Maa Patal Bhiravi ka Chamtkari Kheer : शरद पूर्णिमा के मौके पर बांटी जाती है जड़ी-बूटी युक्त खीर, दूर-दूर से आते है पीड़ित, खीर खाने के कुछ नियम भी, जानिए क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के मां पाताल भैरवी मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर जड़ी-बूटियों से युक्त खीर का वितरण किया जाएगा. बर्फानी सेवा समिति के अनुसार इसकी शुरुआत 1994 में हुई थी.
sharad poornima jadi buti kheer : शरद पूर्णिमा 06 अक्टूबर को है. छत्तीसगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहाँ शरद पूर्णिमा के मौके पर जड़ी-बूटी युक्त खीर का वितरण किया जाता है. और इसे खाने के लिए दूर-दूर से सांस, दमा, और अस्थमा के पीड़ित लोग आते हैं. पिछले 28 -29 वर्षों से दुर्लभ जड़ी-बूटियों का संग्रह कर खीर प्रसादी के रूप में बांटा जाता है. यह वितरण श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क होता है. बर्फानी सेवा समिति के अनुसार इसकी शुरुआत 1994 में हुई थी.
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के मां पाताल भैरवी मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर जड़ी-बूटियों से युक्त खीर का वितरण किया जाएगा. बर्फानी सेवा समिति के द्वारा मां पाताल भैरवी मंदिर बर्फानी आश्रम परिसर में यह आयोजन होता है. मंदिर के महाराज ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन ऋतु परिवर्तन होता है. इस दिन खीर बनाना शुभ माना जाता है. यह खीर दवा युक्त होती है, जिससे अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है. रातभर यहां जागरण होगा और ब्रह्म मुहूर्त पर भक्तों को खीर का वितरण किया जाएगा.
ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़ के लोग भी यहां पहुंचते हैं
मंदिर परिसर से मिली जानकारी के अनुसार हजारों भक्त यहां की प्रसादी लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं. ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़ के लोग भी यहां पहुंचते हैं. लगभग 27-28 साल से यहां निशुल्क दवा वितरण किया जा रहा है, जिसे लेने बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
खीर लगभग 16 प्रकार की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार होती है
खीर लगभग 16 प्रकार की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार होती है. इसमें अर्जुन के छाल के अलावा अन्य विशेष जड़ी-बूटियां होती हैं. इन जड़ी-बूटियों को एकत्र कर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खीर तैयार की जाती है और लोगों में निशुल्क बांटी जाती है.
खीर ग्रहण करने के लिए कुछ नियमों का पालन, तो पीड़ितों को पंजीकरण कराना आवश्यक
खीर ग्रहण करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है. पहले, पीड़ितों को पंजीकरण कराना आवश्यक है. पंजीकरण के बाद, प्रसाद ग्रहण करने से 6 घंटे पहले और बाद में सोना नहीं चाहिए. इसके साथ ही, मूली, खट्टी चीजें, और गर्म चीजें लगभग एक हफ्ते तक न खाएं. बर्फानी सेवा समिति के द्वारा खीर वितरण के दौरान लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुति भी दी जाएगी, जिसमें पारंपरिक गीत और नृत्य शामिल होंगे. यह कार्यक्रम भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा.
जानिए क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
- राजनांदगांव की पटल भैरवी मंदिर की इस परंपरा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. यहाँ दूर दूर से लोग अपनी बीमारी के इलाज के नाम से खीर खाने आते हैं.
- प्रदीप यादव, स्थानीय निवासी
इस खीर को खाने के बाद कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना होता है, जैसे कि एक हफ्ते तक खट्टी चीज़ों से बचना. प्रशासन की ओर से हर साल यह सुनिश्चित किया जाता है कि खीर वितरण सुव्यवस्थित तरीके से हो, ताकि सभी को लाभ मिल सके.
- बृजेश पांडेय, स्थानीय निवासी