नवंबर माह में किस दिन पड़ रहा है मार्गशीर्ष अमावस्या, इस दिन पूजा-जप-तप और दान का जानिए विधान

Update: 2022-11-17 18:45 GMT

NPG DESK 

Margashirsha Amavasya:: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है। इस साल यह अमावस्या 23 नवंबर को मनाया जायेगा। इसे अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यह माह माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है, इस वजह से इसमें लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष माह में ही भगवान कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसीलिए इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है। मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों की पूजा करने का विशेष दिन माना गया है। ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन पूजन और व्रत से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी और 24 नवंबर को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर समापन होगा।

व्रत विधि

इस दिन प्रातः काल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें।

नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।

मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दा

संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और क्षमता अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

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