य रामलला के प्रातःकालीन दर्शन और आरती का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए आतुर थे। ठंड के मौसम के बावजूद भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले ही, जय श्री राम के जयकारों से पूरा वातावरण गूँज रहा था।
Ram Lala Aarti Live : ब्रह्म मुहूर्त में, मंदिर के मुख्य पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रामलला की मंगला आरती (प्रातःकाल की पहली आरती) संपन्न की गई। रामलला को आज विशेष रूप से रेशमी वस्त्रों और स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित किया गया था। उन्हें मौसमी फलों और मिष्ठानों का भोग लगाया गया। आरती के दौरान, पुजारियों ने विधि-विधान से दीपक प्रज्वलित किए और घंटों-घड़ियालों की ध्वनि के बीच रामलला की स्तुति की। मंगला आरती का यह दृश्य अत्यंत ही मनोहारी और अलौकिक था, जिसने दर्शनार्थियों को एक गहन आध्यात्मिक शांति प्रदान की। कई भक्तों ने मंगला आरती के दिव्य क्षणों का अनुभव कर स्वयं को धन्य महसूस किया।
Ram Lala Aarti Live : मंगला आरती के तुरंत बाद, दिन की दूसरी प्रमुख आरती श्रृंगार आरती संपन्न की जाएगी। इस आरती से पहले, रामलला को दैनिक स्नान कराकर उनका भव्य श्रृंगार किया जायेगा। उन्हें ताजे फूलों की मालाएँ पहनाई जाएगी और चंदन का तिलक लगाया जायेगा। रामलला का यह बालस्वरूप श्रृंगार भक्तों के हृदय को छू लेने वाला हैं। श्रृंगार आरती के पश्चात, मंदिर के कपाट आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए जायेंगे, दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की व्यवस्था बनाए रखने हेतु मंदिर प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों ने व्यापक इंतजाम किए हुए हैं।
आज दिनभर का कार्यक्रम और प्रमुख अनुष्ठान
प्रातःकालीन आरती के समापन के बाद, दिनभर मंदिर में दर्शन और पूजन का क्रम जारी रहेगा। दोपहर 12:00 बजे रामलला को भोग लगाया जाएगा, जिसके बाद राजभोग आरती होगी। इस समय दर्शन कुछ देर के लिए स्थगित रहते हैं, जिसे मध्याह्न विश्राम (भोग) का समय माना जाता है। विश्राम के बाद, कपाट पुनः खोले जाएँगे और दर्शन का क्रम जारी रहेगा। संध्याकाल में 07:30 बजे के आसपास संध्या आरती का आयोजन किया जाएगा, जो दिन की अंतिम प्रमुख आरती होती है। इस समय मंदिर परिसर में भक्तों की उपस्थिति फिर से बढ़ जाती है। अंत में, रात 10:00 बजे रामलला को शयन कराया जाएगा, जिसे शयन आरती कहा जाता है, और इसके बाद मंदिर के कपाट आज के लिए बंद कर दिए जाएँगे। मंदिर प्रबंधन ने सभी भक्तों से निवेदन किया है कि वे शांतिपूर्वक दर्शन करें और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें, ताकि सभी को रामलला के दर्शन का लाभ मिल सके।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की महिमा
भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। उनका जीवन चरित्र केवल एक कहानी नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। राम की महिमा उनके सत्यनिष्ठा, पितृभक्ति, एकपत्नी व्रत, और धर्मपरायणता में निहित है। उन्होंने अपने जीवन में असंख्य कष्ट सहे, लेकिन कभी भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा। उनका शासन, जिसे रामराज्य कहा जाता है, आज भी न्याय, शांति और समृद्धि का आदर्श प्रतीक माना जाता है। राम की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न आएं, हमें हमेशा अपनी मर्यादा और मूल्यों का पालन करना चाहिए। भारतीय संस्कृति में, राम केवल एक देवता नहीं हैं, बल्कि वे प्रत्येक भारतीय के हृदय में बसे आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई और आदर्श राजा हैं, जिनकी महिमा उनकी करुणा और अटूट नैतिकता में समाहित है।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का प्राचीन और संघर्षपूर्ण इतिहास
अयोध्या का श्री राम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों की आस्था और सदियों के संघर्ष की गाथा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह स्थान भगवान राम का जन्मस्थान है, और यहाँ सदियों से भव्य मंदिर मौजूद रहा है। हालांकि, इतिहास के अनुसार, 16वीं शताब्दी में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने इस प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और उसकी जगह एक विवादित ढाँचा खड़ा कर दिया था। इसके बाद से ही, हिंदू समाज ने अपने आराध्य के जन्मस्थान को पुनः प्राप्त करने के लिए सैकड़ों वर्षों तक कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ी। यह संघर्ष 9 नवंबर 2019 को तब समाप्त हुआ जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूरी विवादित भूमि रामलला के पक्ष में सौंप दी। इस फैसले ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। आज यह भव्य मंदिर न केवल राम भक्तों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था, धैर्य और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक जीवंत उदाहरण भी है।