Mahakal Live Today 26 December : उज्जैन से लाइव : बाबा महाकाल की अलौकिक भस्म आरती और भोलेनाथ का मनमोहक श्रृंगार दर्शन

आज 26 दिसंबर, शुक्रवार के पावन अवसर पर बाबा महाकालेश्वर के दरबार में सुबह की शुरुआत अत्यंत अलौकिक भस्म आरती से हुई।

Update: 2025-12-26 01:14 GMT

 Mahakal Live Today 26 December : उज्जैन से लाइव : बाबा महाकाल की अलौकिक भस्म आरती और भोलेनाथ का मनमोहक श्रृंगार दर्शन

Mahakal Live Darshan Today : उज्जैन : आज 26 दिसंबर, शुक्रवार के पावन अवसर पर बाबा महाकालेश्वर के दरबार में सुबह की शुरुआत अत्यंत अलौकिक भस्म आरती से हुई। ब्रह्म मुहूर्त में जब मंदिर के पट खुले, तो सबसे पहले बाबा का जलाभिषेक कर उन्हें पंचामृत से स्नान कराया गया। इसके पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े के साधुओं द्वारा बाबा को भस्म अर्पित की गई। आज शुक्रवार होने के कारण बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया है, जिसमें सूखे मेवों, भांग और चंदन के लेपन से उनके मुखारविंद को बहुत ही सौम्य और राजाधिराज स्वरूप दिया गया है। भस्म आरती के दौरान पूरा मंदिर परिसर 'हर-हर महादेव' के जयघोष से गुंजायमान रहा।

Mahakal Live Darshan Today : महाकाल मंदिर में दिनभर होने वाली अन्य आरतियाँ

भस्म आरती के समापन के बाद मंदिर में आरतियों का क्रम अनवरत जारी रहता है। सुबह लगभग 7:30 बजे दद्योदक आरती संपन्न होती है, जिसमें बाबा को दही और चावल का नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद दोपहर के समय लगभग 10:30 बजे बाबा की भोग आरती होती है, जहाँ उन्हें शुद्ध सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है। जैसे ही सूरज ढलता है, शाम को लगभग 6:30 से 7:00 बजे के बीच भव्य संध्या आरती आयोजित की जाती है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। अंत में, रात 10:30 बजे शयन आरती होती है, जिसके बाद बाबा को विश्राम दिया जाता है।

Full View


श्री महाकाल लोक और निकटवर्ती प्रमुख दर्शन

महाकाल दर्शन के उपरांत उज्जैन की धार्मिक यात्रा को पूर्ण करने के लिए श्री महाकाल लोक का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। यह भव्य कॉरिडोर अपनी नक्काशी और शिव कथाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हो चुका है। इसके साथ ही, उज्जैन के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है। शक्ति की उपासना के लिए आप 51 शक्तिपीठों में से एक माता हरसिद्धि के मंदिर जा सकते हैं, जहाँ शाम के समय दीप स्तंभों की रोशनी एक दिव्य वातावरण निर्मित करती है।

उज्जैन के अन्य पौराणिक और आध्यात्मिक स्थल

यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आप शिप्रा नदी के तट पर स्थित रामघाट जा सकते हैं, जहाँ स्नान और संध्या आरती का विशेष महत्व है। यदि आप शिक्षा और इतिहास में रुचि रखते हैं, तो सांदीपनि आश्रम वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। अंत में, मंगल दोष की शांति के लिए प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर और सिद्धवट के दर्शन भी आपकी इस आध्यात्मिक यात्रा को पूर्णता प्रदान करेंगे। आज शुक्रवार का दिन होने के कारण इन सभी मंदिरों में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।


भगवान भोलेनाथ की महिमा अनंत और अपरंपार है, जिसका वर्णन करना किसी भी साधारण मनुष्य या ग्रंथों के लिए पूरी तरह संभव नहीं है। वे देवों के देव महादेव हैं, जो सृष्टि के सृजन, पालन और संहार के अधिपति माने जाते हैं। शिव का अर्थ ही 'कल्याण' है, जो अपने भक्तों पर बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। उनकी वेशभूषा और स्वरूप अन्य देवताओं से भिन्न और वैराग्य का प्रतीक है। मस्तक पर चंद्रमा, जटाओं में गंगा, गले में सर्प की माला और पूरे शरीर पर भस्म रमाए महादेव यह संदेश देते हैं कि जीवन नश्वर है और अंततः हमें मिट्टी में ही मिल जाना है। वे श्मशान के वासी भी हैं और कैलाश के स्वामी भी, जो संसार की मोह-माया से परे रहकर भी संपूर्ण जगत का संचालन करते हैं।

भोलेनाथ की सबसे बड़ी विशेषता उनका 'भोलापन' और 'दयाभाव' है। जहाँ अन्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या और अनुष्ठान की आवश्यकता होती है, वहीं महादेव मात्र एक लोटा जल और बेलपत्र के अर्पण से ही प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें किसी आडंबर या दिखावे की आवश्यकता नहीं है; वे तो केवल भक्त के शुद्ध भाव के भूखे हैं। समुद्र मंथन के समय जब संसार को विनाश से बचाने के लिए कोई भी विषपान करने को तैयार नहीं था, तब महादेव ने उस हलाहल विष को स्वयं पीकर अपने कंठ में धारण किया और 'नीलकंठ' कहलाए। यह प्रसंग उनके त्याग और संपूर्ण सृष्टि के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। वे विष को धारण करते हैं लेकिन बदले में संसार को अमृत और जीवन प्रदान करते हैं।

शिव केवल विनाशक नहीं हैं, बल्कि वे संगीत, नृत्य और कला के आदि गुरु भी हैं। 'नटराज' के रूप में उनका तांडव जहाँ ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है, वहीं उनका ध्यान स्वरूप परम शांति और एकाग्रता का मार्ग प्रशस्त करता है। वे गृहस्थ होकर भी परम योगी हैं और एकांत में रहकर भी कण-कण में विद्यमान हैं। शिव तत्व हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी शांत कैसे रहा जाए और समाज के तिरस्कृत तत्वों को भी अपने गले से कैसे लगाया जाए। चाहे वे भूत-प्रेत हों या पशु-पक्षी, महादेव के दरबार में सबके लिए समान स्थान है।

आज के समय में महादेव की भक्ति युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए भक्त अक्सर खुद को भूलकर शिवमय हो जाते हैं। महाकालेश्वर के रूप में वे समय के भी स्वामी हैं, जो मृत्यु के भय को भी समाप्त कर देते हैं। भोलेनाथ की शरण में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता, बशर्ते उसका मन कपट रहित हो। अंततः, शिव ही सत्य हैं और सत्य ही शिव हैं। उनकी आराधना का अर्थ है अपने भीतर के अहंकार को मिटाकर आत्म-साक्षात्कार करना, जो हर मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

Tags:    

Similar News