Nag Panchami 2024 : कुंडली में अगर "कालसर्प दोष" या फिर "राहु-केतु" से संबंधित कोई दोष हो तो ज़रूर करें नाग देवता की पूजा... जानिए पूजा-विधि, मुहूर्त और महत्त्व

Nag Panchami 2024 : नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है।

Update: 2024-08-07 10:52 GMT

Nag Panchami 2024 : हिंदू धर्म में नाग पंचमी सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।

नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है।

नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस बार नाग पंचमी 09 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। नाग पंचमी का एक ऐसा त्योहार जो देशभर के लगभग सभी राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शक्ति, मनोवांछित फल और अपार धन की प्राप्ति होती है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये तारीख 09 अगस्त 2024 को है। पंचमी तिथि की शुरुआत 9 अगस्त को मध्य रात्रि 12:36 से 10 अगस्त प्रातः 03:14 पर समाप्त होगी।


नाग पंचमी पूजा मुहूर्त

नाग पंचमी की पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो इस साल के श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि यानी 09 अगस्त 2024 को सुबह 05:47 से 08:26 तक रहेगा। कुल मिलाकर 2 घंटे 39 मिनट के लिए पूजा का मुहूर्त है।




 नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से मुक्त हो लें, फिर स्नान करें। इसके बाद शिव जी के साथ-साथ नाग देवता की पूजा करें। नाग देवता की पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।

नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है। 


नाग पंचमी क्यों मनाते हैं?

नाग पंचमी मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के मुताबिक, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना दिया और खुद स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए थे। पांडवों के बाद धरती पर कलियुग का आगमन हो गया था। राजा परीक्षित की मृत्यु नाग देव के डंसने से हुई थी। परीक्षित का पुत्र जनमेजय बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वी के सभी नागों को मारने के लिए नाग दाह यज्ञ किया। इस यज्ञ में पूरी पृथ्वी के नाग आकर जलने लगे। जब ये बात आस्तिक मुनि को मालूम हुई तो वे तुरंत राजा जनमेजय के पास पहुंचे। आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को समाझाया और ये यज्ञ रुकवाया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई। इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरूआत हुई। यज्ञ की आग को ठंडा करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाल दिया था। इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।

ऐसे कर सकते हैं नाग देव की पूजा


नाग पंचमी पर नाग अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, शंखपाल, कालिया, तक्षक का ध्यान करते हुए नाग प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। अगर नागदेव की प्रतिमा न हो तो शिवलिंग पर स्थापित नागदेव की पूजा कर सकते हैं। नागदेव को जल, दूध चढ़ाने के बाद हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर पूजा करें। मिठाई का भोग लगाएं। नाग देवता की कथा पढ़ें-सुनें। इस दिन शिव जी की भी पूजा जरूर करें।


नाग पंचमी का महत्व


सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है और इस माह में सांप भू गर्भ से निकलकर भू तल पर आ जाते हैं। नाग निकलकर किसी को भी आहत ना कर दें, इसलिए नाग पचंमी का पूजा अर्चना की जाती है। बिहार, बंगाल आदि क्षेत्रों में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है कि पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं और इन दिनों सांपों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु व केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है और कालसर्प दोष की पूजा भी करवाई जाती है। पंचमी के दिन इनकी पूजा करने से सभी तरह की रुकावट दूर रहती हैं और मनुष्य को सांपों के भय से मुक्ति भी मिलती है। पुराणों में बताया गया है कि नाग देवता पाताल के स्वामी हैं इसलिए नाग पंचमी या किसी भी अन्य पंचमी के दिन व्यक्ति को भूमि की खुदाई करने से बचना चाहिए।

नाग पंचमी पूजा विधि

  • नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर शिवालय में पूजा अर्चना करें और फिर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद घर के मेन गेट, घर के मंदिर और रसोई के बाहर के दरवाजे के दोनों तरफ खड़िया से पुताई करें और कोयले से नाग देवताओं के चिन्ह बनाएं।
  • आजकल नाग देवताओं की फोटो बाजारों में भी मिल जाती है, आप उनका भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद पूजा अर्चना करें और दूध अर्पित करें।
  • घर के नाग देवताओं की पूजा करने के बाद खेतों या फिर ऐसे स्थान पर दूध का कटोरा रख दें, जहां सांपों के आने की संभावना हो।
  • नाग देवता की पूजा पूजा में सेवई और चावल बनाएंगे। फिर ना देवताओं की दूध और जल से स्नान करवाएं और धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें।
  • इसके बाद सच्चे मन से नाग देवताओं का ध्यान करें और फिर आरती करें। आरती करने के बाद नाग पंचमी की कथा का पाठ भी करें।
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